राहुल गांधी पर लगाए गए मानहानि केस में RSS की याचिका खारिज, HC ने राहुल के भाषण को सबूत मानने से किया इनकार!

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार 20 सितंबर को राहुल गांधी के खिलाफ आरएसएस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी राजेश कुंटे द्वारा दायर उस रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमे राहुल गांधी के 2014 में दिए गए भाषण की ट्रांसक्रिप्ट को उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सबूत के रूप में स्वीकार करने का अनुरोध किया गया था। याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने 2014 के आरएसएस मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत दी है।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, 6 मार्च 2014 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस का हाथ होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद राजेश कुंटे ने कांग्रेस नेता पर अपने भाषण से संघ की प्रतिष्ठा धूमिल करने का आरोप लगाते हुए, भिवंडी कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राजेश कुंटे ने मजिस्ट्रेट अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में मानहानि मामले में राहुल गांधी के 2014 के भाषण की प्रतिलिपि को सबूत के रूप में स्वीकार करने को कहां गया था।

लेकिन मजिस्ट्रेट अदालत ने इस मामले में राहुल गांधी के भाषण की प्रतिलिपि को सबूत के रूप में स्वीकार करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद राजेश कुंटे ने इसी मजिस्ट्रेट अदालत के सितंबर 2018 के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 20 सितंबर 2021 को बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की सिंगल बेंच ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए कुंटे की याचिका खारिज कर दी है।

राजेश कुंटे के वकील नितिन प्रधान ने कहा..

याचिकाकर्ता राजेश कुंटे के वकील नितिन प्रधान ने हाई कोर्ट में बताया कि याचिका मजिस्ट्रेट कोर्ट के 2018 के आदेश को चुनौती देती है, जिसने जून 2018 में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि पर आईपीसी के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए थे, लेकिन सितंबर 2018 में भाषण की कॉपी स्वीकार करने से मना कर दिया था। गौरतलब है कि 10 सितंबर 2018 को, मजिस्ट्रेट की अदालत ने राजेश कुंटे के आवेदन को अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसमें भाषण की कॉपी को ‘सबूत’ के रूप में प्रमाणित करने की मांग की गई थी।

राहुल गांधी के वकील सुदीप पासबोला ने कहा..

वहीं, राहुल गांधी के वकील सुदीप पासबोला ने मजिस्ट्रेट के फैसले को सही ठहराया और याचिका का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि कुंटे की याचिका “अयोग्य और अस्थिर” थी और “मामले को जटिल बनाने के एकमात्र इरादे” के साथ दायर की गई थी और बर्खास्तगी के योग्य थी, क्योंकि याचिकाकर्ता अदालत से कुछ ऐसा करने की मांग कर रहा था जो कानून में स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित था।