बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाकपा (माले) ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया है। माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इस मौके पर माले नेता कविता कृष्णन, राजाराम सिंह व केडी यादव भी उपस्थित थे। भाकपा माले के घोषणापत्र में भूमि व कृषि सुधार पर जोर के साथ रोजगारन्मुख औद्योगिक विकास व बंद पड़ी सरकारी मिलों को चालू करना प्राथमिकता में है।
भाकपा माले के घोषणापत्र में राज्य में रिक्त पड़े सभी सरकारी पदों पर अविलंब बहाली, स्कीम वर्करों समेत संविदा और मानदेय पर काम कर रहे कर्मियों तथा शिक्षकों को नियमित करने, जीविका, आशा, आंगनबाड़ी, रसोइया आदि महिलाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और मासिक 18 हजार रु. न्यूनतम वेतन की गारंटी देने, पुरानी पेंशन योजना लागू करने, बुजुर्गों को 3000 रु. मासिक पेंशन, मनरेगा में प्रति परिवार की बजाए प्रति व्यक्ति 200 दिन काम और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देने, किसानों और स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं की कर्ज माफी का वायदा किया गया है।
इस अवसर पर भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि नीतीश सरकार अब भी विकास और सुशासन का दावा करते नहीं अघाती लेकिन लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों से इनका कोई लेना-देना नहीं रह गया है। मोदी सरकार के ‘अच्छे दिन’ के नारे की तरह ये बातें क्रूर मजाक साबित हुई हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा के खिलाफ स्पष्ट जनादेश दिया था, लेकिन भाजपा द्वारा किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने के लालच और नीतीश कुमार के बेशर्म राजनीतिक अवसरवाद ने इस जनादेश को मजाक बना दिया। बिहार की जनता और जनादेश का यह अभूतपूर्व अपमान था। भाजपा की सत्ता हड़पने की भूख ने अब उनके अपने गठबंधन में ही सेंध लगा दी है और लोक जनशक्ति पार्टी राजग गठबंधन से अलग हो गई है। साथ ही दर्जनों भाजपा नेता लोजपा का टिकट लेकर जदयू के खिलापफ चुनाव मैदान में उतर चुके हैं।
माले महासचिव ने कहा कि सत्ता के केंद्रीकरण के साथ ही चरम अहंकार और जनता व लोकतंत्र पर हमले लगातार तेज हो रहे हैं। इस बार का चुनाव डबल इंजन के नाम पर बिहार को रौंद रही डबल बुलडोजर की इस सरकार को सत्ता से बेदखल करने का निर्णायक अवसर है।
उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के समय भाजपा व जदयू के लोग गायब थे, लेकिन आज चुनाव में प्रचार कर रहे हैं कि वे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए चिंतित थे। इससे हास्यास्पद क्या होगा। पलायन की हकीकत आज सबके सामने है।
माले महासचिव ने कहा कि आर्थिक विकास और आधरभूत ढांचे के विकास के लंबे-चैड़े दावों के बाद भी सच्चाई तो यह है कि बिहार अब भी गरीबी और आर्थिक पिछड़ेपन के जाल में फंसा हुआ है। सरकारी शिक्षा व स्वास्थ्य प्रणाली गहरे संकट में है। लॉकडाउन के समय बिहार के प्रवासी मजदूरों और छात्रों को जिन तकलीफों का सामना करना पड़ा, उसने पूरी दुनिया के सामने रोजगार विहीन विकास की सच्चाई को उजागर कर दिया। यह भी साफ हो गया कि रोजगार और शिक्षा के लिए अब भी बिहार के छात्रों और मजदूरों की बड़ी तादाद को दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि बिहार और देश के इतिहास के इस नाजुक मोड़ पर जब भाजपा और संघ परिवार बिहार पर कब्जा करके इसे उत्तर प्रदेश की तरह ही सामंती-सांप्रदायिक-पितृसत्तात्माक हिंसा, कट्टरता और नफरत की प्रयोगशाला में तब्दील कर देना चाहते हैं, भाकपा-माले अपनी पूरी ताकत लगाकर इस फासीवादी हमले के खिलाफ बन रही व्यापक एकता को मजबूत करने के लिए दृढ़संकल्पित है।
