विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को अमेरिका को सौंपने के आदेश पत्र पर ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद द्वारा बुधवार को हस्ताक्षर किये जाने के बाद आज वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए इस मामले को फरवरी 2020 तक के लिए आगे बढ़ा दिया है. इस मसले पर पूरी सुनवाई अब फरवरी 2020 में होगी. जूलियन असांज ब्रिटेन की बेलमार्श जेल में कैद है.
JUST IN: London court says full U.S. extradition hearing for WikiLeaks founder Julian Assange will take place in Feb. 2020 pic.twitter.com/Hdvc2m0lWL
— Reuters (@Reuters) June 14, 2019
ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जावेद ने बुधवार, 12 जून को जूलियन असांज के प्रत्यर्पण के अमेरिकी सरकार के अनुरोध के बाद एक आदेश पर दस्तखत किए थे. गुरुवार को इस बात की पुष्टि उन्होंने खुद की थी. उन्होंने कहा था, “यह फैसला अंतत: अदालत को करना है लेकिन गृह मंत्री के लिए इसमें एक बेहद अहम हिस्सा होता है और मैं चाहता हूं कि हर बार न्याय हो और हमारे पास वैध प्रत्यर्पण अनुरोध है, इसलिए मैंने उस पर दस्तखत किए लेकिन अंतिम फैसला अब अदालत को करना है.”
UK approves US request for Julian Assange's extradition
Read @ANI story | https://t.co/x9O90nPbQ2 pic.twitter.com/KI63R9h58T
— ANI Digital (@ani_digital) June 13, 2019
इस मामले पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में आज स्थानीय समय सुबह 10 बजे सुनवाई होनी थी, फिर उसे आगे बढ़ा कर 11 बजे कर दिया गया था. सुनवाई के दौरान असांज खुद अदालत में उपस्थित नहीं हुए, बल्कि जेल से ही वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवाई में शामिल हुए. सुनवाई के दौरान कोर्ट के बाहर असांज और विकीलीक्स के समर्थक और अन्य पत्रकार-एक्टिविस्ट उनकी रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहे.
Assange's extradition hearing is now at 11 am in court 3 at Westminster Magistrates Court. pic.twitter.com/QXMb8YLL3S
— WikiLeaks (@wikileaks) June 14, 2019
अपनी खोजी पत्रकारिता से दुनिया में हलचल पैदा कर देने वाले असांज पर स्वीडन में बलात्कार के आरोप लगे थे, जिसके बाद गिरफ़्तारी और प्रत्यर्पण से बचने के लिए उन्होंने 2012 से लंदन स्थित इक्वाडोर के दूतावास में शरण ले ली थी. बीते अप्रैल में इक्वाडोर के राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो ने अंतरराष्ट्रीय संधियों का लगातार उल्लंघन करने का बहाना देकर उन्हें शरण देने के फ़ैसले को वापस ले लिया, जिसके बाद ब्रिटिश पुलिस ने 11 अप्रैल को उन्हें हिरासत में लिया था. अप्रैल में इक्वाडोर के दूतावास से बाहर निकाले जाने के बाद जमानत के उल्लंघन में 50 सप्ताह की जेल की सजा काट रहे हैं.
47 वर्षीय असांज पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक किया था. ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका द्वारा भेजे गये प्रत्यर्पण पत्र में असांज के लिए ‘whistleblower’ शब्द का प्रयोग किया गया है.
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के दफ्तर ने एक वक्तव्य में कहा है कि असांज को अमेरिका द्वारा भेजे गये एक प्रत्यर्पण निवेदन पर गिरफ्तार किया गया था, अब हमारे पास पूर्ण प्रत्यर्पण का औपचारिक पत्र आया है जिसमें उनको अमेरिका की ख़ुफ़िया सुरक्षा जानकारी को सार्वजनिक करने और अनधिकारिक तौर पर कंप्यूटर के इस्तेमाल का दोषी कहा गया है. जूलियन यदि अमेरिका को सौंपे जाते हैं और वहां उन पर जासूसी का आरोप सिद्ध होता है तो उन्हें अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस नाटकीय घटनाक्रम की बुनियाद इस महीने के आरम्भ में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तीन दिवसीय ब्रिटेन की राजकीय यात्रा के वक्त पड़ गई थी.
ब्रिटेन के गृह मंत्री द्वारा जूलियन असांज को अमेरिका में प्रत्यर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद विश्व भर में उनकी आज़ादी की मांग एक बार फिर से तेज हो गई है. साजिद जाविद की इस हरकत की चारों तरफ आलोचना हो रही है.
जूलियन के पिता जॉन शिप्टन 11 जून को उनसे मिलने बेलमार्श जेल गये थे. मिलकर आने के बाद उनके पिता काफ़ी भावुक हो गये थे. उनके अनुसार, जूलियन का स्वास्थ्य काफी गिर चुका है और अपने बचाव के लिए उन्हें किसी तरह की क़ानूनी मदद नहीं मिल रही है. चीन के नामचीन कलाकार ऐ वेईवेई ने भी जूलियन असांज से जेल में मुलाकात की. वेईवेई एक राजनीतिक कार्यकर्त्ता भी हैं और 2011 में चीन में एक राजनीतिक आन्दोलन के दौरान उन्हें कारावास हुई थी.