अरसे तक नंबर वन की कुर्सी पर विराजमान रहे न्यूज़ चैनल आज तक पर सुशांत सिंह राजपूत मामले में तथ्यहीन और सनसनीख़ेज रिपोर्टिंग के अपराध में एक लाख रुपये का जुर्माना लगा है। यह सज़ा इलेक्ट्रानिक मीडिया को रेग्युलेट करने वाली संस्था न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ( NBSA) ने दी है। अथॉरिटी ने चैनल को सुशांत सिंह राजपूत के नाम से फर्ज़ी ट्वीट प्रसारित करने का दोषी पाया है।
24 सितंबर को जस्टिस सीकरी की अध्यक्षता में हुई NBSA की बैठक में पाया गया कि चैनलों के खिलाफ़ सुशांत सिंह राजपूत मामले में आयी शिकायतों में दम है और आज तक ने एक ऐसा ट्वीट प्रसारित किया जो फर्जी था। अथॉरिटी ने एक लाख रुपये जुर्माना के अलावा चैनल को इस संबंध में माफीनामा प्रसारित करने और सभी संबंधित सामग्री को यूट्यूब और अपनी वेबसाइट आदि से तुरंत हटाने का आदेश दिया है। इस प्रसारण की सीडी चैनल को सात दिन के अंदर जमा करनी लाख रुपये बतौर जुर्माना न्यूज़ ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन यानी NBA के खाते में जमा करने को कहा गया है।
14 जून को सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद सौरव दास, रुतुजा पाटिल, वरुण सिंगला, पुलकित राठी, नीलेश नवलखा और इंद्रजीत घोरपड़े ने NBSA में दर्ज करायी थी कि आज तक, ज़ी न्यूज़ और न्यूज़ 24 लगातार इस मामले की सनसनीखेज़ कवरेज कर रहे हैं। यह गरिमापूर्ण मृत्यु के अधिकार पर चोट है। टीआरपी के लिए मानवीयता को तिलांजलि दी गयी। सनसनीखेज और अपमानजनक सुर्खियाँ बनायी गयीं। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि चैनलों को इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेन्शन के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए था जो आत्महत्या को सनसीखेज़ बनाने से रोकती है।
जस्टिस सीकरी ने अपने आदेश में कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बुनियादी मौलिक अधिकार है। संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का अलग से ज़िक्र नहीं है लेकिन यह लोकतंत्र का आधार है। मीडिया की जबरदस्त पहुँच को देखते हुए इसमें शक़ नहीं कि यह लोगों की राय को प्रभावित करता है। लोगों को जानकारी देने में अहम भूमिका के चलते हुए उसे चौथा खंभा लोकतंत्र का कहा जाता है लेकिन मीडिया की स्वतंत्रता ‘एब्सोल्यूट’ नहीं है, संविधान औचित्यपूर्ण पाबंदियों के पक्ष में है।
बहरहाल, एनबीएसए ने कहा कि वह उन्हीं चैनलों पर कार्रवाई कर सकता है जो NBA के सदस्य हैं। इस मामले में सबसे ज्यादा आलोचना झेल रहा अर्णव गोस्वामी का रिपब्लिक टीवी एनबीए का सदस्य नहीं है।
दरअसल, 16 जून की सुबह आज तक ने सुशांत सिंह राजपूत के तीन ट्वीट के साथ एक स्टोरी प्रसारित की थी। कहा गया था कि सुशांत सिंह राजपूत ने मौत के पहले ये ट्वीट किये थे जिसे बाद में हटा दिया था। बाद में ये ट्वीट फर्ज़ी पाये गये थे। ट्विटर की ओर से भी इसे स्पष्ट किया गया था।
विडंबना ये है कि आज तक ने सनसनीखे़ज़ पत्रकारिता करके जिस रिपब्लिक टीवी का रास्ता रोकने की कोशिश की थी, वह अब नंबर वन चैनल हो गया है। टीआरपी की रेस में ‘आज तक’ का ताज भी गया और साख भी।