बदलाव के लिए भाकपा-माले का चार्टर
2020 बिहार विधनसभा चुनाव के लिए भाकपा-माले द्वारा पेश यह चार्टर लंबे समय से बिहार की जनता द्वारा आंदोलनों में उठाए गए मांगों की निरंतरता में है। हमारा चार्टर बदलाव के लिए बिहार की जनता की आकांक्षाओं और संघर्षों के लिए संकल्पित है। हम उम्मीद करते हैं कि 2020 चुनाव से चुनी गई नई सरकार बदलाव की इसी दिशा में काम करेगी। बदलाव के लिए जनता के इस घोषणापत्र के क्रियान्वयन के लिए भाकपा-माले संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भूमि और कृषि सुधार
- डी बंद्योपाध्याय भूमि आयोग की सिफारिशों के आलोक में संघर्ष को आगे बढ़ाना।
- सीलिंग की सीमा को घटाना और उसका मानकीकरण करना, सीलिंग कानून का सख्ती से पालन ताकि फाजिल जमीन का वितरण प्रत्येक भूमिहीन-गरीब परिवारों के बीच किया जा सके।
- पर्चा न होने का बहाना बनाकर भूदान व अन्य जमीनों से गरीबों की बेदखली पर रोक और तमाम गरीब व उत्पीड़ित समुदायों की बस्तियों को तत्काल नियमित करना।
- भूदान समितियों की पुनर्स्थापना, जिन्हें नीतीश सरकार ने रद्द कर दिया है।
- बिना आवास वाले सभी परिवारों को दस डिसमिल आवासीय जमीन की गारंटी करना।
- बटाईदारों का पंजीकरण, बटाई की दर को नियमित करना, उनके खेती करने के अधिकार की सुरक्षा और खेती के लिए उन्हें तमाम तरह की जरूरी सुविधायें उपलब्ध कराना।
कृषि विकास और किसानों की बेहतरी
- बिहार विधानसभा से ऐसा कानून पारित करना जो मोदी सरकार के किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों के दुष्प्रभावों को निष्प्रभावी कर सके। इस कानून के तहत राज्य की मंडियों से किसानों के फसलों के लागत मूल्य के डेढ़ गुणा दाम पर सरकारी खरीद की गारंटी और कंपनियों द्वारा किसानों के हित या खाद्य सुरक्षा को हानि पहुंचाने वाले कार्यों के लिए कठोर सजा का प्रावधन करना।
- कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी निवेश को बढ़ाना।
- सस्ते लोन की गारंटी करना।
- सस्ते दर पर बिजली और पानी की गारंटी।
- सस्ते दर पर सिंचाई की व्यवस्था की गारंटी।
- सस्ते दर पर खाद, बीज इत्यादि की समय पर उपलब्धता की गारंटी।
- हर पंचायत में खरीद केंद्र की स्थापना।
- कोल्डस्टोरेज की व्यवस्था को ठीक करना और उसका विस्तार करना।
- हर प्रखंड में वेटनरी हॉस्पिटल का प्रावधान।
- नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना।
औद्योगिक विकास
- बंद पड़ी मिलों और सरकारी क्षेत्र की बीमार इकाइयों को फिर से चालू करने के लिए स्पेशल पैकेज की व्यवस्था करना।
- रोजगारोन्मुख कृषि आधरित व अन्य छोटे-मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन।
रोजगार का अधिकार
- सभी रिक्त पड़े सरकारी पदों पर अविलंब बहाली।
- मनरेगा में प्रति परिवार की बजाए प्रति व्यक्ति 200 दिन काम और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी।
