ऑनलाइन मीडिया को ‘नियंत्रित’ करने के लिए क़ानून लाएगी मोदी सरकार!

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यूँ तो भारत के ज़्यादातर चैनल और अख़बार ‘गोदी मीडिया’ में तब्दील हो चुका है, लेकिन इस बीच कई वेबसाइटें ऐसी सामने आई हैं जो सरकार के लिए परेशानी का सबब बनती रहती हैं। ऐसे में मोदी सरकार “ऑनलाइन कंटेंट” (ख़ासतौर पर समाचार और विचार) को नियंत्रित करने के लिए आचार संहिता ही नहीं तैयार कर रही है, ऐसे क़ानून भी बनाना चाहती है जिसका पालन करना ज़रूरी होगा।

नई दिल्ली में 17 मार्च को न्यूज़ 18 के ‘राइज़िंग इंडिया समिट’ में भाग ले रहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने ख़ुद इस ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कंटेंट के नियमन को स्पष्ट करने की ज़रूरत है और इस संबंध में सभी पक्षों से बात हो रही है।

हालांकि सरकार इसके संबंध में क्या कानून बनाने जा रही है यह अभी तक साफ़ नहीं है लेकिन इससे सरकार और मीडिया के बीच एक बार फिर तनातनी बढ़ने की संभावना है।

ईरानी ने डिजिटल मीडिया के नियमन को बनाए जाने कानून की जानकारी नहीं दी,लेकिन किसी को बदनाम करने के लिहाज़ से फेक न्यूज की ताक़त की तरफ इशारा किया। उन्होंने यह शिकायत भी की कि कुछ पत्रकार समाचार और विचार के बीच की रेखा को लाँघ जाते हैं। हालाँकि उन्होंने माना कि डिजिटल और सोशल मीडिया का नियमन एक नाज़ुक मसला है और इसे बेहद संतुलित ढंग से किया जाना चाहिए।

ईरानी ने कहा कि फेक न्यूज केवल ऑनलाइन की समस्या नहीं है बल्कि यह तो टीवी और अखबारों में भी पाई जा रही है। उन्होंने प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया का हवाला देते हुए कहा कि जैसे यह सरकार से स्वतंत्र एक संगठन है जो स्व-नियमन के जरिए काम करता है, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन टेलीविजन माध्यम पर नियंत्रण रखता है, ऐसी ही किसी संस्था की जरुरत ऑनलाइन के लिए भी है।

उधर, द वायर में छपे एक लेख के मुताबिक, मीडिया पर नजर रखने वाली वेबसाईट द हूट की सम्पादक सेवंती नाइनन ने ईरानी की टिप्पणी को परेशानी पैदा करने वाला बताया है। उनके मुताबिक मंत्री की टिप्पणी फ़ेक न्यूज़ और समाचार/ विचार को एक जैसा ही मान रही है और फेक न्यूज़ को रोकने के बजाय समाचारों को रोकने पर विचार कर रही है। स्वतंत्र नियामक संस्था समाचारों को नियंत्रित करेगी या फिर फेक न्यूज को?

नाइनन ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सोशल मीडिया पर फ़ैल रही फेक न्यूज और विचारयुक्त खबरों के बीच फ़र्क़ करने में सक्षम होना चाहिए। अगर ईरानी समाचार पूर्वाग्रहों का जिक्र कर रही हैं,तो ‘यह स्वतंत्रता को प्रभावित किए बिना नियमन के जरिए हल नहीं किया जा सकता।’

वैसे ईरानी, मोदी सरकार की इकलौती मंत्री हैं जिन्होंने, कथित तौर पर हिंदुस्तान टाइम्स के एडिटर इन चीफ बॉबी घोष की संपादकीय नीति के बारे में शिकायत की थी। अपनी शिकायत का आधार घोष के विदेशी पासपोर्ट को बनाया था।

 



 


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