भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने चुनाव आयोग के नए गाइड लाइन से असहमति जाहिर करते हुए एक बार फिर आयोग को नए सिरे से ज्ञापन देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि आयोग की गाइडलाइन आंखों में धूल झोंकने वाली है. इसमें एक तरफ कोरोना से बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए हैं, दूसरी ओर धांधली के और भी व्यापक द्वार खोल दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों व सिविल सोसाइटी के द्वारा संभावित चुनावी धांधली का आरोप लगने के बाद चुनाव आयोग ने 65 साल के लोगों को पोस्टल बैलेट देने का प्रस्ताव वापस लिया था, लेकिन पुनः उसने कोविड के नाम पर फिर एक ऐसा प्रावधान किया है जो व्यापक चुनावी धांधली की जगह बनाता है.
माले राज्य सचिव ने कहा कि गाइड लाइन के पोस्टल बैलट संबंधी चैप्टर 12 के बिन्दु 1 डी में कहा गया है कि सिर्फ कोविड पॉजिटिव ही नहीं संदेहास्पद कोविड मतदाता और होम या संस्थान में क्वारंटाइन में रह रहे मतदाता भी पोस्टल बैलेट प्राप्त करने के अधिकारी होंगे. इसके विपरीत, गाइड लाइन के पोलिंग स्टेशन के अरेंजमेंट्स से संबंधित चैप्टर 10 के बिन्दु नम्बर 21 में कहा गया है कि क्वारंटाइन मतदाता मतदान के अंतिम समय में बूथ पर वोट देंगे. इसी चैप्टर के बिन्दु नंबर 4 में यह भी कहा गया है कि थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान बूथ पर अगर कोई बुखार से पीड़ित पाया जाएगा तो उसे भी अंतिम समय में वोट डालने को कहा जाएगा.
सवाल यह है कि संदेहास्पद कोविड मतदाता की पहचान कैसे होगी? इस नाम पर सत्ताधारी दल बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट हासिल कर सकते हैं और पूरे चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं. कंटनमेंट जोन वाले इलाके के लिए अलग से बूथ बनाया जा सकता है, लेकिन इसके बहाने पोस्टल बैलेट जारी कर धांधली की इजाजत नहीं दी जा सकती. इसलिए इस प्रावधान
इसलिए, आयोग से हमारी मांग है कि संदेहास्पद मरीज या होम क्वारंटाइन मरीज को पोस्टल बैलेट का प्रावधान वापस किया जाए ताकि चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष व विश्वसनीय हो.
कोविड से मतदाता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है. वह इस जिम्मेवारी से नहीं भाग सकती. लेकिन आयोग लाख विरोध के बावजूद लोगों की जान की परवाह किए बिना चुनाव करवाने पर आमादा है. इसलिए लोगों की जान की रक्षा की जिम्मेवारी भी उसी पर आती है. लेकिन गाइड लाइन के चुनावी कैंपेन संबंधी चैप्टर 13 के बिन्दु 3 एफ में उसने सभा, प्रचार आदि तमाम मामले में कोविड से रक्षा की जिम्मेवारी पार्टी और उम्मीदवार पर डाल दिया है. यह एकदम से गैर जिम्मेदाराना बात है. आयोग से हमारी पार्टी की मांग है कि इस प्रावधान को वापस लिया जाए.
हमारी मांग है कि आयोग मतदाता और पुलिस सहित तमाम चुनावर्मी को संक्रमित होने पर हरेक को कोविड गुजारा भत्ता व मुफ्त इलाज की व्यवस्था करवाए. आयोग सब लोगों को 50 लाख रुपए का बीमा करवाने की मांग करती है ताकि वे अपना सही समय पर इलाज करवा सकें.
भाकपा-माले आयोग से एक बार फिर इवीएम की जगह बैलेट से चुनाव की मांग करती है ताकि कोरोना का संक्रमण कम हो सके. ऐसे भी इवीएम से चुनाव हमेशा से संदेह के दायरे में रहा है.
भाकपा माले बिहार राज्य कार्यलय सचिव कुमार परवेज द्वारा विज्ञप्ति पर आधारित