- शहरी रोजगार गारंटी कानून पारित कर उसके तहत 300 दिन का काम और न्यूनतम जीवनयापन लायक मजदूरी की गारंटी।
- कोविड-19 के दौर में विकेन्द्रित शहरी योजना बने जिसके तहत राज्य सरकार ‘जॉब स्टाम्प’ जारी करेगी और उन्हें अनुमोदित संस्थाओं में वितरित करेगी, नियोक्ता द्वारा जारी जॉब स्टाम्प दिखाकर मजदूरी का भुगतान सीधा श्रमिकों के खाते में किया जाएगा।
प्रवासी मजदूरों के अधिकार
- अन्य राज्यों और देशों में काम करने वाले बिहार के प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा-सम्मान और देखभाल के लिए बिहार सरकार द्वारा स्थाई हेल्पलाइन सहित अन्य योजनाओं की व्यवस्था।
- बिहार के सभी प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण।
- मौजूदा अंतराज्यीय प्रवासी मजदूर कानून, जो कि बेहद कमजोर है, के बजाए नए व सख्त केंद्रीय कानून की मांग करते हुए बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवाना।
मजदूरों-कर्मचारियों के अधिकार
- राज्य में वर्ष 2005 से लागू की गई नई अंशदायी पेंशन योजना जिससे केवल कॉरपोरेट एवं पूंजीपतियों को लाभ पहुंचता है, को बंद कर पूर्व की भांति पुरानी पेंशन योजना लागू करना।
- सभी विभागों में स्कीम वर्करों सहित संविदा-मानदेय-आउटसोर्स एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मियों तथा शिक्षकों को नियमित करते हुए शेष रिक्त पदों पर स्थाई नियुक्ति करना।
- जीविका, आशा, आंगनबाड़ी, रसोइया आदि महिलाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और मासिक 18 हजार रु. न्यूनतम वेतन की गारंटी।
- सभी रिक्त पदों पर वर्षों से लंबित स्थायी नियुक्ति-प्रोन्नति।
- कोरोना के नाम पर रोके गए महंगाई भत्ते/मँहगाई राहत का भुगतान।
- पूर्व की भांति राज्य कर्मियों को बोनस की व्यवस्था।
- राज्यकर्मियों के 50 वर्ष उम्र पूर्ण करने के उपरांत सरकार द्वारा समीक्षा के नाम पर जुलाई 2020 में थोपे गए जबरन सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करना, सभी सर्विस बुक मेंटेन करना और सेवा निवृति के दिन ही सभी सेवानिवृति लाभ मिलने की गारंटी करना।
- सभी उद्योगों व पेशों के असंगठित मजदूरों (खेत मजदूरों और घरेलू कामगार सहित) और उनके परिवारों के लिए कल्याणकारी बोर्ड की स्थापना जिसके तहत आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और पेंशन की गारंटी हो और सभी दुर्घटना प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा मिले।
- बिहार में घरेलू कामगार कल्याण व सामाजिक सुरक्षा कानून पारित करवाना और घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करना।
सबको समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी
- जून 2007 में समान शिक्षा नीति पर मुचकुन्द दूबे कमीशन की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करना ताकि 6 से 14 वर्ष के बीच के सभी बच्चों को मुफ्त व गुणवत्तापूर्ण समान शिक्षा की गारंटी हो सके।
- आयोग की सिफारिशों के अनुसार बिहार में 60 हजार अतिरिक्त स्कूलों की व्यवस्था (26 हजार प्राथमिक स्कूल, 15500 मध्य विद्यालय और 19 हजार उच्च माध्यमिक स्कूल)। नीतीश सरकार द्वारा बंद किए गए स्कूलों को फर से खोलना।
