कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने आज बैठक कर चीन सीमा विवाद, कोरोना महामारी और देश के आर्थिक संकट पर चर्चा की। बैठक को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद, कोरोना महामारी और अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट की मुख्य वजह बीजेपी सरकार का कुप्रबंधन और उसकी गलत नीतियां हैं।
सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, “अब, हमारे पास एलएसी मुद्दे पर चीन के साथ पूर्ण संकट है, भविष्य में क्या होगा, ये सामने आना बाकी है लेकिन हमें उम्मीद है कि परिपक्व कूटनीति और निर्णायक नेतृत्व हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में सरकार के कार्यों का मार्गदर्शन करेगा।” सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि इस समय की जरूरत एक बड़े पैमाने पर वित्तीय प्रोत्साहन है, सीधे गरीबों के हाथ में पैसा देना और एमएसएमई को रक्षा और बढ़ावा देना है।
सोनिया गांधी ने कहा कि “कहा जाता है कि दुखद घटनाएं कभी अकेले में नहीं आती। भारत एक भयावह आर्थिक संकट, एक भयंकर महामारी और और अब चीन के साथ सीमाओं पर एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के कुप्रबंधन और गलत नीतियां इन संकटों का एक प्रमुख कारक है। इनके सामूहिक प्रभाव से जहां व्यापक पीड़ा और भय का माहौल है वहां देश की सुरक्षा और भूभागीय अखंडता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
India has been hit by terrible economic crisis, a pandemic of huge proportion & now a full blown crisis on the borders with China. Much of each crisis is attributed to the mismanagement of the BJP/Modi govt & the wrong policies pursued by it: CP Smt. Sonia Gandhi at CWC meeting pic.twitter.com/5iGGPVJCDu
— Congress (@INCIndia) June 23, 2020
हमने पहले भी आर्थिक संकट पर जहां गहन चर्चा की है। तब से यह आर्थिक संकट और गहरा हो गया है। मोदी सरकार हर सही सलाह को सुनने से इंकार करती है। वक्त की मांग है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से मदद, गरीबों के हाथों में सीधे पैसा पहुंचाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों की रक्षा करना और उनका पोषण करना और मांग को बढ़ाना व प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके बजाय, सरकार ने एक खोखले वित्तीय पैकेज की घोषणा की है, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत से कम ही राजकोषीय प्रोत्साहन था।
वैश्विक बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हों, ऐसे समय में सरकार ने लगातार 17 दिनों तक निर्दयतापूर्वक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करके देश के लोगों पर पहले से लगी चोट और उसके दर्द को गहरा किया है। नतीजा यह है कि भारत की गिरती अर्थव्यवस्था 42 वर्षों में पहली बार तेजी से मंदी की ओर फिसल रही है। मुझे डर है कि बेरोजगारी और बढ़ेगी, देशवासियों की आय कम होगी, मजदूरी गिरेगी व निवेश और कम होगा। रिकवरी में लंबा समय लग सकता है, और वह भी तब, जब सरकार अपनी व्यवस्था को ठीक करे और ठोस आर्थिक नीतियों को अपनाएं।
भारत में महामारी फरवरी में आयी। कांग्रेस ने सरकार को अपना पूरा समर्थन देते हुए लॉकडाउन 1.0 का समर्थन किया। शुरुआती हफ्तों के भीतर, यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। जिसका परिणाण वर्ष 1947-48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आया। करोड़ो प्रवासी मजदूर, दैनिक वेतन भोगी और स्व-नियोजित कर्मचारी की रोजी रोटी तबाह हो गयी। 13 करोड़ नौकरियों के खत्म हो जाने का अनुमान लगाया गया है। करोड़ों सूक्ष्म, लघु एव मध्यम उद्यम शायद हमेशा के लिए बंद हो गए हैं।
कांग्रेस ने लॉकडाउन 1.0 के लिए सरकार को पूरा समर्थन दिया। शुरूआत में ही यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी। लिहाजा, 1947-48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी सामने आई : कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी pic.twitter.com/V05duU0ofP
— Congress (@INCIndia) June 23, 2020
प्रधानमंत्री, जिन्होंने सारी शक्तियों और प्राधिकरणों को अपने हाथों में केंद्रीकृत कर लिया था, उनके आश्वासनों के विपरीत महामारी लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में गंभीर कमियां उजागर हुई हैं। महामारी शायद अभी भी सबसे ऊंचे पायदान पर नहीं पहुंची है। केंद्र ने अपनी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल पल्ला झाड़ लिया, लेकिन उन्हें कोई अतिरिक्त वित्तीय सहायता नहीं दी गयी है। वास्तव में, लोगों को यथासंभव अपनी स्वयं की रक्षा करने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। महामारी के कुप्रबंधन को मोदी सरकार की सबसे विनाशकारी विफलताओं में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा। मैं पार्टी के अपने सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं, जो अलग-अलग राज्यों में अपने जोखिम पर प्रवासी और अन्य प्रभावित लोगों की सहायता और मदद के लिए आगे आये।
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब हमारे सामने बड़े संकट की स्थिति है। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अप्रैल-मई 2020 से लेकर अब तक, चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र और गालवान घाटी, लद्दाख में हमारी सीमा में घुसपैठ की। अपने चरित्र के अनरूप, सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है। खुसपैठ की खबरें और जानकारी 5 मई, 2020 को आई। समाधान के बजाय, स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और 15-16 जून को हिंसक झड़पें हुईं। बीस भारतीय सैनिक शहीद हुए, 85 घायल हुए और 10 लापता हो गए और जब तक कि उन्हें वापस नहीं किया गया। प्रधानमंत्री के बयान ने पूरे देश को झकझोर दिया जब उन्होंने कहा कि “किसी ने भी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की”।
There is a growing feeling amongst people that the govt has gravely mishandled the situation. The future is yet to unfold but we hope that mature diplomacy & decisive leadership will inform govt actions in protecting our territorial integrity: CP Smt. Sonia Gandhi at CWC meet pic.twitter.com/KVnPDboL8d
— Congress (@INCIndia) June 23, 2020
राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के मामले पर पूरा राष्ट्र हमेशा एक साथ खड़ा है और इस बार भी, किसी दूसरी राय का प्रश्न ही नहीं पैदा होता। कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले आगे बढ़कर हमारी सेनाओं और सरकार को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की। हालांकि, लोगों में यह भावना है कि सरकार स्थिति को सँभालने में गंभीर रूप से असफल हुई है। भविष्य का निर्णय आगे आने वाला समय करेगा लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाला हर कदम परिपक्व कूटनीति व मजबूत नेतृत्व की भावना से निर्देशित होंगे। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अमन, शांति और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहले जैसी यथास्थिति की बहाली हमारे राष्ट्रीय हित में एक मात्र मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। हम स्थिति पर लगातार नजर बनाये रखेंगे।