विज्ञान भवन के अंदर पहुँचा आंदोलन, किसानों ने दो टूक पूछा-कृषि क़ानून रद्द करोगे या नहीं?


किसानों ने बहस करने से इंकार कर दिया। सरकार के सामने एक ही सवाल रखा कि क़ानून रद्द होगा कि नहीं- हाँ या न में जवाब दे सरकार। विज्ञान भवन के अंदर भी आंदोलन जैसे हालात पैदा हो गये। पर्चों पर ‘हाँ’ या ‘न’ लिखकर सरकार के प्रतिनिधियों की ओर किसान नेता लहराने लगे। इस बीच किसानों ने आज फिर सरकार की ओर से की गयी लंच की पेशकश ठुकरा दी और लंगर से लाया गया अपना खाना खाया।


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सरकार और किसान संगठनों के बीच आज हुई बातचीत से भी कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार ने आज फिर कुछ संशोधनों का लॉलीपॉप दिखाया लेकिन किसान नेता सरकार के जाल में नहीं फँसे। उन्होंने साफ़ कह दिया कि क़ानून निरस्त करने के अलावा कोई चीज़ वे मंज़ूर नहीं करेंगे। आख़िरकार सरकार ने फिर समय माँगा है। अब अगले दौर की वार्ता 9 दिसंबर को होगी।

आज वार्ता करीब ढाई बजे शुरू हुई। सरकार की ओर से फिर कहा गया कि वह कुछ संशोधनों के लिए तैयार है। लेकिन किसानों ने कहा कि ये तो पहले ही बात हो चुकी है। थोड़ी देर बाद किसानों ने बहस करने से इंकार कर दिया। सरकार के सामने एक ही सवाल रखा कि क़ानून रद्द होगा कि नहीं- हाँ या न में जवाब दे सरकार। विज्ञान भवन के अंदर भी आंदोलन जैसे हालात पैदा हो गये। पर्चों पर ‘हाँ’ या ‘न’ लिखकर सरकार के प्रतिनिधियों की ओर किसान नेता लहराने लगे। इस बीच किसानों ने आज फिर सरकार की ओर से की गयी लंच की पेशकश ठुकरा दी और लंगर से लाया गया अपना खाना खाया।

आज की बैठक के पहले सुबह प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के बीच बैठक हुई। इस बैठक के बाद कृषि मंत्री ने उम्मीद जतायी कि मीटिंग में रास्ता निकल आयेगा। उन्होंने यह भी अपील की कि बच्चों और महिलाओं को किसान नेता धरने से वापस बैठें। ठंड और कोरोना के खतरे को देखते हुए यह ज़रूरी है।

लेकिन किसान संगठनों से बैठक के में सरकार को पता चल गया कि उसके पास कोई रास्ता नहीं है। हारकर उसने फिर कुछ दिन का वक्त मांग लिया। साथ ही किसानों को लुभाने के लिए यह कहकर प्रशंसा भी की कि किसान  आंदोलन न सिर्फ अराजनीतिक है, बल्कि बहुत शांतिपूर्ण भी है।

इधर दिल्ली पर किसानों का दबाव बढ़ता जा रहा है। देश के कई हिस्सों से किसान दिल्ली पहुँच रहे हैं। आठ दिसंबर को भारत बंद बड़े पैमाने पर सफल करने की तैयार तेज़ हो गयी है। आज देश भर में पीएम मोदी और कारपोरेट कंपनियों का पुतला फूँक कर उन्होंने अपना इरादा साफ़ कर दिया है।