उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड में सुप्रीम कोर्ट में चार किसानों समेत आठ लोगों की हत्या के मामले की शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर हिंसा पर यूपी सरकार की कार्रवाई पर नाराज़गी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया कि आप क्या संदेश दे रहे हैं? पुलिस कार्रवाई में ढिलाई के कारण राज्य सरकार को मुख्य न्यायाधीश के कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा कि क्या पुलिस हत्या के आरोपियों को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाती है? किस आधार पर हत्यारे को अब तक हिरासत में नहीं लिया गया है?
राज्य सरकार की रिर्पोट से SC असंतुष्ट..
इस बारे में गुरुवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से आज यानी शुक्रवार तक स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था इस स्टेटस रिपोर्ट में राज्य सरकार को प्राथमिकी में नामजद आरोपियों का ब्योरा देना था और साथ ही यह भी बताना था कि उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हुई।
कोर्ट के सवालों पर यूपी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि आरोपी आशीष मिश्रा कल सुबह 11 बजे क्राइम ब्रांच के सामने पेश होंगे। उन्होंने कोर्ट के सवालों के जवाब में बताया कि किसानों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली के घाव नहीं दिखे, इसलिए उन्हें नोटिस भेजा गया था। उन्होंने बताया कि मौके से दो कारतूस बरामद किए गए हैं। ऐसा लगता है कि आरोपी का निशाना कुछ और ही था।
इस मामले में सभी आरोपियों के लिए कानून एक समान:SC
आशीष मिश्रा को नोटिस भेजने के मामले में कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति पर मौत या गोली से मरने का आरोप है, उसके साथ इस देश में ऐसा व्यवहार किया जाएगा? क्या बाकी आरोपियों के साथ भी यही रवैया रहता है? कोर्ट ने कहा कि आठ लोगों की बेरहमी से हत्या की गई, आगे मंत्री के बेटे की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा, इस मामले में सभी आरोपियों के लिए कानून एक समान है। वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर नोटिस के बाद भी व्यक्ति नहीं आता है तो कानूनी सख्ती की जाती है। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार इस मामले में जरूरी कदम उठाएगी।
लखीमपुर हिंसा के सबूत को रखे राज्य सरकार सुरक्षित:SC
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह अदालत को एक वैकल्पिक एजेंसी से अवगत कराए, जो मामले की जांच कर सके। CJI ने उत्तर प्रदेश सरकार के DGP से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जब तक कोई अन्य एजेंसी मामले को हैंडल नहीं करती, तब तक मामले में सबूत सुरक्षित हैं। अदालत ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से कहा कि वह राज्य सरकार को यह संदेश दें कि लखीमपुर खीरी मामले में सबूतों को नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।