मैरिटल रेप मामले में अब केंद्र सरकार का रुख थोड़ा नरम पड़ता हुआ नज़र आ रहा है। केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह प्रत्येक महिला की स्वतंत्रता, सम्मान और अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, जोकि सभ्य समाज की नींव और स्तंभ है, लेकिन मैरिटल रेप (Marital Rape) को अपराध करार देने संबंधी याचिकाओं पर विभिन्न पक्षकारों और राज्य सरकारों के साथ अर्थपूर्ण परामर्श की जरूरत है।
मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में शामिल करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कुछ समय के लिए रोकने का अनुरोध करते हुए सरकार ने जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी. हरी शंकर की बेंच के समक्ष गुरुवार को दायर हलफनामे में कहा कि वह अदालत को एक समयबद्ध कार्यक्रम सौंपेगी, जिसमें वह इस मुद्दे पर प्रभावी परामर्श प्रक्रिया पूरी करेंगे। इस मुद्दे पर रोजाना सुनवाई कर रही अदालत में शुक्रवार को भी बहस जारी रहेगी।
वकील मोनिका अरोड़ा के माध्यम से दायर हलफनामे में केन्द्र ने कहा कि अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यपालिका और विधायिका दोनों समान रूप से चिंतित और प्रतिबद्ध हैं, लेकिन गहन विचार के बाद केन्द्र सरकार का यह मानना है कि सभी पक्षों और राज्य सरकारों के साथ परामर्श करने के बाद ही केन्द्र सरकार अदालत की मदद कर सकेगी।