सीबीआई को सिर्फ तोता नहीं रट्टू तोता होना है। मोदीराज में उसे अपनी मर्ज़ी से किसी मामले में एफ़आईआर करने की आज़ादी भी नहीं है। हिमाक़त की तो सज़ा मिलेगी। इसी सिद्धांत पर अमल करते हुए सीबीआई अफसर सुधांशु धर मिश्र का तबादला राँची कर दिया गया है। वे बैंकिंग सिक्योरिटी एंड फ्राड सेल में एस.पी. थे। उन्होंने बैंक लोन मामले में आसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर समेत कई हस्तियों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई थी। बिना विभाग के कैबिनेट मंत्री अरुण जेतली ने ब्लाग लिखकर इस संबंध में सीबीआई को चेताया है। जेटली के मुताबिक सीबीआई को अपना काम करना नहीं आता।
सुधांशु धर मिश्र की जगह कोलाकाता में सीबीआई के आर्थिक अपराध शाखा के एसपी विश्वजीत दास को की नियुक्ति की गई है। मिश्र को रांची में सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा में तैनाती दी गई है।
सीबीआई ने 22 जनवरी को 3,250 करोड़ रुपये के लोन के मामले में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियेकॉन ग्रुप के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। यही नहीं, वीडियोकॉन और कोचर के दफ्तरों पर छापे भी मारे गए थे। आरोप है कि बैंक की सीईओ रहते चंदा कोचर ने अपने पति की कंपनी न्यू पावर रिन्यूएबल्स ही गलत तरीके से 3,250 करोड़ का लोन थमा दिया। न्यू पावर ने लोन का 86 फ़ीसदी यानी 2810 करोड़ रुपया नहीं चुकाया तो 2017 में उसे एनपीए घोषित कर दिया गया।
दीपक कोचर की कंपनी को लोन स्वीकृत करने वाली कमेटी में खुद चंदा कोचर भी शामिल थीं और वेणुगोपाल धूत ने उसमें पैसा लगाया था। चंदा कोचर पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप है।
सीबीआई की इस कार्रवाई की बात सामने आते ही सीबीआई अफसर सुधांशुधर मिश्र को शंट कर दिया गया। इसके दो दिन बाद अरुण जेटली ने ब्लाग लिखकर कहा कि सीबीआई लक्ष्य पर नज़र रखने के बजाय ‘इन्वेस्टीगेटिव एडवेंचर’ कर रही है। जेटली का आपरेशन हुआ है और वे अमेरिका में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। इस हालत में उनका ब्लाग लिखकर सीबीआई को डपटना बताता है कि मामला कितना गंभीर है और सीबीआई कितनी लाचार।
वैसे, चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार की ईमानदारी का डंका बजाने वाले विज्ञापनों की नई खेप तैयार करने का काम ज़ोरों पर है।
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