प्रशांत किशोर ने सब कहा और कुछ भी साफ नहीं कहा..आप समझिए क्या कहा!

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राजनैतिक रणनीति के उद्योगपति प्रशांत किशोर के लिए राजनीति में राजनैतिक रूप से आना, कितना मुश्किल हो गया है; इसका अंदाज़ा तो पहले ही होने लगा था। लेकिन उन्होंने अब एक प्रेस कांफ्रेंस कर के, लगभग ये तय कर दिया है कि शायद उनके लिए किसी भी राजनैतिक दल में जगह बची नहीं है। पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए प्रशांत किशोर ने ये एलान कर दिया है कि अब वो चाहें या न चाहें, उनको अकेला ही चलना होगा। हालांकि उन्होंने जताया ऐसे ही, जैसे अकेले चलना उनका फ़ैसला है और अब वो 3,000 किलोमीटर अकेले यानी कि बिना किसी राजनैतिक दल का नेता हुए चलेंगे। पीके की आभा क्या धूमिल पड़ रही है और क्या उनके पास अब अपने गृह प्रदेश जाकर, वो राजनीति करने का ही विकल्प बचा है, जो वो शायद नहीं करना चाहते थे? यानी कि उनका राष्ट्रीय राजनीति में अपने रणनीति उद्योग के ज़रिए पैराशूट लैंडिंग का सपना फीका पड़ गया है, क्या? इस प्रेस कांफ्रेंस के अहम बिंदु, सब साफ़ कह देंगे।

हज़ारों लोगों से मिलेंगे

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगले 3-4 महीने, वो बिहार भर में घूम कर 17-18 हज़ार लोगों से मिलेंगे। ये लोग उनकी टीम ने समय लेकर पहचाने हैं। दरअसल उनकी बात से समझा ये जा रहा है कि ये वो लोग हैं, जिनको वो अपनी संभावित पार्टी के काडर, ज़िलास्तर के नेताओं के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने ये कहा भी कि वो इन लोगों से मिलकर, ये देखेंगे कि ये लोग उनके साथ आने को तैयार हैं कि नहीं।

‘अभी पार्टी बनाने का एलान नहीं करूंगा’

हालांकि प्रशांत किशोर ने ख़ुद ही ये भी कह दिया कि वो अभी पार्टी बनाने का एलान नहीं कर रहे हैं। दिलचस्प ये है कि वो ये भी कह रहे हैं कि वो पार्टी नहीं बनाएंगे, ऐसा भी नहीं है। लेकिन साथ ही जिस तरह से वो हज़ारों लोगों से मिलने और उनसे मशविरा करने की बात कह रहे हैं, वो लगभग किसी पार्टी लीडर जैसी ही बात है। साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया कि ज़रूरत पड़ने पर वो पार्टी बना सकते हैं।

बिहार को नई सोच चाहिए

मज़े की बात थी कि इस प्रेस कांफ्रेंस में प्रशांत किशोर ने लालू और नीतीश, दोनों की सरकार का ज़िक्र किया। लेकिन खुल कर ज़्यादा बुराई करने से बचते दिखे। हालांकि थी तो ये राजनैतिक प्रेस कांफ्रेंस ही, लेकिन वो बात राजनैतिक विशेषज्ञ की तरह ही करते रहे। उन्होंने बार-बार ज़ोर दिया कि बिहार में जितना बदलाव होना चाहिए था, नहीं हुआ और बिहार को नई सोच चाहिए। लेकिन क्या नई सोच चाहिए, इस पर उन्होंने कुछ ख़ास नहीं बताया।

नीतीश पर निशाना

हालांकि वो ये बताना नहीं भूले कि नीतीश कुमार के साथ उनके अभी भी अच्छे संबंध हैं। लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा समेत कई नीतियों और सेवाओं पर सरकार को घेरा भी।

3,000 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे

प्रशांत किशोर ने अपनी दूसरी घोषणा के तौर पर ये बताया कि 17-18 हज़ार, चिह्मित किए गए लोगों से मिलने के बाद, 2 अक्टूबर, 2022 को वो चंपारण से अपनी पदयात्रा शुरु करेंगे। चंपारण में ही गांधी ने भी अपना पहला आंदोलन किया था और प्रशांत किशोर की प्रेस कांफ्रेंस के पीछे की पृष्ठभूमि में भी आज गांधी की ही तस्वीर लगी हुई थी। इस यात्रा में भी उन्होंने घर-घर जाकर लोगों से मिलने और उनको अपनी ‘नई सोच’ के बारे में बताने का इरादा जताया।

लालू ने ली चुटकी

प्रशांत किशोर की प्रेस कांफ्रेंस के बाद बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने अपने परिचित अंदाज़ में चुटकी लेते हुए कहा कि अब कहीं उनको जगह नहीं मिली तो वो लौट कर बिहार वापस चले आए हैं।