कृषि क़ानून: मोदी सरकार के साथ वार्ता विफल, किसानों ने फाड़ी बिल की कॉपी!

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किसान कानून के मुद्दे पर मोदी सरकार द्वारा वार्ता के लिए दिल्ली बुलाये गए पंजाब के 29 किसान संगठनों के साथ आज हुई वार्ता विफल हो गई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव के साथ हुई इस वार्ता में केंद्र सरकार ने तीन किसान कानूनों पर कोई चर्चा करने के बजाए किसान नेताओं को पास किये गए कानूनों के पंजाबी अनुवाद की प्रतियां यह कह कर पकड़ा दी कि इन्हें पढो, क्योंकि ये कानून किसान हित में हैं। किसान नेताओं ने वार्ता में केंद्रीय मंत्रियों की अनुपस्थिति पर भी कड़ा एतराज जताया।

केंद्र के इस रवैये से वार्ता के लिए गए सभी केसान नेता भड़क गए। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए बैठक का बहिष्कार किया और बाहर आ गए। कृषि भवन के बाहर किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ी और काफी देर तक तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। वहाँ किसान नेताओं की पुलिस से झड़प भी हुई।

 

पंजाब के किसान नेताओं के साथ वार्ता के नाम पर छलावा करने की किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने निंदा की है। वहीं किसान नेता चंडीगढ़ को लौट गए हैं। बैठक के बहिष्कार के बाद किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह ने कहा कि कल चंडीगढ़ में पंजाब के आंदोलित किसान संगठनों की संयुक्त बैठक है। उसमें आंदोलन की अगली रणनीति पर फैसला होगा।

 

AIKSCC ने कृषि सचिव की बैठक के बहिष्कार का समर्थन किया

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने पंजाब के किसान संगठनों द्वारा केन्द्रीय कृषि सचिव द्वारा बुलाई गयी बैठक का बहिष्कार करते हुए उससे वाॅकआउट करने का पूरा समर्थन किया है। एआईकेएससीसी ने कहा कि यह बैठक केन्द्र सरकार द्वारा यह गलत समझ पैदा करने के लिए बुलाई गई थी कि सरकार किसानों से बात करने का प्रयास कर रही है, जबकि सच यह है कि वह इन किसान विरोधी काले कानूनों को अमल करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है। देश के किसान व खेत मजदूर लगातार इन तीन किसान, खेती व फसल सम्बन्धित कानूनों के विरोध में संघर्षरत हैं। इन कानूनों को केन्द्र सरकार ने जबरन अमल किया है। इस पृष्ठभूमि में केन्द्रीय कृषि सचिव ने पंजाब के 31 संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया था, ताकि इस प्रयास को वे सुर्खियों में ला सकें। इस प्रयास में उन्होंने किसी समाधान की कोई पेशकश नहीं की और किसान नेताओं द्वारा उठकर बाहर आना पूर्णतः उचित था।

एआईकेएससीसी व देश भर के कई अन्य किसान संगठनों के नेतृत्व में देश भर के किसानों ने सरकार के सामने किसी भी वार्ता के लिए बहुत ही उचित शर्तें पेश की हुई हैं:

  1. सरकार को इन कानूनों पर पुनर्विचार करने तथा जरूरत होने पर इन तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार होना चाहिए।
  2. सरकार को इस बात के लिए राजी होना चाहिए कि वह एमएसपी के कानूनी अधिकार तथा खेती के लागत के दाम खाद्यान्न सुरक्षा व अन्य समस्याओं को हल करेगी।

कृषि सचिव के साथ बैठक के होने में कोई भी शर्त पूरी नहीं होती क्योंकि न तो वे कानून को वापस ले सकते हैं, न संशोधित कर सकते हैं, न नए कानून बना सकते हैं। उनका काम सरकार द्वारा बनाए गये कानूनों को अमल करना है और वे इस सही चर्चा के लिए गलत इंसान हैं।

इस बीच जैसा कि पहले से घोषित था, एआईकेएससीसी के घटकों ने 20 से अधिक राज्यों में सैकड़ों स्थानों पर एमएसपी अधिकार दिवस मनाया, जिसमें रैलियां, जनसभाएं, मंडी सभाएं आयोजित हुईं। हरियाणा, उत्तराखण्ड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक केरल, महाराष्ट्र, गुजरात व अन्य राज्यों में यह बड़ी भागीदारी के साथ मनाए गये। एमएसपी के कानूनी अधिकार के लिए प्रस्ताव अपनाए गये।