चंद्र प्रकाश झा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का 17 वीं लोक सभा चुनाव लड़ना लगभग निश्चित है। लेकिन यह निश्चित रूप से अभी नहीं कहा गया है कि वे किस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। वह अभी लोकसभा में उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से सदस्य हैं। वहां से वह लगातार तीन बार – 2004 , 2009 और 2014 में जीत चुके हैं। फिर भी अगर उनके वहीं से फिर चुनाव लड़ने के बारे में कोई संशय है तो उसके ठोस कारण माने जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के 2017 में हुए पिछले चुनाव के बाद अमेठी और उसके आस पास के क्षेत्रों में ही नहीं इस राज्य में भी राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। 2014 में वहाँ समाजवादी पार्टी की सरकार थी, जिसने अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी। अब राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जो अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष की हार सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। अमेठी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के कुल पांच में से चार में भाजपा का चुनावी प्रभुत्व कायम हो चुका है। इसलिए भी राजनीतिक हल्कों में कयास लग रहे है कि राहुल गांधी इस बार अमेठी के साथ -साथ किसी ‘सुरक्षित’ सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नव घोषित गठबंधन ने रायबरेली में सोनिया गांधी और अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा नहीं करने की घोषणा कर दी है। लेकिन इससे राहुल गांधी के सिर्फ अमेठी से चुनाव लड़ने की संभावना पक्की नहीं मानी जा रही है। मौजूदा नियमों के अनुसार कोई भी एक-साथ दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है। लेकिन दोनों जगह जीतने पर उसे कोई एक सीट से इस्तीफा देना पड़ता है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने गृहराज्य गुजरात के वड़ोदरा और उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट, दोनों जगह चुनाव लड़े थे। उन्होंने दोनों जगह जीत जाने पर वड़ोदरा से इस्तीफा दे दिया था।
कयास हैं कि राहुल गांधी अमेठी से पलायन तो नहीं करेंगे लेकिन वह महाराष्ट्र के नांदेड़ अथवा मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से भी लोक सभा चुनाव लड़ सकते हैं। छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। कमलनाथ वहाँ 1980 से एक उपचुनाव को छोड़ लगातार जीतते रहे हैं। वह 1997 के उपचुनाव में भाजपा के सुन्दर लाल पटवा से करीब 40 हजार के मतों के अंतर से हार गए थे। वह भाजपा समेत किसी भी अन्य दल की वहाँ एकमात्र जीत है। वैसे भी मध्य प्रदेश विधान सभा के हालिया चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद से वहाँ राजनीतिक माहौल इस पार्टी के पक्ष में मजबूत माना जाता है।
नांदेड़ से अभी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौहान लोकसभा सदस्य हैं। यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, जहां भाजपा सिर्फ 2004 में जीती है। इसके अलावा 1989 और 1977 में ही कांग्रेस हारी है। अशोक चौहान के दिवंगत पिता एवं पूर्व गृहमंत्री शंकर चौहान भी यहीं से लोकसभा सदस्य चुने जाते रहे थे। नांदेड़ में कांग्रेस को पूर्व रक्षा मंत्री शरदपवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन मिलना निश्चित है। अशोक चौहान ने नांदेड़ से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्होंने मीडिया में इसकी अटकलें देखी हैं पर उनको पार्टी आला कमान से इसकी कोई खबर नहीं है। इसलिए वह इस बारे में और कुछ नहीं कहना चाहते हैं। महाराष्ट्र में अभी भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार है।
