कश्मीर में हालात सामान्य नहीं है, एक ओर जहां हाल ही में वहां भारी संख्या में सेना की तैनाती हुई है, वहीं आतंकी हमले और सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अमरनाथ यात्रा को भी बीच में रोक कर सभी पर्यटकों को कश्मीर छोड़ने को कहा गया है. इस बीच कश्मीर के नेताओं के लगातर ट्वीट आ रहे हैं. सब चिंतित है. अफ़वाह है कि धारा 35A को हटा दिया गया है. ऐसे में सोशल मीडिया पर #ऑपरेशन_कश्मीर’ ट्रेंड कर रहा है. सेना की भारी तैनाती और राजनीतिक बयानों और अफ़वाहों की पड़ताल करता यह विश्लेषण : संपादक
अंदरूनी सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि इस साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से देश की आवाम को एक चौंकाने वाली खबर दे सकते हैं। ये खबर क्या हो सकती है? सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार जम्मू को एक स्वतंत्र राज्य घोषित करके कश्मीर और लद्दाख को यूनियन टेरीटरी (केंद्र शासित) घोषित कर सकती है। इसीलिए घाटी में इतने सैन्य और अर्द्धसैन्य टुकड़ियाँ जमा की जा रही हैं। क्या इन बातों को सही माना जाये ? हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा या जानकारी जारी नहीं हुई है.
Jammu & Kashmir: Rapid Action Force (RAF) reaches Jammu. pic.twitter.com/Ei6VcMbyzr
— ANI (@ANI) August 3, 2019
Jammu & Kashmir: Former J&K Chief Minister and National Conference leader Omar Abdullah arrives at Raj Bhawan in Srinagar to meet Governor Satya Pal Malik. pic.twitter.com/OGNZejWhX7
— ANI (@ANI) August 3, 2019
घाटी में सेना का जमावड़ा
केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में पहले 10 हजार अतिरिक्त अर्द्ध सौनिकों को तैनाता करना और उसके हफ्ते भर के अंदर ही गृह मंत्रालय द्वारा 28 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती का मौखिक आदेश जारी करना, इसके अलावा अगले कुछ दिनों में 100 अन्य सैन्य टुकड़ियों के भी कश्मीर भेजे जाने की सुगबुगाहट है।
Srinagar: In view of the ongoing situation in Kashmir valley, Government has put the Air Force and the Army on high operational alert. https://t.co/pt36FNkC3g
— ANI (@ANI) August 2, 2019
कुल 35 हजार से अधिक सैनिकों की तैनाती के अलावा वायसेना व सेना को हाई एलर्ट पररखना, सभी रास्तों को केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के हवाले सौंपना,अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को जम्मू कश्मीर से जल्द लौटने के लिए अडवाइजरी जारी करना, स्कूलों की छुट्टिया बढ़ाना इस आशंका को और पुख्ता करता है।
राज्यपाल ने कहा कि अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की पुख्ता सूचना मिलने के बाद ही ये अलर्ट जारी किया गया है.
जम्मू-कश्मीर राज्य को दी गई संवैधानिक गारंटी: सीपीपी समूह ने भारत सरकार को बताया
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की जम्मू-कश्मीर नीति नियोजन समूह की बैठक हुई। इसमें करण सिंह, गुलाम नबी आजाद नेता,पी. चिदंबरम, अंबिका सोनी,, तारिक हामिद, गुलाम अहमद मीर, नवांग रिगज़िन जोरा आदि शामिल हुए।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार दोनों की ओर से जारी रिपोर्टों पर जो सरकार के इरादे राज्य में आतंक और भय का माहौल बना रही हैं पर चिंता प्रकट की गई।राज्य में सुरक्षा बलों का भारी जमावड़ा, अमरनाथ यात्रा रद्द करना, पर्यटकों, यत्रियों और अन्य नागरिकों के लिए जारी की जा रही एडवायजरी लोगों में असुरक्षा और भय का माहौल पैदा कर रही हैं। समूह ने सरकार से ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया जो एक गहरे संकट का कारण बने।
समूह ने जम्मू-कश्मीर राज्य भर में लोगों के मन में व्यापक भय और आशंका और अनुच्छेद 35 ए और 370 को समाप्त करने के सरकार के इरादे के बारे में चर्चा की। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की नीति को दोहराया और सरकार से जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए संवैधानिक गारंटी को बनाए रखने के लिए कहा।