- प्राथमिक विद्यालयों में हर 30 छात्रों पर एक शिक्षक और मध्य विद्यालयों में हर 33 छात्रों पर एक शिक्षक की गारंटी करना।
- शिक्षकों की बहाली का ठेका-मानदेय मॉडल रद्द कर समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान करना और सभी शिक्षकों को स्थायी करना, शिक्षकों के लिए सुरक्षित नौकरी व उचित प्रशिक्षण की गारंटी ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाई जा सके।
- मदरसों व संस्कृत विद्यालयों की उन्नति और उनको बेहतर सुविध उपलब्ध करवाना।
- सभी स्कूलों में ललित कला, कंप्यूटर और खेल के लिए शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति।
- स्कूलों में हर स्तर पर संवैधनिक नैतिकता की शिक्षा शुरू करना, जिसके तहत छात्रों को लैंगिक, जाति आधरित और सांप्रिदायिक भेदभाव को पहचानने और उसका मुकाबला करने के लिए तैयार किया जा सके।
- मिड डे मिल कर्मियों का स्थायीकरण।
- बिहार की उच्च शिक्षा में व्याप्त अराजकता को खत्म करना, सेशन को नियमित बनाना, शिक्षकों व कर्मचारियों के सभी रिक्त पदों को भरना, छात्र संघ का नियमित चुनाव।
- उच्च शिक्षा में हुए घोटालों की जांच व दोषियों को सजा।
- पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा।
- नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ बिहार विधनसभा से प्रस्ताव पारित करवाना।
जन स्वास्थ्य
- बिहार की जनता के लिए स्वास्थ्य के अधिकार को कानूनी अधिकार बनाने के लिए राज्य स्तर पर कानून बनाना, ऐसे कानूनों के तहत बिना किसी भेदभाव के बिना हर स्तर पर बिहार के हर नागरिक के लिए मुफ्त, गुणवत्तापूर्ण और व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी।
- बिहार में आज स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष सरकारी खर्चा 20 राज्यों में सब से कम है। प्रति व्यक्ति संपूर्ण स्वास्थ्य का खर्च 2047 रु. है, इसमें सरकार की भागीदारी महज 18 फीसदी है। प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष दवाओं और जांच वगैरह पर सरकारी खर्चा मात्र 14 रु. है। बिहार के हर नागरिक को मुफ्त में दवाइयां व जांच की गारंटी, इसके लिए इस खर्च को बढाकर न्यूनतम 50 रु. करना, बजट का दसवां हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो।
- सभी सरकारी अस्पतालों में उपभोक्ता शुल्क का खात्मा।
- बिहार में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 39 प्रतिशत, स्वास्थ्य उप केंद्रों में 48 प्रतिशत और सामुदायिक स्वास्थ्य केद्रों में 91 प्रतिशत की कमी है। इस मूलभूत स्वास्थ्य संरचना के क्षेत्र में कमी को पूरा करने के लिए समयबद्ध रोड मैप बनाना।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों में प्रसव और जच्चा-बच्चा मामले में आपातकालीन सेवाओं का प्रावधन।
- मेडिकल आफिसर, स्पेशलिस्ट डॉक्टर, नर्स, एएनएम, फार्मासिस्ट, रेडियोग्राफर सहित स्वास्थ्यकर्मियों के अन्य अगुआ दस्तों के सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य सेवाओं में रिक्त पदों पर समयबद्ध व स्थायी नियुक्तियां न कि ठेका-मानदेय आधरित।
- आशा-आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी कर्मी का दर्जा।
- कोरोना व अन्य महामारियों व आपदाओं के दौरान स्वास्थ्य, सफाई और राहतकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत व्यवस्था।
