पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों सहित तमाम मुद्दों पर मोदी सरकार की हठधर्मी के ख़िलाफ़ अब विपक्षी एकता का नया स्वरूप आकार लेने लगा है। आज दिल्ली के कान्स्टीट्यूशन क्लब में कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों के नेताओं के बीच चर्चा हुई। राहुल गाँधी ने उन्हें नाश्ते पर आमंत्रित किया था।
इस मीटिंग के दौरान राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि हम लोग विपक्ष के तौर पर एकजुट रहेंगे तो फिर आरएसएस और बीजेपी हम लोगों की आवाज को दबा नहीं सकेंगे। राहुल ने कहा कि मोदी सरकार विपक्ष को दरकिनार करके दरअसल देश की उस साठ फ़ीसदी जनता का अपमान कर रही है जिसने मोदी को वोट नहीं दिया था।
राहुल ने बाद में बैठक से जड़ा ट्वीट करके कहा कि उनकी एकमात्र प्राथमिकता-हमारा देश, हमारा देशवासी।
One priority- our country, our people.
एकमात्र प्राथमिकता- हमारा देश, हमारे देशवासी। pic.twitter.com/NkyfGaYRY8
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 3, 2021
राहुल गांधी की बैठक में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, केसीएम, जेएमएम, नेशनल कांफ्रेंस, तृणमूल कांग्रेस और एलजेडी ने हिस्सा लिया। आम आदमी पार्टी ने राहुल गांधी की तरफ से बुलायी गयी नाश्ते वाली बैठक को अटेंड नहीं किया और बसपा ने भी किनारा कर लिया। लेकिन ‘आप’नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कहना है कि बैठक में जाना या नहीं जाना महत्वपूर्ण नहीं। संसद में जब भी चर्चा होगी, हम किसानों के साथ और जासूसी के खिलाफ खड़े हैं।
इस बैठक के बाद राहुल गाँधी सहित तमाम विपक्षी नेता साइकिल पर सवार होकर संसद की ओर रवाना हुए।
“ना हमारे चेहरे ज़रूरी हैं, ना हमारे नाम। बस ये ज़रूरी है कि हम जन प्रतिनिधि हैं- हर एक चेहरे में देश की जनता के करोड़ों चेहरे हैं जो महंगाई से परेशान हैं।
यही हैं अच्छे दिन?” @RahulGandhi pic.twitter.com/nhS8nbYFKU
— INC TV (@INC_Television) August 3, 2021
साफ़ लग रहा है कि विपक्ष ने अब बेहद आक्रामक तरीके से मोदी सरकार का मुकाबला करने का फ़ैसला किया है। मोदी सरकार दुहाई दे रही है कि विपक्ष संसद नहीं चलने दे रहा है, लेकिन विपक्ष जिस तरह पेगासस साफ्टवेयर जासूस पर चर्चा न कराने को मुद्दा बना रहा है, उससे सरकार का नैतिक बल कमज़ोर हुआ है।
एनडीए सरकार में सहयोगी जेडीयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग कर दी है। ज़ाहिर है मोदी सरकार के लिए राह आसान नहीं होने वाली है। राहुल गाँधी का विपक्षी एकता के केंद्र में होना भी उसके लिए ख़तरे की घंटी है। बीजेपी के आईटी सेल की तमाम कोशिशों के बावजूद अब यह बात साफ़ हो गयी है कि राहुल पप्पू नहीं, तमाम मुद्दों पर स्पष्ट समझ रखने वाले राजनेता हैं। कोरोना काल में जिस तरह उन्होंने समय-समय पर अपना आकलन पेश किया और वे सही साबित हुए, उसके बाद उनकी छवि एक गंभीर और दूरदृष्टि वाले नेता की बनी है जो मोदी को टक्कर दे सकते हैं। राहुल गाँधी जिस तरह दैनिक आधार पर आरएसएस से सीधे वैचारिक भिड़ंत करते नज़र आते हैं, उसने भी उनकी एक छवि निर्मित की है।