चुनाव चर्चा: तमिल सितारों के मेले में भरोसेमंद गठबंधन की तलाश


तमिलनाडु में आगामी चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के गठबंधन का पुरानी पीढ़ी का पुराना ढांचा लगभग टूट चुका है।




चंद्र प्रकाश झा 

तमिलनाडु में आगामी चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के गठबंधन का पुरानी पीढ़ी का पुराना ढांचा लगभग टूट चुका है। गठबंधन का नया ढांचा तैयार हो रहा है, जिसमें रजनीकांत और कमल हासन जैसे कुछेक फिल्मी सितारों की नई नवेली पार्टियों का भी समावेश हो सकता है। 

राज्य में सत्तारूढ़ ‘ आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) का केंद्र में सत्तारूढ़ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाना लगभग तय माना जा रहा है। लेकिन इसके साथ और कौन -कौन दल होंगे, यह अभी पूरी तरह तय नहीं है। इसी तरह मुख्य विपक्षी दल, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) का कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) के साथ होना तय हो गया है। इसमें किसी तरह के संदेह को डीएमके  प्रमुख एम के स्टालिन ने अपने पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि के चेन्नई में स्थापित प्रतिमा के हाल में अनावरण के उपलक्ष्य में आयोजित रैली में दूर कर दिया। कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये थे। लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली थी। करूणानिधि की  प्रतिमा का अनावरण स्टालिन के आमंत्रण पर यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी ने किया, जिसके राजनीतिक निहितार्थ उसी रैली में स्पष्ट हो गए। रैली में नई पीढ़ी की ओर से स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार के रूप में पेश करने का प्रस्ताव रख दिया। ऐसा संभवतः पहली बार हुआ। रैली में स्वयं राहुल गांधी और आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एवं मुख्यमंत्री नारा चंद्रा बाबू नायडू ही नहीं, केरल के मुख्यमंत्री एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पी विजयन भी उपस्थित थे।

राज्य में कई द्रविड़ पार्टियां है। फिल्मों से राजनीति में आने वालों की पार्टियों की भी राज्य में कमी नहीं है. इनमें से अभिनेता रजनीकांत की नई नवेली पार्टी का क्या रूख रहेगा इसके स्पष्ट संकेत अभी नहीं मिले हैं। भाजपा ने आगामी चुनाव में अभिनेता रजनीकांत की पार्टी को समर्थन देने के संकेत दिए हैं. रजनीकांत ने कुछ अरसा पहले अपनी पार्टी कायम करने की घोषणा की थी , जिसका चुनावी ढांचा तैयार किया जा रहा है। 

उधर , फिल्म अभिनेता कमल हासन ने  हाल में कहा कि  इसी बरस फरवरी में बनी उनकी पार्टी , मक्कल नीधी मैयम ( एमएनएम ) ने उन्हें लोक सभा चुनाव के लिए समविचारी दलों के साथ गठबंधन के लिए अधिकृत कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि वह भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि विधान सभा की 20 सीटों पर उपचुनाव में उनकी पार्टी अपने प्रत्याशी खड़े करेगी, जो है। ये उपचुनाव दो विधायकों के निधन से रिक्ति और अन्ना द्रमुक के 18 सदस्यों की सदस्यता समाप्त  हो जाने के कारण होने हैं। कमल हासन ने हाल में कहा था कि उनकी पार्टी  कांग्रेस से हाथ मिला सकती है बशर्ते कि वह द्रमुक के साथ न रहे।  लेकिन कांग्रेस ने उनकी यह पेशकश नामंजूर कर दी।