- समुदाय आधारित निगरानी, शिकायतों के निवारण की जनभागीदारी आधरित व्यवस्था ताकि बिहार की जनता अपने जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं को बतौर अधिकार पा सके, जवाबदेही मांग सके और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने में उनकी आवाज को सुनी जा सके।
- बिहार के शहरों व नगरों में हर 30 हजार लोगों पर संपूर्ण रूप से समृद्ध शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलना। प्रत्येक ऐसे केंद्र में आशा की तर्ज पर उषा (शहरी सामाजिक स्वास्थ्यकर्मी) की नियुक्ति, इसके साथ सभी शहरी बस्तियों व झुग्गियों में मुहल्ला क्लिनिक की व्यवस्था।
- जनस्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण के सभी तौर तरीकों पर रोक, पीपीपी मॉडल पर रोक जो जनस्वास्थ्य व्यवस्था को कमजोर करती है।
- समन्वित बाल विकास योजना (आंगनबाड़ी योजना) को सार्वभौमिक बनाना और उसमें तीन वर्ष के कम उम्र के बच्चों को समुदाय आधरित तरीके से पोषण व देखभाल मिले।
- स्वास्थ्य अथवा स्वास्थ्य संबंधी सभी सेवाओं और योजनाओं के लिए आधर कार्ड की मांग, जो कि असंवैधनिक है, को रद्द करना।
जन कल्याण और जनसुविधाएं
A- बाढ़ नियंत्रंण, जल प्रबंधन और आपदा प्रबंधन
- बाढ़ नियंत्रण, जल प्रबंधन और बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए तात्कालिक व दीर्घकालिक नीतियों व उपायों को लागू करना।
- बाढ़ पीड़ित इलाकों में ऊपर उठे हुए सड़कों और चबूतरों का निर्माण।
- खाद्यान्नों के सुरक्षित संग्रहण की व्यवस्था।
- बाढ़ निरोधक आवास की व्यवस्था।
- हर प्रखंड में फायर ब्रिगेड की व्यवस्था।
- जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की योजना और ऐसी योजनाओं को त्वरित रूप से अमल करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों को उपलब्ध कराना।
- आहर, पोखर, नहर, पईन व जल के अन्य पारंपरिक स्रोतों को फर से जिंदा करना।
B- बिजली व इंटरनेट
- बिजली के निजीकरण पर रोक।
- बिजली के उत्पादन को बढ़ाने की योजना।
- विकेन्द्रित और अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन।
- सभी ग्रामीण गरीब घरों को 100 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी।
- सिंचाई के लिए सस्ती दर पर बिजली की व्यवस्था।
- शैक्षणिक संस्थाओं (स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल सहित) में मुफ्त वाई-फाई और हर गांव में वाई-फाई युक्त पुस्तकालय।
- छात्रों को मुफ्त लैपटौप की व्यवस्था।
C- सड़क व जन परिवहन
- ग्रामीण सड़कों का निर्माण और उनका नियमित मरम्मतीकरण।
- राज्य भर में सभी मौसमों में वाहन चलाने योग्य सड़कों का नेटवर्क, जिसका समय पर नियमित मरम्मतीकरण।
- पूरे बिहार को जोड़ने वाली सुरक्षित और सस्ती जन परिवहन की व्यवस्था।
- स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता व सफाई।
- हर किसी को मुफ्त, सुरक्षित व साफ पेयजल व सफाई की गारंटी।
- जल प्रदूषण पर रोक, खतरनाक प्रदूषणकारी तत्वों से पेयजल को मुक्त करना।
- स्वच्छ भारत के नाम पर दबंगई और हिंसा पर रोक, उसके बजाए शौचालय के इस्तेमाल के बारे में लोगों को जाति आधरित पूर्वाग्रहों से मुक्त करने के लिए जागरूक बनाना और इको फेंडली शौचालय बनाना जो लोग इस्तेमाल करने के लिए राजी हों।