राहुल गांधी बतौर प्रत्याशी पहली बार 2004 में अमेठी के ही चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्हें 66.18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 3,90,179 मत प्राप्त हुए थे। तब उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी, बहुजन समाज पार्टी के चंद्र प्रकाश मिश्र को 2,90,853 मतों के अंतर से आसानी से हराया था। उस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी राम विलास वेदांती करीब 50 हजार वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से और भी आसानी से जीते। तब उन्होंने 71.78 वोट शेयर प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी, बहुजन समाज पार्टी के आशीष शुक्ला को करीब पौने चार लाख मतों के अंतर से हराया था। भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह केवल 37,570 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे। लेकिन 2014 के चुनाव में भाजपा ने वहाँ राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति जुबीन ईरानी को अपना प्रत्याशी बना मुकाबला कडा कर दिया। उनसे राहुल 1,07,903 वोटों के अंतर से ही जीत सके। गौरतलब बात यह रही कि स्मृति ईरानी का वोट शेयर 34.38 रहा और मुकाबला में उतरे बहुजन समाज पार्टी के धर्मेंद्र प्रताप सिंह 50 हजार से कुछ अधिक और आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास करीब 25 हजार वोट ही हासिल कर सके। अमेठी से हार जाने के बावजूद स्मृति ईरानी ने वहाँ अपना जनसंपर्क बनाये रखा और कुछेक सरकारी विकास कार्यों को भी आगे बढ़ाया। माना जाता है कि वह इस बार भी अमेठी से भाजपा की प्रत्याशी होंगी। इस बार उन्हें केंद्रीय मंत्री होने और राज्य में भाजपा की सरकार होने का फायदा भी मिलने की संभावना बताई जाती है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए उनके लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में प्रियंका गांधी की सक्रियता रही है।
उत्तर में बाराबंकी और फैज़ाबाद (अब अयोध्या), पश्चिम में रायबरेली, पूर्व में सुल्तानपुर और दक्षिण में प्रतापगढ़ से घिरे अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का सृजन 1967 में हुआ था। इसके पांच विधान सभा खंड है – तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी। अभी गौरीगंज पर समाजवादी पार्टी तथा तिलोई, सलोन, जगदीशपुर और अमेठी सीट पर भाजपा काबिज है। अमेठी से भाजपा विधायक गरिमा सिंह, संजय सिंह की पूर्व पत्नी हैं।
वैसे अमेठी लोकसभा सीट पर कुछेक बार को छोड़ कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। 1977 के चुनाव में यहाँ कांग्रेस के संजय गांधी, जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह से हार गए थे। लेकिन वह 1980 के चुनाव में जीत गए। एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी के निधन के बाद वहाँ 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी जीते। उस उपचुनाव में उनके खिलाफ शरद यादव लोक दल की तरफ से लड़े थे। 1984 के चुनाव में वहाँ राजीव गांधी के खिलाफ संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने बतौर निर्दलीय अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाई लेकिन वह विफल रहीं। बाद में मेनका गांधी भाजपा में शामिल होकर उत्तर प्रदेश की ही पीलीभीत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने लगीं। 1989 के चुनाव में अमेठी में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष कांशीराम ने राजीव गांधी का मुकाबला किया पर वह जनता दल के राजमोहन गांधी के बाद तीसरे स्थान पर ही रहे। राजीव गांधी ने 1991 तक अमेठी का प्रतिनिधित्व किया। राजीव गांधी की श्रीलंका के आतंकवादियों द्वारा की गई ह्त्या के बाद वहाँ उपचुनाव में उनके करीबी रहे कांग्रेस नेता कैप्टन सतीश शर्मा जीते। कैप्टन शर्मा 1996 के चुनाव में भी जीते लेकिन 1998 में भाजपा के संजय सिंह से हार गए। राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी, पिता राजीव गांधी और माँ सोनिया गांधी ने भी अमेठी से चुनाव जीते। सोनिया गांधी ने लोकसभा में 1999 से 2004 तक अमेठी का प्रतिनिधित्व किया था.
बहरहाल, भारतीय चुनावी राजनीति में दिग्गजों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में मजबूत प्रतिद्वंदियों से ‘ घेरने’ की एक पुरानी परम्परा रही है। इसलिए अगर राहुल गांधी अमेठी के साथ ही किसी अन्य सीट से भी चुनाव लड़ते हैं तो उनके खिलाफ भाजपा और अन्य की तरफ से भी कोई कमजोर प्रतिद्वन्द्वी शायद ही उतारा जाएगा।
(मीडिया विजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)