किसानों की समस्या को हल नहीं करना चाहती सरकार, दिल्ली पहुंचें किसान- AIKSCC

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अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने कहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ में तीन खेती के कानूनों की सराहना स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सरकार किसानों की समस्या को हल नहीं करना चाहती। इसके साथ ही एआईकेएससीसी ने निकटवर्ती राज्यों के सभी किसान संगठनों से दिल्ली पहुंचने की अपील की है। एआईकेएससीसी ने तमाम संगठनों से अखिल भारतीय स्तर पर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में व्यापक विरोध कार्यक्रम आयोजित को कहा है।

एआईकेएससीसी ने जारी बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री कहते है कि ये तीनों खेती के नए कानून- किसानों की ही लम्बी समय से चली आ रही मांग, ‘‘आमदनी बढ़ाने के लिए’’, ‘‘नए अधिकारों व नए अवसर देने’’, को पूरा करते हैं। उनका उक्त बयान किसानों की इस उम्मीद पर पूरी तरह पानी फेर देता है कि सरकार उनकी समस्याओं व चिंताओं को गम्भीरतापूर्वक सम्बोधित करेगी। सरकार अब भी दावा कर रही है कि उसे खेती के कानूनों से होने वाले लाभ के प्रति जागरूकता पैदा करनी है, जबकि किसान इस बात पर स्पष्ट हैं कि ये कानून उनकी कीमत पर केवल कॉरपोरेट को आजादी, कॉरपोरेट को अवसर और कॉरपोरेट की आमदनी बढ़ाने के लिए हैं।

पंजाब के सभी 30 संगठनों, एआईकेएससीसी तथा अन्य किसान संगठनों ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बुरारी जाने की अपील को स्पष्ट रूप से खारिज करके सही फैसला लिया है। वे सभी इस अपील में किसानों को बांध लेने और वार्ता तथा समस्या के समाधान के प्रति भ्रम पैदा करने के प्रयास देख रहे हैं। उन्होंने सशर्त वार्ता को नकार कर और सरकार द्वारा इस ओर कोई भी गम्भीर प्रयास के प्रति दरवाजे खुले रखकर उचित निर्णय लिया है।

एआईकेएससीसी वर्किंग ग्रुप ने किसान संगठनों के चिंतन की स्पष्टता की सराहना की है और भारत सरकार से पुनः अपील की है कि इस समस्या को कानून व्यवस्था की समस्या के रूप में न देखें और इसमें गुप्तचर विभागों और गृहमंत्रालय को शामिल न करें।

देश के किसान यहां एक ही उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दिल्ली में हैं और लगातार उनकी ताकत बढ़ती जा रही है और वह है 3 खेती के कानून तथा बिजली बिल 2020 को रद्द कराना। उनकी और कोई भी मांग नहीं है। वे जोर देकर सरकार को यह बताना चाहते हैं कि वे सभी इन कानूनों के प्रभाव को पूरी तरह समझते हैं। हर प्रदर्शनकारी इस बारे में स्पष्ट भी है और मुखर भी। अगर कोई ऐसा पक्ष है जो इस बात को नहीं समझ रहा है तो वे हैं प्रधानमंत्री, उनके कैबिनेट मंत्री, उनके अधिकारी, उनके विशेषज्ञ और उनके सलाहकार, जो नहीं समझ रहे कि किसान इन कानूनों को ठेका खेती द्वारा अपनी जमीन के मालिकाना हक पर हमला समझते हैं, अपनी आमदनी पर हमला समझते हैं और जानते हैं कि कर्जे बढ़ेंगे, समझते हैं कि सरकारी नियंत्रण समाप्त होकर बड़े प्रतिष्ठानों को विदेशी कम्पनियों का खेती के उत्पादन तथा खाने के प्रसंस्करण, बाजार व बिक्री पर नियंत्रण स्थापित हो जाएगा। आश्वस्त दाम व खरीद समाप्त हो जाएगी, सरकारी भंडारण व खाने की आपूर्ति बंद हो जाएगी, किसानों की आत्महत्याएं बढ़ेंगी, खाने के दाम बढ़ेंगे और कालाबाजारी बढ़ेगी तथा राशन व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

एआईकेएससीसी ने किसान संगठनों से तुरंत दिल्ली चलने की अपील की है ताकि इस आन्दोलन को तेज किया जा सके। एआईकेएससीसी दिल्ली व अन्य शहरों में विभिन्न जनसंगठनों के साथ जगह-जगह पर ‘हम किसानों के साथ’ अभियानों का संचालन करेगी। एआईकेएससीसी ने अपनी सभी राज्य इकाईयों को अपील की है कि वे बड़ी संख्या में किसानों व ग्रामीण जनों की व्यापक गोलबंदी के साथ संयुक्त कार्यक्रमों को तय करें ताकि सरकार पर दबाव बनाकर खेती के तीन कानूनों व बिजली बिल 2020 वापस कराया जा सके। इस तरह के विरोधों में शहरी लोगों की भी भागीदारी बढ़ाई जाए, जिनमें टोल प्लाजा, रिलायंस के पेट्रोल पम्प, अडाणी के माॅल के समक्ष विरोध किया जा सके।


एआईकेएससीसी मीडिया सेल द्वारा जारी