- गंदे नालों व सेप्टिक टैंक की सफाई में पूर्ण रूप से मशीनों का इस्तेमाल, सफाईकर्मियों का ऐसे काम में इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक और सफाईकर्मियों की सुरक्षा, मजदूरी व अधिकारों की गारंटी।
D- कर्ज मुक्ति
- किसानों को सभी प्रकार के कृषि कर्जों से मुक्ति।
- स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं की कर्ज माफी।
- माइक्रोफायनांस कम्पनियों द्वारा दिए गए कर्जों से महिलाओं की मुक्ति का आदेश सरकार इन कम्पनियों को दे और जरूरत पड़ने पर सरकार अपनी ओर से कंपनियों को पैसा दे।
- हर समूह को उसकी क्षमता के अनुसार या कलस्टर बनाकर रोजगार का साधन उपलब्ध कराना और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करना।
- स्वयं सहायता समूहों को दिए जाने वाले कर्ज को ब्याज मुक्त बनाना।
- माइक्रोफायनांस कंपनियों के एजेंटों का गांव के अंदर घुसने और कर्ज वापसी के लिए दबाव बनाने पर तबतक रोक, जबतक कि कोविड के कारण खस्ताहाल हो चुकी आर्थिक स्थिति नहीं सुधरती।
- माइक्रो फायनांस कंपनियों के एजेंटों के द्वारा किसी भी तरह की वसूली व प्रताड़ना पर रोक।
- कर्ज वसूली के नाम पर जबरदस्ती या सामूहिक रूप से शर्मिंदा अथवा किसी भी प्रकार की प्रताड़ना के लिए कड़ी सजा का प्रावधान।
E- जनवितरण प्रणाली
- राशन व अन्य कल्याणकारी योजनाओं को आधर कार्ड से जोड़ने की नीति खत्म करना।
- कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण पैदा विषम परिस्थितियों से निजात के लिए जनवितरण प्रणाली का विस्तार व सर्वव्यापीकरण। प्रत्यकि परिवर को 2 रु. प्रति किलो की दर पर 50 किलो खाद्यान्न और 2 रु. प्रति लीटर की दर से 5 लीटर किरोसिन तेल सहित अन्य जरूरी सामग्री (दाल, तेल, साबुन आदि) का वितरण।
- घर-घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था।
शासन का लोकतंत्रीकरण
- झुग्गियों और ग्रामीण बस्तियों को उजाड़ने पर रोक।
- शहरी गरीबों और स्ट्रीट वेंडरों की बेदखली पर रोक और स्थायी आवास और स्थायी दुकानों की गारंटी हो।
- नौकरशाही को राजनीतिक नियंत्रण से स्वाधीन बनाना, सामाजिक भेदभाव-राजनीतिक उत्पीड़न और प्रताड़ना के रूप में ट्रांसपफर करने पर रोक।
- भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए जनलोकपाल।
- दुकानदारों व ट्रेडरों को वसूली और हिंसा से सुरक्षा।
- शराब व ड्रग्स की लत से मुक्ति के लिए समुदाय आधरित जनभागीदारी वाला जनस्वास्थ्य का मॉडल, शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार हजारों गरीबों की रिहाई, शराब व ड्रग्स की लत के इलाज के लिए मुफ्त में व्यसन मुक्ति केंद्र की स्थापना और शराब के उत्पादन और वितरण पर सख्ती से नियंत्रण।
- पारदर्शी बालू नीति, बालू के निजीकरण व बालू मफिया पर रोक, सरकारी नियंत्रण में बालू उत्खनन की गारंटी।
- सभी शेल्टर होम, वृद्धाश्रम, जुवेनाइल जस्टिस होम, प्रश्रय घर व भीख मांगने वालों के लिए आश्रय आदि सहित स्कूलों व हॉस्टलों का हर 6 महीने पर सामाजिक लेखा-जोखा ताकि उसमें होने वाली प्रताड़ना व उत्पीड़न को रोका जा सके।
अनुसूचित जाति/जनजाति
- एससी/एसटी उत्पीड़न निवारण कानून के पालन पर सख्ती से निगरानी।
- एससी/एसटी छात्रों के लिए छात्रवृतियों में विस्तार।
