मुज़फ्फ़रपुर: पत्रकार पर सांसद की छवि खराब करने के आरोप में एफआईआर दर्ज

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एक ओर देश में एक बड़े पत्रकार पर, सांप्रदायिकता फैलाने और भ्रामक-छवि खराब करने वाली झूठी ख़बर चलाने को लेकर, एफआईआर दर्ज होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट उसकी अंतरिम राहत की अपील की सुनवाई के लिए तुरंत तैयार हो जाता है। तो दूसरी ओर बिहार में एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़, एक सांसद इसलिए एफआईआर कर देता है क्योंकि उसने सांसद निधि के बाबत, सार्वजनिक रूप से कुछ सवाल कर लिए थे।

पत्रकार पर एफआईआर

मुज़फ्फ़रपुर से भाजपा सांसद अजय निषाद ने स्थानीय पत्रकार पर अपनी छवि ख़राब करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है। दरअसल सांसद अजय निषाद ने कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सांसद निधि से 1 करोंड़ रुपए देने की बात कही थी। इसी बात पर लोकेश पुष्कर नाम के स्थानीय पत्रकार ने सवाल किया कि जब आपके पास 54 लाख ही हैं तो आप 1 करोंड़ कैसे देंगे ? बस इसी बात पर सांसद महोदय ने पत्रकार पर उनके ख़िलाफ़ गलत तथ्य प्रसारित करने और उनके नाम को ख़राब करने को लेकर एफआईआर करवा दी। जबकि लोकेश पुष्कर का कहना है कि जब उन्होंने ये ख़बर चलायी थी तो उस समय mplads.gov.in पर 54 लाख का ही आंकड़ा दिखा रहा था। इस घटना के बाद डीएसपी ने सांसद महोदय की बात को सही पाया और अब पत्रकार को गिरफ़्तार करने के लिए तलाश किया जा रहा है।

सांसद निधि को लेकर पत्रकार ने पोस्ट के माध्यम से माँगा था स्पष्टीकरण  

27 मार्च 2020 को सांसद अजय निषाद ने डीएम के नाम एक पत्र लिखकर बताया कि मैं क्षेत्र विकास निधि से कोविड 19 से लड़ने के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करने की अनुशंसा करता हूँ। इस पत्र के बाद 29 मार्च को लोकेश पुष्कर ने अपनी रिपोर्ट एक वीडियो के साथ पोस्ट की, जिसमें mplads.gov.in की वेबसाइट पर जो आकंड़े थे उनकी स्क्रीन रिकॉर्डिंग भी थी। पोस्ट में लोकेश ने लिखा था कि जब सांसद अजय निषाद के विकास निधि खाते में ही 54 लाख रुपये हैं तो फ़िर कैसे ये 1 करोड़ रुपये देंगे ? लेकिन 29 मार्च को ही लोकेश पुष्कर ने एक और पोस्ट किया जिसमें उसने अपनी पहली रिपोर्ट का खंडन करते हुए लिखा था कि छानबीन से पता चला है कि सांसद फंड से जनता को 1 करोड़ रुपये ही मिलेंगे। लोकेश पुष्कर का कहना है कि “जब हमने रिपोर्ट तैयार की थी तब जो राशि खर्च नहीं होने की वजह से उपलब्ध थी वो 54 लाख ही थी और फ़िर जब mplads.gov.in की वेबसाइट पर राशि अपडेट हुई तो उसका खंडन भी छापा गया और हमने तो रिपोर्ट पोस्ट करके कहा था कि सांसद महोदय को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए।” लोकेश बताते हैं कि “हमने रिपोर्ट पोस्ट करने से पहले भी सांसद से संपर्क करके इस बारे में जानना चाहा तो उनसे कोई बात नहीं हो सकी। हमने कई बार संपर्क की कोशिश की थी।”