फिल्म निदेशक -अभिनेता रहे विजयकांत उर्फ कैप्टन के नेतृत्व वाले देसिया मुरपोकु द्रविड़ कषगम (डीएमडीके ) ने 2014 के लोकसभा चुनाव के ऐन पहले  भाजपा के साथ गठबंधन किया था। डीएमडीके ने 14 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये थे। लेकिन वह कोई सीट नहीं जीत सकी।  वह 2016 के विधान सभा चुनाव में भाजपा गठबंधन से छिटक गई। डीएमडीके ने विधानसभा चुनाव में नवगठित पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट ( पीडब्लूएफ ) से गठबंधन कर 104  सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े किये। लेकिन उनमें से कोई नहीं जीता।   विजयकांत ने आगामी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करने की संभावना से स्पष्ट  इंकार किया है। विजयकांत ने अपनी पार्टी 2005 में बनायी थी। वह पिछले विधान सभा चुनाव से पहले सदन में विपक्ष के नेता रहे थे।

लोकसभा के  2014 के पिछले चुनाव में तमिलनाडु में जो राजनीतिक परिदृश्य था वह काफी बदल चुका है। उस चुनाव में एआईएडीएमके ने 39 में से 37 सीटें जीती थी।  उसके बाद  मौजूदा 15 वीं विधान सभा के 2016 में हुए चुनाव में भी एआईडीएमके गठबंधन ने  234 में से 134  सीटें जीती थी। द्रमुक के गठबंधन को 98 सीटें ही मिल सकी थी।  तब राज्य की मुख्यमंत्री एवं अन्नाद्रमुक प्रमुख रही जे जयललिता दिवंगत हो चुकी हैं। सितम्बर 2014 में एक विशेष अदालत ने जयललिता को ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति  होने के मामले में दोषी ठहरा कर चार वर्ष की कैद की सज़ा सुनाई थी। इसके खिलाफ अपील पर भी सज़ा बरकरार रखे जाने पर उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। लम्बी बीमारी के बाद उनका चेन्नई के एक अस्पताल में 5 दिसंबर 2016 को निधन हो गया। उनके निधन पर पहले ओ पनीरसेल्वम  ‘ अंतरिम ‘ मुख्यमंत्री बने जिनकी जगह 16 फरवरी 2017 को ई के पलानीस्वामी मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए। पनीरसेल्वम  अभी उपमुख्यमंत्री हैं। राज्य में अन्नाद्रमुक की सरकार बरकरार तो है पर उसकी लोकप्रियता पर गहरे संदेह उठे हुए हैं।

यह राज्य ब्रिटिश शासनकाल में ‘ मद्रास प्रेसिडेंसी’ का भाग था जिसे स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद  विभक्त कर मद्रास नाम से ही पृथक राज्य का गठन किया गया। इसका नाम 1968  में बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया। तमिलनाडु में द्विसदनात्मक लोकतंत्र था, जिसे 1986 में  एकसदनात्मक कर दिया गया। तमिलनाडु शब्द तमिल भाषा के तमिल तथा नाडु शब्दों से बना है , जिसका अर्थ है तमिलों का देश। यह  चेर, चोल तथा पांड्य राजवंशों की भूमि रही। प्राचीन ‘ संगम साहित्य ‘ में यहाँ का प्रचुर  विवरण है। 1670 तक राज्य का लगभग सम्पूर्ण क्षेत्र मराठों के अधिकार में आ गया था।  मराठे अधिक दिनों तक शासन में नहीं रह सके। बाद में मैसूर स्वतन्त्र हो गया। 1799 में चौथे आंग्ल-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद यह अंग्रेजी शासन में आ गया। तमिल नाडु का क्षेत्रफल 130058 वर्ग किलोमीटर है। इसके  उत्तर में आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम में केरल और कर्नाटक , दक्षिण में हिन्द महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी हैं। उत्तरपूर्व में पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश  है। जलवायु मानसून पर निर्भर है। कावेरी सबसे प्रमुख नदी है जिसके जल के बंटवारे को लेकर उसका कर्नाटक से विवाद रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार तमिल नाडु की जनसंख्या 7.21 करोड़ है जो देश की कुल जनसंख्या का करीब 6 प्रतिशत है। साक्षरता दर करीब 80 प्रतिशत है , जो राष्टीय औसत से अधिक है।