- अंबेडकर छात्रावास, कस्तूरबा विद्यालयों व अन्य एससी-एसटी छात्रा-छात्राओं के लिए स्कूलों व छात्रावासों की स्थिति पर समयबद्ध श्वेत पत्र जारी हो ताकि इनमें बुनियादी संरचनाओं व सुविधओं में आमूलचूल बदलाव हो सके।
- सरकार द्वारा एससी-एसटी समुदायों के साथ होने वाले भेदभाव व उत्पीड़न के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाया जाए।
अल्पसंख्यक समुदाय
- सच्चर कमिटी व रंगनाथन मिश्रा कमीशन की सिफारिशों को समयबद्ध तरीके से लागू करना।
- अल्पसंख्यकों के लिए मौजूदा विकास योजनाओं का विस्तार, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर जोर हो।
- सांप्रदायिक नफरत व हिंसा से बचाव और इस पर समय पर कार्रवाई व सजा के लिए प्रशासन व पुलिस के आला अधिकारियों को जवाबदेह बनाना।
- सरकार द्वारा सांप्रदायिक भेदभाव व उत्पीड़न के खिलाफ व सांप्रदायिक सौहार्द व भाईचारे के पक्ष में जन जागरण अभियान चलाया जाए।
महिलाएं
- यौन हिंसा, घरेलू हिंसा व ‘‘इज्जत’’ के नाम पर हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए हेल्पलाइन का प्रावधान जिसके जरिए कानूनी व सामाजिक मदद मिल सके।
- लैंगिक हिंसा से पीड़ित महिलाओं व सांप्रदायिक-सामंती उत्पीड़न झेलने वाले अंतरजातीय-अंतरधर्मिक जोड़े के लिए सुरक्षित आश्रय की व्यवस्था।
- महिलाओं की स्वायत्तता और अधिकारों तथा अंतरजातीय-अंतरधर्मिक विवाहों के लिए जनसमर्थन के पक्ष में सरकार द्वारा जनजागरण अभियान।
- गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण युक्त भोजन, स्वास्थ्य का नियमित चेकअप, दवाइयों की सप्लाई व सुरक्षित डिलवरी आदि की व्यवस्था।
- यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए मुआवजा व पुनर्वास की व्यवस्था।
ट्रांसजेंडर समुदाय
- सुप्रीम कोर्ट के नालसा जजमेंट के तहत निर्धरित सभी तरह के सुरक्षा व कल्याणकारी नीतियों को लागू करना, बिना मेडिकल जांच सर्जरी आदि के सबूत जैसे प्रताड़ित करने वाली नीतियों के बिना सभी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अपना जेंडर निर्धरित करने व सभी सुविधओं को प्राप्त करने का हक।
- बिहार विधानसभा ट्रांसजेंडर कानून 2019 को रद्द किए जाने के पक्ष में प्रस्ताव पारित करवाना।
विकलांग व्यक्ति
- बिहार के सभी सार्वजनिक जगहों व संस्थाओं को विकलांग व्यक्तियों के लिए सुलभ बनाने की समयबद्ध योजना।
- विकलांग लोगों के लिए मशीनों, उपकरणों, दवाओं, जांच सेवाओं व सुधारात्मक सर्जरी मुफ्त में उपलब्ध करवाना।
- विकलांग लोगों के लिए उच्च शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण व नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण।
वयस्क नागरिक
- 3000 रु. मासिक पेंशन।
- मुफ्त स्वास्थ्य सेवायें।
- गरीब पृष्ठभूमि से वयस्क नागरिकों के लिए हर प्रखंड में वृद्धाश्रम और देखभाल केंद्र।
- पेंशन व अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधर कार्ड की जरूरत को खत्म करना।
बच्चे
- बिहार में सड़क पर पल रहे बच्चों और बाल श्रमिकों का सर्वे ताकि उनका तत्काल पुनर्वास हो सके।
- बाल श्रमिकों और सड़क पर पल रहे बच्चों के परिवारों को कम से कम महीने में न्यूनतम 3000 रु प्रति माह दिया जाए, ताकि बच्चों का स्कूलों में भर्ती हो सके और वहां टिकाया जा सके।
न्याय व मानवाधिकार
