पिछले एक महीने से चल रहा एसएससी के उम्मीदवारों का आन्दोलन अब जोर पकड़ता जा रहा है। दिल्ली में एसएससी के सामने हजारों की तादाद में जमे हुए छात्रों ने आगामी 31 मार्च…
जश्न-ए-भगत सिंह–8 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
अगर आप मीडिया के बड़े हिस्से के सत्ता चारण हो जाने से हैरान हैं तो वजह अब साफ़ हो जानी चाहिए। दरअसल मीडिया की ताक़त समझने वाले प्रधानमंत्री मोदी कोई ख़तरा मोल नहीं…
जश्न-ए-भगत सिंह-7 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत को…
उत्तर प्रदेश में पिछले मार्च सरकार बदलने के बाद से एक साल के भीतर करीब बारह सौ पुलिसिया मुठभेड़े हुई हैं जिनमें 44 लोग अब तक मारे जा चुके हैं। सरकार का दावा…
जश्न-ए-भगत सिंह–6 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
जश्न-ए-भगत सिंह-5 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
जश्न-ए-भगत सिंह-4 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
नई दिल्ली | 21 मार्च 2018: भूमि अधिकार आन्दोलन द्वारा कृषि संकट, पशु अर्थव्यवस्था पर हमले तथा मुस्लिम, दलित और अल्पसंख्यकों की भीड़ द्वारा हत्याओं के खिलाफ राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन देश भर…
यूपी के कासगंज में दंगे को दो महीने होने जा रहे हैं। गणतंत्र दिवस की सुबह 26 जनवरी 2018 को भड़के इस दंगे की चर्चा शुरुआती हफ्ते भर तो समूचे मीडिया में होती…
जश्न-ए-भगत सिंह–3 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
योगेंद्र यादव, गिरजाशंकर शर्मा, डॉ. सुनीलम, जसविंदर सिंह शामिल होंगे 27 को छतरपुर, 28 को रीवाँ, 29 को होशंगाबाद, 30 को मन्दसौर में किसान सत्याग्रह करेंगे जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, जय किसान…
यूँ तो भारत के ज़्यादातर चैनल और अख़बार ‘गोदी मीडिया’ में तब्दील हो चुका है, लेकिन इस बीच कई वेबसाइटें ऐसी सामने आई हैं जो सरकार के लिए परेशानी का सबब बनती रहती…
जश्न-ए-भगत सिंह–2 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
जश्न-ए-भगत सिंह-1 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, अपने साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर जेल में फाँसी चढ़ गए। तीनों उसी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सिपाही थे जो भारत…
महोदय, भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर और विशेष तौर से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र पर हाल ही में मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों ने नागरिक समाज समूहों के बीच थोड़ी घबराहट पैदा कर दी…
अनिल कुमार यादव तीसरी आज़ादी का परम दीवाना, बहुजन कब मुस्काएगा. यह तो खुद आजाद नही ,यह क्या गाना गाएगा. यह भीम, कांशीराम का सपना, भारत में न जाने कब आएगा. तब तक…
केंद्र सरकार ने अपने प्रचार विभाग का कायापलट करते हुए इसके तहत चलने वाली तीन इकाइयों- DAVP, DFP और गीत एवं नाटक प्रभाग- को अब ब्यूरो ऑफ़ आउटरीच कम्युनिकेशन के तहत जोड़ दिया…
लगता है कि देश किसी बड़े परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है। देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई, किसान आक्रोश की गिरफ़्त में है तो राजधानी दिल्ली में बेरोज़गारी के सवाल पर व्यापक गोलबंदी…
नासिक से चली किसानों की पदयात्रा मुंबई पहुँच चुकी है. कल विधानसभा का घेराव होना है. अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष अमरा राम भी पहुँच रहे हैं. पदयात्रा जैसे ही ईस्टर्न एक्सप्रेसवे…
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में देश के जानी-मानी वक़ील इंदिरा जयसिंह ने एक सनसनीख़ेज़ बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थिति ज्वालामुखी की तरह है। ‘रूल ऑफ लॉ- जस्टिस इन दि…
जब भी कभी देश में हेट क्राइम, लिंचिंग, गो-आतंकवाद की कोई घटना होती है और उस पर बहस होती है तो दक्षिणपंथियों सहित मीडिया का एक तबका अचानक सेक्युलर लोगों पर टूट पड़ता…
वैश्विक संस्कृति ने पारम्परिक कलाओ और रचनात्मकता के सामने गहरा संकट पैदा कर दिया है। लोग आभासी दुनिया में इस तरह उलझते जा रहे हैं कि वहां से बाहर आने पर उनके अंदर…
अनिल यादव रूखी होती हवा और झरते पत्तों के बीच फागुन की उस शाम, राजकमल प्रकाशन समूह ने एक कम सत्तरवीं सालगिरह पर हिंदी के नामचीनों को अरूंधति रॉय के नजरिए से “वक्त…
अभिषेक श्रीवास्तव दिल्ली के साहित्यिक हलके में बहुत दिनों बाद किसी शख्स को लेकर न्यूनतम दिलचस्पी और हलचल दिखी। भारत में पूरे 22 साल बाद आए मशहूर अफ्रीकी लेखक और बुद्धिजीवी न्गूगी वो…