दूसरे निर्दलीय विधायक का समर्थन वापस, किसान आंदोलन से ख़तरे में खट्टर सरकार

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किसान आंदोलन का ताप, हरियाणा की खट्टर सरकार का बंगला फूँक सकती है। दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। सोमवार को उन्होंने पशुधन विकास बोर्ड चेयरमैन के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।  निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार से समर्थन पहले ही वापस ले चुके हैं। ज़ाहिर है, सहयोगियों की मदद से हरियाणा में सरकार चलाने वाली बीजेपी की सरकार पर संकट बढ़ गया है।

दरअसल, किसान आंदोलन ने एनडीए में दरार पहले ही चौड़ी कर दी है। शिरोमणि अकाली दल जैसा पुरानी सहयोगी एनडीए से बाहर आ चुका है और इसके लिए उसने केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ने में भी हिचक नहीं दिखायी। लेकिन इस दल का पंजाब में असर है जहाँ फिलहाल बीजेपी के पास खोने को कुछ नहीं है। सोमवार को नागौर, राजस्थान से लोकसभा सदस्य और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कृषि कानून वापस न लेने पर सरकार से समर्थन वापस लेने की चेतावनी दी थी। सरकार के रुख को देखते हुए लगता नहीं कि वह ऐसा करेगी। यानी आरएलपी का भी एनडीए से बाहर जाने की घड़ी करीब आ रही है।


ऐसी परिस्थिति में  हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ता जा रहा है। रविवार को रोहतक के जाट भवन में 30 से अधिक खापों की बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें किसान आंदोलन को समर्थन देने पर चर्चा की गई।  चौटाला की जननायक जनता पार्टी के दस विधायक हैं जिनके समर्थन से 40 विधायकों वाली बीजेपी ने सरकार बनायी थी। किसानों की नाराज़गी का ठीकरा वे अपनी पार्टी पर नहीं फुड़वाना चाहेंगे। अगर वे भी शिरोमणि अकाली दल के रास्ते पर गये तो हरियाणा की बीजेपी सरकार का बचना मुश्किल हो जाएगा। निर्दलीय विधायकों का रुख पहले ही किसान आंदोलन के समर्थन वाला है।

देखना है कि बीजेपी इस संकट से कैसे बाहर निकलती है।