- असंवैधनिक एनपीआर (जो कि एनआरसी व सीएए के रास्ते में पहला कदम है और गरीबों व अल्पसंख्यकों की नागरिकता पर खतरा पैदा करता है) लागू न करने की सरकार की प्रतिबद्धता हो।
- मोदी शासन और विभिन्न भाजपा राज्य सरकारों द्वारा गलत ढंग से गिरफ्तार किए गए छात्रों, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों की रिहाई की मांग; विरोध-प्रतिरोध की आवाज को दबाने के लिए यूएपीए का उपयोग नहीं; एनआईए, पुलिस और अन्य एजेंसियों द्वारा उत्पीड़न से बिहार के निर्दोष लोगों की रक्षा करना तथा लंबे समय से जेलों में बंद बिहार के सभी राजनीतिक कैदियों और निर्दोष लोगों को मुक्त करना।
- दलितों- अन्य उत्पीड़ित जातियों व अल्पसंख्यकों के जनसंहारों के दोषियों को सजा।
- सांप्रदायिक व जाति आधरित हिंसा के व आपदाओं के पीड़ितों के लिए मुआवजा व पुनर्वास की व्यवस्था।
- महिला आयोग, एससी/एसटी आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, मानवाधिकार आयोग सहित तमाम राज्य स्तरीय आयोगों को मजबूत बनाना।
- मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 11 निर्देशों का पालन: हर जिल में सीनियर पुलिस को नोडल ऑफिसर घोषित करना, लिंचिंग के मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल अदालतों की स्थापना, और लिंचिंग के पीड़ितों व परिवारजनों के लिए मुआवजा की योजना बने।
- पुलिस व्यवस्था में सुधार ताकि पुलिस को भारत के संविधान के प्रति जवाबदेह बनाया जाए, हिरासत में हिंसा व पुलिस की मनमानी पर रोक लगे। हिरासत में हत्याओं के मामले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन।
- विचाराधीन कैदियों को बेल पर छोड़ने की समयबद्ध योजना, ‘‘जेल नहीं बेल’’ वाली नीति का पालन, गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले विचाराधीन कैदियों को 1 रु. के प्रतीकात्मक राशि पर बेल दिया जाए।
- व्यापक जेल सुधर, कैदियों के मानवाधिकारों की गारंटी, 2015 में तैयार किए गए बिहार की सभी जेलों पर रिपोर्ट के सिफारिशों का लागू करना, सभी कैदियों के लिए खासकर के महिलाओं व ट्रांसजेंडर कैदियों के स्वास्थ्य व मानसिक स्वास्थ्य सुविधायें, जेलों के अंदर अल्पसंख्यक समुदाय के कैदियों खासकर आतंकवाद के केसों में विचाराधीन कैदियों के खिलाफ भेदभाव व हिंसा पर रोक, सभी विचारधीन कैदियों के लिए मुफ्त में कानूनी सलाह व वकालत उपलब्ध कराना।
संस्कृति, भाषा, खेल, पर्यटन
- भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, वज्जिका सहित बिहार की भाषाओं को समृद्ध करना।
- सभी जिला मुख्यालयों में सांस्कृतिक केंद्र व रंगालय स्थापित किया जाए जो कि नागार्जुन, रामधरी सिंह दिनकर, फनीश्वरनाथ रेणु, भिखारी ठाकुर, राहुल सांकृत्यायन, गोरख पांडेय, नूर फातिमा, विंध्यवासिनी देवी आदि बिहार के सांस्कृतिक हस्तियों के नाम पर हो।
- ग्रामीण क्षेत्रों में खेल को प्रोत्साहन देने के लिए नीति बने, हर स्कूल में खेल के शिक्षकों व प्रशिक्षण की सुविधाओं की व्यवस्था हो ताकि ग्रासरूट स्तर पर प्रतिभा की पहचान की जा सके, हर प्रखंड में खेल का स्टेडियम बने और हर जिला मुख्यालय पर स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स बने।
- बिहार में पर्यटन के चौतरफा विकास के लिए योजना बने, ऐतिहासिक महत्व व प्राकृतिक सौंदर्य की जगहों की सुरक्षा व पर्यटनस्थल के रूप में विकास के लिए योजना बने।