मंजुल के तीखे कार्टूनों से चिढ़ी थी मोदी सरकार, अंबानी ने नौकरी से निकाला!


हैरानी की बात ये है कि राजनीतिक कार्टूनकारी की भारत में लंबी परंपरा रही है। पं.नेहरू पर बनाये गये महान कार्टूनिस्ट शंकर के कार्टून उस दौर के दस्तावेज़ हैं। इंदिरा गाँधी को कार्टूनिस्टों ने कभी नहीं बख़्शा। लेकिन किसी सरकार ने इस तरह की कार्रवाई नहीं की जैसा कि मोदी सरकार कर रही है। मंजुल की कूची इस विषय पर भी चली थी।


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अपने तीखी नज़र के लिए सराहे जाने वाले मशहूर कार्टूनिस्ट मंजुल को नेटवर्क 18 ने सस्पेंड कर दिया है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को लेकर उनके कुछ कार्टूनों पर सरकार की नज़र टेढ़ी थी और उसने ट्विटर से उनके अकाउंट को हटाने के लिए औपचारिक रूप से कहा था। ट्विटर ने इस संबंध में मंजुल को सूचित कर दिया था। ग़ौरतलब है कि नेटवर्क 18 मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप का एक उपक्रम है और अंबानी और मोदी की निकटता किसी से छिपी नहीं है।

बीते 4 जून को ख़ुद मंजुल ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्विटर की ओर से मिले एक ईमेल को साझा किया था। इसमें लिखा था कि भारत सरकार मानती है कि उनका ट्विटर अकाउंट कानून का उल्लंघन करता है। ट्विटर ने कहा था कि भारतीय कानून प्रवर्तन विभाग ने उनसे मंजुल के अकाउंट के खिलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है।

 

मंजुल ने इस पर भी जय हो मोदी सरकार लिखते हुए तंज किया था।

मंजुल पर हुए इस हमले को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताते हुए सिविल सोसायटी ने कड़ा विरोध किया था। ख़ुद राहुल गाँधी ने इस पर ट्वीट करते हुए मोदी को कायर बताया था।

बहरहाल, चार दिन बाद यानी 8 जून को मंजुल को नेटवर्क18 से सस्पेंड कर दिया गया जहाँ वो छह साल से काम कर रहे थे। एक बार फिर साबित हुआ कि इस देश का कॉरपोरेट प्रतिरोध या आलोचना की हर आवाज़ करो दबाने में मोदी सरकार का साथ पूरी ताकत से दे रहा है।

हैरानी की बात ये है कि राजनीतिक कार्टूनकारी की भारत में लंबी परंपरा रही है। पं.नेहरू पर बनाये गये महान कार्टूनिस्ट शंकर के कार्टून उस दौर के दस्तावेज़ हैं। इंदिरा गाँधी को कार्टूनिस्टों ने कभी नहीं बख़्शा। लेकिन किसी सरकार ने इस तरह की कार्रवाई नहीं की जैसा कि मोदी सरकार कर रही है। मंजुल की कूची इस विषय पर भी चली थी।