ज़ी न्यूज़ के ‘हनी ट्रैप’ से नेपाल में भारतीय चैनल बंद, सुधीर चौधरी ने मारी पलटी !

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


नेपाल में भारतीय चैनलों का प्रसारण रोक दिया गया है। नेपाल का आरोप है कि भारतीय मीडिया भारत-नेपाल संबंधों को ख़राब करने में जुटा हुआ है और प्रधानमंत्री ओली पर हनी ट्रैप की फ़र्ज़ी ख़बर दिखाकर तो उसने इंतेहा कर दी है।

दरअसल, ज़ी न्यूज़ ने बीते दिनों ख़बर दिखायी थी कि नेपाल का चीन की ओर झुकाव दरअसल चीन की महिला राजदूत की वजह से है। यह हनी ट्रैप है।

टीआरपी की रेस आजकल तमाम तूफान खड़ा करने में कुछ भी करने पर जुटे टी.वी9 भारतवर्ष ने भी इसे आगे बढ़ाया। उसने नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री उपेंद्र यादव का इंटरव्यू प्रसारित किया जिसके मुताबिक उन्होंने प्रधानंत्री ओली पर लगी हनी ट्रैप के आरोप की जाँच की माँग की है (उपेंद्र यादव ने इसका खंडन किया है)।

हैरानी की बात ये है कि ये दोनों चैनल सीधे बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। ज़ी न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा हैं जो बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं और टीवी 9 भारतवर्ष का उद्घाटन कुछ समय पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। इसके संचालकों का बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से बहुत करीब का रिश्ता माना जाता है।

दरअसल, आजकल नेपाल सीमा विवाद सहित तमाम मामलों में भारत को चुनौती देता नज़र आता है। लिपुलेख से लेकर कालापानी तक पर भारत के अधिकार को चुनौती देते हुए वहाँ की संसद ने नया नक्शा भी पारित कर दिया है। यह एक नया नेपाल है जो पारंपरिक नेपाल से पूरी तरह अलग है जहाँ के राजा को कभी भारत में विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन पूरी दुनिया के हिंदुओं का सम्राट बताते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने काठमांडू जाकर पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की थी और जबरदस्त टीवी प्रसारण के जरिये अपनी एक ऐसी छवि प्रसारित की थी जिसमें नेपाल किसी ‘कारकून’ की हैसियत में दिखता था। बहरहाल, बाद में भारत की ओर से की गयी आर्थिक नाकेबंदी ने रिश्तों को पटरी से इस कदर उतारा कि फिर गर्मजोशी वापस आयी ही नहीं।

लेकिन इस मुद्दे पर भारतीय चैनलों का रवैया शर्मनाक रहा। वे मानने को तैयार ही नहीं हैं कि नेपाल किसी संप्रुभ राष्ट्र की तरह भी व्यवहार कर सकता है। कूटनीतिक रूप से वह चीन के खेमे में जाने का अधिकार भी रखता है। उल्टा उन्होंने साज़िश ढूंढनी शुरू कर दी और बताया कि ऐसा दरअसल चीन की महिला राजदूत हो यांकी के कारण है जिसने पीएम ओली को हनी ट्रैप में फँसा लिया।

ज़ाहिर है, नेपाल की सरकार से लेकर जनता तक में रोष है। सरकार के प्रवक्ता युबराज खाटीवाडा ने इसे तथ्यहीन और अपमानजनक बताया है। उन्होंने कहा कि नेपाल की सरकार को भारतीय मीडिया के खिलाफ़ कार्रवाई करने का पूरा हक़ है। सरकार नेपाल की संप्रभुता और देश की छवि बचाने के प्रति प्रतिबद्ध है।

नयी दिल्ली में नेपाल के दूतावास ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जतायी है। राजूदत नीलांबर आचार्य ने भारतीय विदेश मंत्रालय का ध्यान इस तरफ खींचा है और कहा है कि ऐसे मीडिया रिपोर्ट से भारत और नेपाल के सदियों पुराने रिश्तों को खराब कर सकते हैं।

हालांकि नेपाल सरकार ने कोई आधिकारिक निर्देश नहीं दिया है लेकिन नेपाल केबल टीवी एसोसिएशन ने भारतीय न्यू़ज़ चैनलों का प्रसारण रोक दिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश सुबेदी ने कहा है कि हमने अपनी ओर से कुछ समय के लिए भारतीय मीडिया का प्रसारण अपनी देशभक्ति दिखाने के लिए रोका है।

उधर, टीवी9 भारतवर्ष में प्रसारित अपने इंटरव्यू को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि चैनल ने उनकी बात को तोड़ा-मरोड़ा है। उन्होंने आधे घंटे का इंटरव्यू दिया, जिसमें से महज़ सात मिनट का चुनिंदा प्रसारण किया गया। उपेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने कभी हनी ट्रैप का जिक्र नहीं किया था।

कुल मिलाकर भारत के ऐसे न्यूज़ चैनलों के घटियापन की वजह से देश को कूटनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। हैरानी की बात है कि ये चैनल राष्ट्रवाद के सबसे मुखर ठेकेदार होने का दावा चिल्ला-चिल्ला कर कहते रहते हैं। काश वो जान पाते कि वे देश का और पत्रकारिता का कितना बड़ा नुकसान कर रहे हैं।

वैसे इस मामले में सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया रही ज़ी न्यूज़ के संपादकीय प्रमुख सुधीर चौधरी की। उन्होंने कहा कि भारत ने तो कोई सैनिक कार्रवाई की ही नहीं, नेपाल हमारे ऐंकर्स से ही डर गया। यह बात उन्होंने बहुत ज़ोर-शोर से अपने प्रोग्राम डीएनए में कही और फिर से इसे ट्वीट भी किया-

 

लेकिन जब कूटनीतिक स्तर पर मामला बिगड़ा तो लगात है कि महोदय ऊपर से हड़काये गये। उन्होंने पुराना ट्वीट डिलीट करके ट्विटर पर खेद जताने में देर नहीं की।

 

 

बहरहाल, ज़ी न्यूज़ ने के.पी.ओली के हनी ट्रैप से जुड़ी ख़बर को यू ट्यूब से हटा दिया है ।