– एआईकेएससीसी ने सरकार की, किसानों के प्रति संवेदनहीनता के विरुद्ध देशव्यापी विरोध तेज करने की अपील की
– लिखित दस्तावेज एमएसपी पर झीना आश्वासन देकर बार-बार कहता है कि ये कानून किसानों के लिए लाभदायक है; 14 दिन से सरकार के पास कुछ नया कहने को नहीं है
– सरकार किसानों के विरोध के बिन्दु कि ये कारपारेट व विदेशी कम्पनियों की मदद करेगा, किसानों के लागत के दाम, घाटे, कर्जे व जमीन से बेदखली बढ़ेगी, का जवाब देने से बच रही है
– देश के सभी जिलों में अनिश्चित धरने आयोजित होंगे, टोल प्लाजा को शुल्क मुक्त और जयपुर हाइवे को 12 को बंद और राज्यस्तरीय विरोध 14 को किया जाएगा
एआईकेएससीसी की वर्किंग ग्रुप ने कहा है सरकार ने जो दस्तावेज किसान नेताओं को दिया है वह एमएसपी पर कुछ झीना आश्वासन देता है। राज्यों को निजी मंडियों, व्यापारियों व ठेकों का पंजीकरण करने का अधिकार हस्तांतरित करने, सरकारी मंडियों के साथ बराबरी के नाम पर निजी मंडियों पर कुछ टैक्स लगाने की बात कहता है और दीवानी न्यायालयों में हस्तक्षेप की बात कहता है और जोर देता है कि ये कारपोरेट पक्षधर कानून जारी रहेंगे। संक्षेप में केन्द्र सरकार कह रही है कि राज्य सरकारें कुछ सुधार कर सकती हैं, सवाल यह उठता है कि खेती में केन्द्रीय कानून क्यों बनाए गये – केवल कारपोरेटों को बढ़ावा देने के लिए ?
सरकार की प्रस्तुति बार-बार जोर देकर कहती है कि ये कानून किसानों के लिए लाभदायक हैं और किसानों द्वारा इन कानूनों के विरोध के सवालों पर उत्तर देने से साफ बच रही है। ये कानून स्पष्ट तौर पर कारपोरेट व विदेशी कम्पनियों को कानूनी अधिकार देते हैं और कहते हैं कि सरकार इन कम्पनियों की कृषि मंडियों को स्थापित करने और भारत के किसानों को ठेकों में लपेटने में मदद करेगी। इससे एक तरफ सरकारी मंडियां समाप्त हो जाएंगी और दूसरी ओर किसान बरबाद हो जाएंगे। ये कानून कम्पनियों द्वारा मंहगी लागत बेचने और सस्ते से सस्ते दाम पर खरीददारी करने, जो दाम ई-बाजार से तय होंगे, एमएसपी से नहीं, अनुमति देते हैं। फसल के भंडारण, प्रसंस्करण और उच्च मुनाफे वाले प्रसंस्कृत खाद्य बाजार पर कारपोरेट का कब्जा होगा। ये कानून अब जमाखोरी व कालाबाजारी को भी अनुमति देते हैं और राशन व्यवस्था समाप्त करने का इशारा करते हैं। दावा कि किसानों की जमीन की सुरक्षा की गारंटी होगी, पूरी तरह से उन्हें बेवकूफ बनाने का मसला है, क्योंकि ठेका कानून में उनकी जमीन गिरवी रखने का प्रावधान है।
एमएसपी पर जो बेहद झीना आश्वासन दिया गया है वह किसानों की इस मांग को संबोधित ही नहीं करता कि स्वामीनाथन आयोग के सी2+50 फीसदी फार्मूला के हिसाब से सभी फसलों का एमएसपी घोषित हो और उस दाम पर सभी किसानों की फसलों के खरीद की सरकारी गारंटी का तरीका हो। एआईकेएससीसी इस बात पर पुनः जोर देकर कहना चाहती है कि किसान कम्पनियों के साथ अनुबंधों में नहीं बधेंगे, वे अपनी जमीन से बेदखल होने तैयार नहीं हैं व भारतीय व विदेशी कारपोरेट के शोषण से सुरक्षा प्राप्त करना उनका संवैधानिक अधिकार है। ये कानून उनके इस शोषण को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत सरकार ने देश के किसानों की मांग को नकारकर अपना संवेदनहीन चेहरा प्रस्तुत किया है। जाहिर है सरकार कारपोरेट हितों की सेवा कर रही है और इस ठंड के बावजूद उसे किसानों की कोई चिन्ता नहीं है।एआईकेएससीसी भारत सरकार का ध्यान देश में अंगे्रजी राज को समाप्त करने के आन्दोलन में पंजाब व अन्य राज्यों के किसानों के आन्दोलन की ऐतिहासिक भूमिका की याद ताजा कराते हुए इस बात को जोर देकर कहना चाहती है कि कारपोरेट के विरुद्ध किसानों का यह आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जब तक इन्हें बढ़ावा देने वाले सरकार के ये तीन कानून वापस नहीं लिये जाते।
अपने इस मोर्चे को अनिश्चित काल के लिए जारी रखने के लिए संकल्पबद्ध किसान भारी संख्या में सीमाओं पर एकत्र हो रहे हैं और पलवल व गाजीपुर में भागीदारी बढ़ रही है। 12 दिसम्बर को जयपुर दिल्ली हाईवे रोक दिया जाएगा। 12 दिसम्बर को ही किसान सभी टोल प्लाजा को शुल्क मुक्त करा देंगे।
एआईकेएससीसी के आह्नान पर सभी मंडियों, जिलों, राज्य, राजधानियों में विरोध धरने प्रारम्भ होंगे। दिल्ली में भी नागरिकों द्वारा बड़े विरोध आयोजित किये जाएंगे।
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