दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरपर्सन ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने देशद्रोह के मामले में एफआईआर दर्ज की है। ये एफआईआर दिल्ली में ही वसंतकुंज के एक निवासी कौशल कांत मिश्रा की शिकायत पर दर्ज की गई है। एफआईआर में ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान के ख़िलाफ़ सेक्शन 124 A (देशद्रोह) और 153 A (धर्म, जाति, जन्मस्थान के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच नफ़रत फैलाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मीडिया विजिल के पास पहुंची एफआईआर की कॉपी में लिखा गया है कि अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स के ज़रिए ज़फ़रूल इस्लाम ख़ान ने पहले से संवेदनशील माहौल में धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वाली उकसावेपूर्ण टिप्पणियां की हैं।
दरअसल 28 अप्रैल को दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के अध्यक्ष, ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कुवैत का, भारत के मुस्लिमों के साथ आने का शुक्रिया अदा किया था। इस पोस्ट में ख़ान ने लिखा था कि भारत में हिंदुत्ववादी ब्रिगेड की ओर से लगातार मुस्लिमों पर निशाना साधा जा रहा है, ऐसे में कुवैत का साथ देने के लिए आभार। उस पोस्ट में वो ये भी लिख देते हैं कि मुस्लिमों के प्रति हमलावर होने वालों को ये नहीं भूलना चाहिए कि इस्लाम के मानने वाले दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं। साथ ही जिन कई लोगों का नाम वो इस्लामिक दुनिया के विद्वानों के तौर पर मेंशन करते हैं, उसमें ज़ाकिर नायक का नाम भी था। ज्ञात हो कि ज़ाकिर नायक पर भारत में कई संगीन मामले दर्ज हैं, जिसके चलते वे लंबे समय से देश से बाहर ही शरण लेकर रह रहे हैं।
ऐसे में इस पोस्ट के आने के साथ ही विवाद शुरु हो गया। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक, ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान को घेरा जाने लगा और इसको लेकर कुछ टीवी चैनल्स और बाकी सोशल मीडिया पर लगातार पूरे समुदाय पर निशाना साधा गया। अगले ही दिन ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान ने सोशल मीडिया पर ही अपनी इस पोस्ट को लेकर एक माफ़ीनामा भी जारी कर दिया। लेकिन बात यहां रुकी नहीं। विहिप ने पूरे देश में ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाने का एलान कर दिया।
अब दिल्ली में देशद्रोह की धारा के साथ ये एफआईआर दर्ज हो चुकी है। आपको बताते चलें कि एफआईआर दर्ज करवाने वाले कौशल कांत मिश्रा, कोई और नहीं हैं – यूथ फॉऱ इक्वलिटी एनजीओ के प्रमुख हैं। ये वही एनजीओ है, जो जातिवार आरक्षण के ख़िलाफ़ सड़क से अदालत तक विरोध में उतरा हुआ है। कौशल कांत मिश्रा को तमाम टीवी चैनल्स पर ‘हिंदू-मुस्लिम, तबलीग़ी-कोरोना’ और आरक्षण-विरोधी बहसों भी देखा जा सकता है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के प्राइवेट लैब्स में फ्री कोविड19 टेस्ट के फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाने वाले भी ये ही कौशल कांत मिश्रा हैं।
FIR Registered against Zafrul Islam Delhi-minority commision chairman- for 124A and 153 A – Rastra Droh And Creating animosity in our society,
Now he should be suspended by our honourable CM Kejarival ji and responsible authorities!!
Thank India 🇮🇳
Jai Hind !
Jai Bharat!! pic.twitter.com/qKOOp0U9Oc— Dr. Kaushal K.Mishra (@drkaushalk) May 2, 2020
फिलहाल ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान ने इस एफआईआर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने कुछ पत्रकारों से बात की है, पर ये ही कहा है कि वे एफआईआर की कॉपी देखने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया दे सकेंगे।
प्रिय साथियों,
हम सब कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहे हैं और अपने घरों में बंद रहने को मज़बूर हैं। इस आसन्न संकट ने समाज की गैर-बराबरी को भी सतह पर ला दिया है। पूरे देश में जगह-जगह मज़दूर फंसे हुए हैं। पहले उन्हें पैदल हज़ारों किलोमीटर की यात्रा करते हुए अपने गांव की ओर बढ़ते देखा गया था। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पहले ही चौपट हो चुकी है, फसलें खेतों में खड़ी सड़ रही हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण दूर दराज के इलाकों से कोई ग्राउंड रिपोर्ट्स नहीं आ पा रहीं। सत्ता को साष्टांग मीडिया को तो फ़र्क़ नहीं पड़ता, लेकिन हम चाहते हैं कि मुश्किलों का सामना कर रहा ग्रामीण भारत बहस के केंद्र में होना चाहिए।
हमारी अपील आप लेखकों, पत्रकारों और सजग नागरिकों से है कि अपने-अपने गांवों में लोगों से बात करें, हर समुदाय की स्थितियां देखें और जो समझ आये उसकी रिपोर्ट बनाकर हमें mediavigilindia@gmail.com भेजें। कोशिश करें कि मोबाइल फोन से गांव की तस्वीरें खींचकर भी भेजें। इन रिपोर्ट्स को हम अपने फेसबुक पेज़ पर साझा करेंगे और जो रिपोर्ट्स हमें बेहतर लगेंगी उन्हें मीडिया विजिल की वेबसाइट पर भी जगह दी जायेगी।