सरकारी वेबसाइट पर की गयी आकंड़ों की जाँच

लोकेश की बात को जांचने के लिए हमने (24 मार्च 2020 को) भारत सरकार की mplads.gov.in की वेबसाइट पर जाकर देखा तो सांसद अजय निषाद के पास उपलब्ध राशि 3.04 करोड़ दिखाई दे रही है। साथ ही लास्ट रिलीज़ डेट में 26 मार्च दिखायी देगा। अगर हिसाब लगाएंगे तो 26 तारीख़ से पहले उनके अकाउंट में मौजूदा राशि 54 लाख ही होगी लेकिन 29 तारिख को लोकेश पुष्कर द्वारा जारी रिपोर्ट को एमपीलैड फंड रिलीज़ के हिसाब से देखा जाये तो वो भी गलत ही थी।

24 मार्च 2020 को लिया गया स्क्रीनशॉट

सांसद अजय निषाद के निजी सचिव से हुई बातचीत में उन्होंने अपनी पत्र वाली बात स्वीकार की है। पत्र में लिखा है कि “पिछले कई वर्षों से लोकेश पुष्कर सांसद अजय निषाद के ख़िलाफ़ गलत एवं फर्जी सूचनाएँ फ़ैलाते रहे हैं। अभी तक हमने कुछ भी नहीं किया था लेकिन आज कोरोना महामारी के समय में इस तरह की गलत जानकारियाँ देकर वो सांसद जी की छवि को ख़राब करने का प्रयास कर रहें हैं।” पत्र में लोकेश पुष्कर पर एफआईआर करने की बात भी लिखी गयी है।

 

जानकर ने वेबसाइट में तकनीकी समस्या को बताया ज़िम्मेदार

बीबीसी की एक रिपोर्ट में एमपीलैड फंड को लेकर रिसर्च और पालिसी से जुड़े अभिषेक रंजन कहते हैं कि “ये सारा मामला वेबसाइट के अपडेट होने की देरी की वजह से है।” इस मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। यह तकनीकी गड़बड़ी की वजह से भी होता है।” अभिषेक रंजन अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सांसद निनौंग एरिंग और राज्यसभा सांसद दिलीप कुमार टिर्की के साथ काम कर चुके हैं।

पत्रकार लोकेश पर हो सकती है कुर्की की कार्रवाई

मुज़फ्फ़रपुर के स्थानीय अख़बारों में छपी ख़बर
मुज़फ्फ़रपुर के स्थानीय अख़बारों में छपी ख़बर

मुज्ज़फरपुर के नगर थाने में दर्ज एफआईआर के बाद हुई जाँच में लोकेश पुष्कर पर लगे आरोप सही पाए गए हैं। साथ ही नगर डीएसपी द्वारा कहा गया है कि “पत्रकार लोकेश इसके पहले भी सांसद के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें कहते रहे हैं और इस मामले में पत्रकार लोकेश पुष्कर द्वारा दी गयी रिपोर्ट भ्रामक व तथ्य के हिसाब से भी गलत है।” जिसको देखते हुए आरोप सत्य पाए गए हैं। स्थानीय अख़बारों में आई खबर के हिसाब से लोकेश पुष्कर गिरफ़्तार नहीं हुए हैं वो फ़रार हैं। नगर थाने के दरोगा सुनील पंडित को गिरफ़्तारी का आदेश दिया गया है। लोकेश पुष्कर के गिरफ़्तार न होने पर कुर्की की कार्रवाई की जा सकती है।

इस मामले में कुछ सवाल उठते हैं:

वेबसाइट अपडेट न होने की ज़िम्मेदारी किसकी है ?

अगर वेबसाइट में कोई समस्या हो रही है तो उसका निराकरण कौन करेगा ?

साथ ही लोकेश पुष्कर ने सांसद अजय निषाद से स्पष्टीकरण माँगा था, स्पष्टीकरण देने के बजाय पुलिसिया कार्रवाई की ज़रूरत क्यों आ पड़ी ?

लोकेश पुष्कर ने उस समय mplads.gov.in वेबसाइट पर मौजूद सूचनाओं को आधार बनाकर सवाल किया था और साथ ही वेबसाइट की स्क्रीन रिकॉर्डिंग की थी तो उस वीडियो और रिपोर्ट में हुई त्रुटी लोकेश की त्रुटी क्यों मानी जा रही है ?

साल 2020 में भारत विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में दो नंबर नीचे आ गया, जिसकी बड़ी वजह पुलिस की हिंसा, राजनैतिक दलों और अपराधियों द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाया जाना भी बताया गया है। सोर्स- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर