इंदौर स्थित बाबासाहब आंबेडकर की जन्मभूमि महू में 14 अप्रैल को शुरू हुआ विवाद अब और गहरा गया है। यहां के बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर को इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि उसने आंबेडकर जयंती पर होने वाले नियमित आयोजन में शिरकत की थी। दरअसल, सारा मामला नवनियुक्त कुलपति प्रो. आशा शुक्ला और प्रोफेसर सीडी नाइक के बीच चल रहे शीत युद्ध का है जिसमें कुलपति किसी भी कीमत पर जीतना चाहती हैं। प्रोफेसर नाइक विश्वविद्यालय में अंबेडकर पीठ के डीन हैं, बावजूद इसके उनका विश्वविद्यालय के हर एक कार्यक्रम में प्रशासन द्वारा बहिष्कार किया जा रहा है।
संस्थान के प्रो. सीडी नाइक खिलाफ पुलिस में आचार संहिता उल्लंघन की एक शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई है। इसमें पुलिस से गुजारिश की गई है कि वह प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एनके तिवारी द्वारा महू के बड़गौंदा थाना प्रभारी से की गई एक शिकायत के मुताबिक 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के दिन विश्वविद्यालय परिसर में बिना अनुमति एक रैली का आयोजन किया गया जिसमें राजनीतिक नारे लगाए गए।
बताया जाता है कि इस रैली में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सीडी नाइक भी शामिल हुए और ऐसे में उनके विरुद्ध मामला दर्ज करने के लिए कहा गया है, हालांकि प्रो. नाइक की मानें तो इस तरह की छोटी सभाएं अंबेडकर जयंती पर हर वर्ष विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित होती रही हैं जिनमें किसी को भी सामान्य रूप से बुलाया जाता है। इसलिए इस बार भी 14 अप्रैल के दिन आयोजित रैली का मामला भी हर साल से कोई अलग नहीं था। इस दिन कुछ दलित संगठन और छात्र विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे हुए थे जो डॉक्टर अंबेडकर के विचारों पर चर्चा कर रहे थे। उनका कहना है कि इस दौरान जो नारे लगाए गए वे राजनीतिक नहीं बल्कि बौद्धिक नारे थे लेकिन विश्वविद्यालय की कुलपति और कुलसचिव ने इसे दूसरा ही रंग दे दिया।
विश्वविद्यालय की ओर से प्रोफेसर सीडी नाइक के खिलाफ जो दूसरा आरोप लगाया गया है वह भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद से जुड़ा हुआ है। दरअसल, चंद्रशेखर 15 अप्रैल को महू के अंबेडकर विश्वविद्यालय में आए थे और यहां से उन्होंने फेसबुक पर एक लाइव वीडियो प्रसारित किया था जिसमें उनके साथ विश्वविद्यालय के एक शोध छात्र शामिल थे। इस वीडियो में आज़ाद ने चेतावनी दी थी कि यदि विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितताएं और छात्रों के साथ अन्याय बंद नहीं हुआ तो वे आंदोलन करेंगे।
इस मामले में एक और तथ्य गौरतलब है। आंबेडकर जयंती के दिन विश्वविद्यालय में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी होनी थी जिसकी तैयारी महीनों से चल रही थी। ‘’आंबेडकर की विरासत, न्याय, शांति तथा सद्विवेक’’ विषय पर दो दिन की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का निर्णय जनवरी में हुई विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया था और प्रोफेसर नाइक को कार्यक्रम का संयोजक बनाया गया था। विदेश के छह मेहमानों को आने का न्योता भी भेज दिया गया था और आमंत्रण के कार्ड भी छप गए थे, कि अचानक विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने रजिस्ट्रार के माध्यम से कार्यक्रम को निरस्त कर दिया और इसका ठीकरा संयोजक के सिर पर फोड़ दिया।
जिस कार्यक्रम के लिए राज्यपाल, राष्ट्रपति से लेकर दलाई लामा तक को न्योता भेजा गया था, उसे निरस्त करने का कारण कुलपति ने यह बताया कि ऐसा करने को उन्हें प्रो. नाइक ने कहा था। नाइक इससे सीधे इनकार करते हैं। अखबारों में उनका बयान छपा कि उन्होंने ऐसी कोई बात कही ही नहीं। अस अंदरूनी विवाद के चलते आखिरी वक्त में बस इतना तय किया गया कि आंबेडकर जयंती के दिन प्रतिमा को माल्यार्पण कर के केवल औपचारिकता निभायी जाएगी। जब कार्यक्रम हुआ, तो उसी कार्यक्रम के आधार पर एक बार फिर से प्रो. नाइक को फंसा दिया गया।
प्रो. नाइक को एसडीएम ने आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में पहले ही नोटिस दिया हुआ है। कुछ दिन पहले प्रो. नाइक को रात के एक बजे एसडीएम ने जवाब तलब के लिए बुला लिया था। आंबेडकर जयंती कार्यक्रम के सिलिसिले में उन्हें पहले ही कुलपति कारण बताओ नोटिस दिलवा चुकी हैं।
नाइक कहते हैं कि कार्यक्रम के संयोजन के लिए विभिन्न कमेटियां बनी थीं जिसमें एक कल्चरल कमेटी भी थी। कुलपति ने सांस्कृतिक कमेटी की अलग से व्यवस्था करने को जब कहा तब नाइक ने उक्त कमेटी को हटाने की बात कही। वे चुनौती देते हैं कि यदि उन्होंने कुलपति से लिखित में कार्यकम निरस्त करने को कहा हो तो वे साक्ष्य प्रस्तुत करें।
बहरहाल, आंबेडकर जयंती के दिन वहां पहुंचे भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुछ अन्य छात्रों और प्रोफेसरों से भी मिले। प्रोफेसर नाइक भी उनमें से एक थे जिनसे अनायास ही चंद्रशेखर मिलने चले गए और करीब आधे घंटे तक उनके कक्ष में बैठकर बातचीत की।
पुलिस को की गई शिकायत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने इस बात का भी जिक्र किया है। शिकायत के मुताबिक यह पूरा घटनाक्रम बिना किसी पूर्व सूचना और अनुमति के प्रोफेसर नाइक के द्वारा आयोजित किया गया था जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है। ऐसे में प्रोफेसर नाइक के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में FIR दर्ज करने की अपील की गई है।