मशहूर वकील और मानवाधिकारवादी प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यी पीठ ने दोषी मानते हुए एक रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई है। कोर्ट ने यह भी कहा गया कि अगर वे जुर्माना नहीं देते तो उन्हें तीन महीने की सज़ा भुगतनी पड़ेगी और तीन साल तक उनके वक़ालत करने पर रोक रहेगी। उन्हें एक रुपये जुर्माना 15 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट की ट्रेजरी में जमा करवाना होगा।
कोर्ट के फैसले के बाद प्रशांत भूषण ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रशांत भूषण ने कहा कि ”मैंने पहले ही बोला था कि सुप्रीम कोर्ट मेरे खिलाफ जो भी फैसला देगा मैं खुशी-खुशी मान लूंगा। मैं सम्मानपूर्वक जुर्माना चुकाऊंगा। लेकिन अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए चुनौती जरूर दूंगा। मुझे दोषी करार देने और सजा देने दोनों फैसलों को चुनौती दूंगा, ये मेरे पास अधिकार है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि मैंने जो कहा था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने बोल दिया अवमानना है, लेकिन मुझे लगता है कि वह हर नागरिक का सबसे अहम कर्तव्य है। सच बोलना, जहां गलत हो रहा है, उसके खिलाफ अपनी आवाज उठाना, यह हर नागरिक का सबसे बड़ा कर्तव्य है।
My Statement on my Contempt order today: I am grateful for the support of countless people: activists, lawyers, judges and fellow citizens who encouraged me to stand firm. I am gratified that it seems to have given strength to many people to stand up &speak out against injustice pic.twitter.com/CvfWIPl1sr
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर कोई और भी फैसला होता तो भी मैं जरूर मानता। उन्होंने कहा कि मुझे सुप्रीम कोर्ट में प्रक्टिस करते 37 साल से ज्यादा हो गए, मेरे मन में शुरू से सुप्रीम कोर्ट के प्रति बहुत गहरा सम्मान रहा है। मैंने ट्वीट सुप्रीम कोर्ट या न्यायपालिका को चोट पहुंचाने के लिए नहीं किये थे, वो इसलिए किए गए थे कि मुझे लगा कि सुप्रीम कोर्ट जिसका बहुत अच्छा रिकॉर्ड रहा है, वो उससे थोड़ा सा फिसल गया है। ये मुद्दा मेरे या सुप्रीम कोर्ट और किसी जज के खिलाफ नहीं था।
प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जीतना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट अगर मजबूत होता है और स्वतंत्र होता है, तो इस देश का हर नागरिक का जीतता है। यह देश जीतता है। अगर सुप्रीम कोर्ट कमजोर होता है तो हर नागरिक की हार होती है। सुप्रीम कोर्ट ही वह आखिरी जगह है, जहां कमजोर लोग अपने हितों की रक्षा के लिए पहुंचते हैं और जहां से न्याय मिलता है।
उन्होंने कहा कि मैं आभार प्रकट करता हूं, जो लोग मेरे सपोर्ट में खड़े हुए। जाहे वो पूर्व जज रहे हों, चाहे वकील रहे हों, चाहे एक्टिविस्ट रहे हों, चाहे आम नागरिक रहे हों, इतने सारे लोग खड़े हो गए। इससे मुझे बहुत हौसला मिला है और उम्मीद की किरण जगी है कि देश में इससे अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूती मिलेगी। और न्यायपालिका की जवाबदेही और न्यायपालिका में जो बदलाव की जरूरत है, उस अभियान को भी शक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रशांत भूषण ने ट्वीट करके बताया कि उनके वकील राजीव धवन ने उन्हें जुर्माने की राशि के लिए एक रुपया दिया है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
My lawyer & senior colleague Rajiv Dhavan contributed 1 Re immediately after the contempt judgement today which I gratefully accepted pic.twitter.com/vVXmzPe4ss
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने सीजेएआर और स्वराज अभियान की ओर से दो बड़े ऐलान किये। योगेंद्र यादव ने कहा कि हम एक नेशनल फंड बनाना चाहते हैं। उन्होंने हर व्यक्ति से ‘वन रुपी, वन पर्सन’ फंड में एक रुपये देने की अपील की। इस फंड के जरिये लोगों को लीगल हेल्प दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं देश के तमाम संगठनों से अपील करता हूं कि हम सब एक एक रुपये इकट्ठा करते हैं। प्रशांत भूषण के लिए नहीं बल्कि उन गुमनाम कार्यकर्ताओं के लिए जो इस देश में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए संघर्ष करते हैं। जो जेल में रहते हैं, तमाम तरह की पीड़ा सहते हैं, उनका ट्रायल तक नहीं शुरू हो पाता। उनके लिए ये नेशनल फंड बनाया जाए। हर कोई एक रुपये दे इन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिपाहियों के लिए।
इसके साथ ही योगेंद्र यादव ने 2 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पूरे देश में सत्यमेव जयते कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया। उन्होंने तमाम संगठनों और आम लोगों से अपील की, कि वे महीने भर अपने-अपने स्तर पर अभिव्यक्ति की आजादी और सच्चाई की आजादी की आवाज उठाएं। उन्होंने कहा कि इसके तहत लोग कई तरह के कार्यक्रम करा सकते हैं। जैसे कविता पाठ, मुशायरे, सेमिनार, गोष्ठियां। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारे लोकतंत्र को मजबूत करते हैं।