महबूबा मुफ्ती का ट्वीट
“आप एकमात्र मुस्लिम बाहुल्य वाले राज्य का प्यार हासिल करने में विफल रहे जिसने आपके धार्मिक आधार पर विभाजन को खारिज कर दिया और धर्मनिरपेक्ष भारत को चुना। लेकिन आखिरकार सब खत्म हो गया और भारत ने जनता पर टेरीटरी (अधिकार) चुन लिया है।
मुफ्ती साहब हमेशा कहा करते थे कि कश्मीरियों को जो भी मिलेगा, वह उनके ही देश भारत से होगा। लेकिन आज वही देश, अपनी ‘विशिष्ट पहचान’ को बनाए रखने के लिए जो कुछ भी बचा था, उसे लूटने की तैयारी करता दिख रहा है।”
You failed to win over the love of a single Muslim majority state which rejected division on religious grounds & chose secular India. The gloves are finally off & India has chosen territory over people.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 2, 2019
उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट किया है :
It’s easy to accuse us of spreading fear but no one is bothering to tell the people what is happening so how do you expect that fear won’t be a natural result of this situation that has been allowed to fester?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 2, 2019
Have covered Kashmir for 30 years now. Yatra never been cancelled, not even after the terror attack two years ago https://t.co/velc6X7gHS
— Harinder Baweja (@shammybaweja) August 3, 2019
अनुच्छेद 35A को रद्द करने के लिए किसी भी कदम का विरोध करने के लिए तैयार: मीरवाइज
हुर्रियत कांफ्रेंस (एम) के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की सभा को संबोधित करते हुए कहा, “राज्य की जनसांख्यिकी और इसके मुस्लिम बहुमत चरित्र को बदलने के लिए अनुच्छेद 35A को हटाने की आशंकाएं व्याप्त हैं। पिछले तीन वर्षों से इसके खिलाफ इसे चुनौती देने के लिए भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न जनहित याचिकाएँ दायर की गई थीं।”
मीरवाइज ने कहा कि ऐसे उपायों से वास्तविकता नहीं बदलेगी कि कश्मीर मुद्दा एक मुद्दा है और इसे हल किया जाना चाहिए। “पूरी दुनिया भारत और पाकिस्तान को इसे हल करने के लिए कह रहा है और मध्यस्थता की पेशकश भी कर रहा है। यदि भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व वास्तव में अपने लोगों के लिए चिंतित है, तो वे राज्य-कौशल दिखाएंगे और बात करने के लिए सहमत होंगे। अंतत: यह केवल भारत पाकिस्तान और कश्मीरियों का ही स्थायी समाधान हो सकता है।
कश्मीर पर संसद में पीएम चुप्पी क्यों बनाए हुए हैं: तारिगामी
माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा- “संसद सत्र चल रहा है और प्रधानमंत्री सदन को विश्वास में क्यों नहीं ले रहे हैं? सरकार देश को अंधकार में क्यों रख रही है? सरकार को देश को विश्वास में लेना चाहिए और पीएम को अब संसद में बयान देना चाहिए।
अपने बयान में उन्होंने कहा, “वायु सेना को हाई अलर्ट पर रखने और अतिरिक्त बलों को तैनात करने की क्या आवश्यकता थी? अमरनाथ यात्रा अच्छी भली सुचारू रूप से चल रही है, कहा जाता है कि कश्मीर में हालात सुधर रहे हैं। राज्यपाल ने हाल ही में अनुच्छेद 35 ए के निरस्तीकरण की अटकलों को अफवाह करार दिया था। फिर ऐसे तात्कालिक कदम उठाने की क्या ज़रूरत है? ”
तारिगामी ने कहा और ईद को सिर्फ 10 दिन दूर हैं और इस प्रकार का आतंक का माहौल आने वाले त्योहारों का माहौल खराब होगा।
कश्मीर व लद्दाख को यूनियन टेरीटरी और और जम्मू को स्वतंत्र राज्य बनाने की अफवाह
सरकार की ओर से चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन और जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने श्रीनगर की प्रेसवार्ता में भले ये कह रहे हों कि कि घाटी में आतंकी हमला होने की सूचना, और अमरनाथ यात्रा मार्ग पर आईइडी और एम-24 अमेरिकी स्नाइपर राइफल बरामद होने के बाद एहतियातन ये कदम उठाया गया है लेकिन अफवाहें और आशंकाएं इसके इतर भी हैं। कहीं काश्मीरी अस्मिता से जुड़ा 35ए व धारा 370 हटाने की अफवाह है तो कहीं जम्मू को स्वतंत्र राज्य बनाकार, लद्दाख और कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाने की अफवाह है. तो कहीं पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा करने के लिए उस पर हमला करने की अफवाह है। फिलहाल घाटी से लेकर दिल्ली और देश के दूर दराज के गांवों तक अफवाहें और आशंकाएं व्याप्त हैं।
