पिछले महीने केंद्र सरकार की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से मौत न होने वाली बात पर सभी हैरान थे। लोगो ने सरकार के इस बयान की सोशल मिडिया पर जम कर आलोचना भी की थी। लेकिन अब एक बार यह मामला गरमा गया है। इस बार राज्यों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को यह जानकारी दी है की ऑक्सीजन या स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है।
ऑक्सीजन की कमी का एक भी मामला दर्ज नही..
दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों से 26 जुलाई को उनके राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से हुई मौतों की जानकारी पत्र भेजकर कर मांगी थी, जिसके जवाब में अब तक 13 राज्य सरकारों में से 12 राज्यों ने ऐसा एक भी मामला उनके यहां दर्ज नहीं होने की जानकारी दी है। यानी उनके राज्यों में एक मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। 13 में से 1 राज्य पंजाब है। जिसने चार संदिग्ध मामलों की जानकारी दी है। लेकिन किसी राज्य ने भी ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की पुष्टि नहीं की है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि उन्हें मंत्रालय से ऐसा कोई भी पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र सरकार ने एक भी मौत स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से होने को खारिज किया..
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑक्सीजन और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से हुई मौतों को महाराष्ट्र सरकार ने सिरे से ही खारिज कर दिया है। ओडिशा सरकार का कहना है कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई थी।
होम आइसोलेशन में हुई मौतों की भी जानकारी नहीं..
वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने भी कहा है की अभी किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की जानकारी नहीं दी है। सभी राज्यों को 13 अगस्त तक जानकारी मुहैया करानी है। एक राज्य (पंजाब) ने संदिग्ध मौतें बताई है, लेकिन इसमें ऑक्सीजन की कमी साबित नहीं हुई है। वहीं, ज्यादातर राज्यों ने होम आइसोलेशन में हुई मौतों की जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की हैं। न ही केंद्र सरकार ने पिछले डेढ़ वर्ष से इसे लेकर अलग से कभी जानकारी साझा की है।
श्मशान में जलती दर्जनों लाशें राज्य सरकारों की बातों को झुठला रही..
राज्य सरकारों का यह जवाब वाकई हैरान करने वाला और शर्मनाक है। दूसरी लहर के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री भी कह रहे थे कि उनके यहां ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं स्वास्थ्य सेवाएं बहाल हैं। यह बाते उस वक्त कही जा रही थी जब लोग लखनऊ समेत कई शहरो में अस्पतालों के बाहर ऑक्सीजन की कमी से तड़प तड़प कर दम तोड रहे थे।
ऑक्सीजन दवाओं की तलाश में लोग सुबह से शाम तक लंबी-लंबी लाइनों में खड़े थे। लाश जलाने के लिए श्मशान घाट में कतारें लगी हुई थी। एक महिला और एक बेटी अपने पति और मां को मुंह से ऑक्सीजन दे रहे थे। अस्पतालों में बेड नहीं थी एक बेड पर दो-तीन मरी शिफ्ट किए गए थे। दूसरी लहर में कोरोना से हुई मौत की लाशे नदी में तैर रही थी। तो अब जब दूसरी लहर शांत हो चुकी है तब राज्य सरकारों का यह कहना कोई बड़ी बात नहीं है।
लाखों मौतों के आंकड़े सरकारी कागजों में दर्ज नहीं..
जब सरकार के पास कोरोना से हुई मौतों के सही आंकड़े ही नहीं है। दूसरी लहर के दौरान आंकड़े दबाए जा रहे थे। बार-बार सरकार पर आंकड़े छुपाने के आरोप लग रहे थे। तो अब राज्य सरकारों से स्वास्थ्य सुविधाएं और ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत के सही आंकड़ों की उम्मीद कैसे की जा सकती है। दिल्ली के बत्रा अस्पताल व जयपुर गोल्डन अस्पताल में 50 से अधिक लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई, जिसे लेकर अस्पताल प्रबंधन भी लिखित में जानकारी दे चुका है। लेकिन मामले सरकारी कागजों में दर्ज नहीं किए गए हैं।
ऑक्सीजन की कमी से भर्ती न करने वाले अस्पतालों ने भी कहा एक भी मौत नहीं हुई कमी से..
केंद्र के तहत आने वाले अस्पतालों ने आरटीआई में जानकारी दी है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। दिल्ली एम्स, आरएमएल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज ने मौतें ही नही, बल्कि यहां तक कहा है कि उन्हें कभी ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई। जबकि दिल्ली के सीएम केंद्र से लगातार ऑक्सीजन की मांग कर रहे थे।
यही नहीं अप्रैल माह में दिल्ली एम्स ने ही ऑक्सीजन की कमी से नए मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया था। इन्हीं अस्पताओं के बाहर ऑक्सीजन और बेड ना होने के पर्चे चिपके हुए थे। राज्य सरकारें लाख अपनी खामियों को छुपाने के लिए मौत को ही झुठला दे, लेकिन दूसरी लहर में एक साथ जलती दर्जनों लाशों की तस्वीरें इस बात की गवाही देती रहेंगी की न जाने कितने लोगो ने स्वास्थ्य सेवाओं और ऑक्सीजन की कमी से अपनी जान असमय गवाई है। न जाने कितने बच्चो के सिर से इन कमियों के कारण उनके मां बाप का हाथ उठ गया, कितनी मांओ ने अपने बच्चो को खो दिया। कितनी महिलाएं विदवा हो गई।