इस बीच , आईआईएडीएमके ‘ बागी ‘ नेता एवं आरकेनगर से विधायक टीटीवी धीणाकरण ने शशिकला गुट की तरफ से  कुछ माह पहले ‘  अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम ‘ नाम से एक और द्रविड़ पार्टी गठित कर कहा कि अगर कांग्रेस, द्रमुक का साथ छोड़ दे तो वह कांग्रेस से हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं।  लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एस थिरु नवूक्करसर ने यह पेशकश अस्वीकार कर दी। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एम कृष्णास्वामी के अनुसार भाजपा के खिलाफ राज्यव्यापी माहौल के कारण कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ होना चाहते हैं।  यही कारण है कि वायको की पार्टी एमडीएमके की तरह रामदौस की पार्टी पीएमके ने भी भाजपा से गठबंधन नहीं करने की घोषणा कर कांग्रेस से हाथ मिलाने का इरादा जाहिर किया है। 

लेकिन भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एस आर शेखर के अनुसार क्षेत्रीय दल ऐसा भाजपा के साथ गठबंधन में अपनी सीटों में वृद्धी की सौदेबाजी के लिए कह रहे हैं और वे अंततः भाजपा के साथ ही आ जाएंगे।  एएमएमके ने आगामी लोक सभा चुनाव में राज्य के अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ भी हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं।  लोक सभा उपाध्यक्ष एवं एआईएडीएमके  नेता थम्बी दुरई ने कुछ समय पहले कहा था कि डीएमके का भाजपा के साथ ‘ गुप्त समझौता ‘ है।  उन्होंने इसके साक्ष्य होने का भी दावा किया।  डीएमके ने इसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा है कि जयललिता के निधन के बाद से एआईएडीएमके केंद्र की मोदी सरकार का मोहरा बन कर रह गई है। उसने मोदी सरकार का लगातार समर्थन किया है।

द्रविड़ पार्टियों में से वी गोपालास्वामी ( वाइको ) की मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम ( एमडीएमके ) का 2014 के लोक सभा चुनाव में भाजपा गठबंधन था। एमडीएमके सात सीटों पर चुनाव लड़ी थी।  पर वह कोई सीट जीत नहीं सकी। उसने लोक सभा चुनाव के तुरंत बाद भाजपा का साथ छोड़ दिया। वायको 2016 के विधान सभाचुनाव में वामपंथी दलों , जी के वासन की तमिल मानिला कांग्रेस (टीएमसी ) , पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट,  फिल्मों से राजनीति में आये विजयकांत के डीएमडीके आदि दलों के साथ थे। एमडीएमके ने अब डीएमके के साथ होने का निर्णय किया हैं। एमडीएमके ने यह संकेत भी दिए हैं कि उसका कांग्रेस के साथ गठबंधन के प्रति विरोध नहीं है। कांग्रेस ने राज्य में सिर्फ दो बार – 1977 और 1989 में गठबंधन का नेतृत्व किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एस रामादोस की पट्टाली मक्कल कटची ( पीएमके ) भाजपा से पहले ही छिटक चुकी है। वह 2014 के लोक सभा चुनाव में भाजपा के साथ थी। एस रामादोस ने अपने पुत्र अंबुमणि रामादोस को मोदी सरकार में मंत्री बनाने की मांग की थी। बाद में  पीएमके ने 2016 के विधान सभा चुनाव में अंबुमणि रामादोस को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने की शर्त रखी थी। उसने यह शर्त नहीं माने  जाने पर भाजपा का साथ छोड़ दिया।

देखना यह है कि भाजपा इस राज्य में द्रमुक -कांग्रेस आदि के गठबंधन को चुनावी बढ़त लेने से रोकने के लिए क्या करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनवरी 2019 में प्रस्तावित तमिलनाडु यात्रा में भाजपा के सहयोगी दलों की तलाश में तेजी लाने की पूरी संभावना लगती है। 

(मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)