जम्मू कश्मीर में एटीएम और पेट्रोल पंप हुए खाली
इतनी बड़ी संख्या में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से कश्मीरी आवाम में भय, चिंता और आक्रोश है।लोगों को आशंका है बुरहान बानी के मौत जिस तरह से हालात बहुत लंबे समय तक खराब रहे फिर वैसे ही लंबे समय के हालात खराब होने जा रहे हैं। किसी भयावह घटित होने की आशंका के चलते घाटी के लोग-बाग राशन, ईंधन, दवाईयां जैसी बेहद ज़रूरी चीजों का स्टॉक करने लगे हैं। पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइन लगी हैं।अधिकांश एटीम खाली हो चुके हैं, पेट्रोल पंपों का भी यही हाल है। जिन पेटोंल पंपो पर तेल है भी वहां 200-400 गाड़ियाँ लंबी लाइन में लगी हैं।
कश्मीरी अस्मिता पर हमला
कश्मीर केंद्र सरकार के लिए राष्ट्रवाद की प्रयोगशाला है। पुलवामा हमले को सरकार वोट में तब्दील करने में कामयाब रही। यही कारण है कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार काश्मीरी अस्मिता पर हमले कर रही है।सत्ता में वापसी के तुरंत बाद जम्मू, कश्मीर परिसीमन आयोग के गठन की बात को लेकर सियासी जमीन पिछले महीने से ही गरम है।अब काश्मीर में 35,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती करने के साथ ही पूरे देश में हलचल है कि केंद सरकार कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने और कश्मीरी आवाम के हितों की रक्षा करने वाले धारा 35ए और धारा 370 हटाकर काश्मीर को यूनियन टेरीटरी और जम्मू को स्वतंत्र राज्य बनाने जा रही है। यदि केंद्र सरकार सचमुच ऐसा कुछ करने जा रही है तो देश को इसके भयावह दूरगामी दुष्परिणाम भुगतने होंगे।
बाबरी मस्जिद गिराए जाने का दंश देश आज तक झेल रहा है।
1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की प्रतिक्रिया में ही इस देश में सांप्रदायिक आतंकवाद की शुरुआत हुई, जिसका दंश देश आज तक झेल रहा है। तब से अब तक लाखों लोग इसकी बलि चढ़ चुके हैं। समाज का सांप्रदायिक सौहार्द्र बुरे हद तक प्रभावित हुआ है। समाज में सांप्रदायिक विभाजन और नफ़रत बढ़ा है। जिसकी एक सूरत मॉब लिंचिंग के रूप में सामने है।
बिगड़ते हालात और कश्मीर का प्रतिक्रियावादी समाज
तीन दशकों से भारतीय सैन्य और दहशतगर्दों की बर्बरता का दोहरा मार झेलते झेलते कश्मीरी समाज प्रतिक्रियावादी हो गया है। भाजपा आरएसएस ने जिस तेजी से हिंदू उग्रवाद को बढ़ावा दिया उसके उलट उतनी ही तेजी से कश्मीरी युवाओं में इस्लामिक रेडिकलाइजेशन हुआ। काश्मीरी युवा अब जान हथेली पर लेकर उत्पीड़न का प्रतिकार करने लगे हैं। कश्मीर के स्कूली युवक युवतियां पैलेटगन और राइफल के सामने पत्थर लेकर खड़े हो रहे हैं। पत्थर से किसी की मौत नहीं हो सकती लेकिन इन हाथों में पत्थर की जगह ग्रेनेड आ जाए तो? पत्थर उठानेवाले युवा हाथों में कोई हथियार भी थमा सकता है इस तरह से क्यों नहीं सोचा जाता?
इसके अलावा पिछले तीन वर्षों में सेना के एनकाउंटर में मारे गए कथित फिदायिनों के जनाज़े पर जबर्दस्त जन सैलाब उमड़ता दिखा है। पहले किसी कथित आतंकी की मौत पर ये नहीं दिखता था। ये सिलसिला बुरहान बानी की मौत से शुरू होता है। बुरहान बानी को नमाजे जनाजा अता करने के लिए करीब 20 हजार लोग जुटे थे। यही नहीं वहां उमड़े लोगो ने उसे शहीद कहा और जिंदाबाद के नारे लगाए।
ऐसे में ये आशंका और बढ़ जाती है कि गर केंद्र सरकार ने देश के एकमात्र मुस्लिम बाहुल्य राज्य जम्मू-कश्मीर के भौगोलिक और राजनीतिक नक्शे में हेर-फेर जन सांख्यिकीय आंकड़ों को बदला और कश्मीरी अवाम की ‘कश्मीरियत’ पहचान को मिटाने की कोशिश की तो न सिर्फ घाटी जल उठेगी अपितु इसके दुष्परिणाम पूरे मुल्क को भुगतने होंगे।