गुजरात HC में संजीव भट्ट की आजीवन कैद की सज़ा खत्म करने वाली याचिका ख़ारिज

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हिरासत में मौत के 30 साल पुराने मामले में मामले में गुजरात कैडर के आइपीएस संजीव भट्ट को सुनाई गई सजा को चुनौती देने वाली याचिका गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने संजीव भट्ट पर अविश्‍वास जताते हुए उनकी खारिज कर दी. संजीव भट्ट के अदालत के प्रति रवैए को भी हाईकोर्ट ने अपने फैसले का आधार बनाया है.

ड्रग से जुड़े मामले में सितंबर 2018 से पालनपुर जेल में बंद भट्ट को जामनगर की एक सत्र अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसने नवंबर 1990 में जामजोधपुर निवासी प्रभुदास वैष्णानी की मौत के लिए उसे दोषी ठहराया था.

न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने कहा कि वह भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत निचली अदालत द्वारा आवेदक को हत्या के आरोप में सुनाई गई सजा से वह संतुष्ट थीं.

हाईकोर्ट की न्‍यायाधीश बेला त्रिवेदी की ओर से गत 25 सितंबर को पारित आदेश को गत सोमवार को ही हाईकोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया. इस आदेश में उल्लेख किया कि संजीव भट्ट को आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. अभियुक्तों के निर्दोष होने के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं.

हाईकोर्ट ने माना कि संजीव भट्ट अदालतों के प्रति सम्‍मान भाव नहीं रखते हैं तथा उच्चतम न्‍यायालय में गंभीर टिप्‍पणियां की। अदालत ने यह भी कहा कि संजीव भट्ट ने कोर्ट को जान-बूझकर गुमराह करने का प्रयास किया, जबकि उनके तथ्‍य सच से काफी दूर थे.

बचाव पक्ष के वकील बीबी नायक ने हाईकोर्ट को बताया कि यह मामला 30 साल पुराना होने के साथ काफी पेचीदा भी है. वहीं, वादी की ओर से दिए गए सबूत व बयानों में काफी विरोधाभास है, जिससे संजीव भट्ट के दोषी होने की पुष्टि नहीं हो जाती है. हाईकोर्ट ने अब इन सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए भट्ट को इस मामले में दोषी मानते हुए उनकी चाचिका को ही खारिज कर दिया.

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बता दें कि संजीव भट्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ खुलकर बोलने के लिए चर्चा में रहे हैं. उन्होंने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ होने का आरोप लगाते हुए उनके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा तक दिया था. भट्ट ने 14 अप्रैल 2011 को सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर आरोप लगाया था, ‘मोदी ने 27 फ़रवरी 2002 को एक बैठक में पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से कहा कि वे मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदुओं को अपना ग़ुस्सा बाहर निकालने दें.

भट्ट को 2015 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. वह 1996 में बनासकांठा जिले में पुलिस अधीक्षक थे.


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