दिल्ली ‘दुष्कर्म’ मामले में 80% जले शरीर के पोस्टमार्टम से कुछ साबित करना मुश्किल हुआ!


डॉक्टर ने भी अब इससे ज्यादा कोई जानकारी मिलने की उम्मीद पर पूर्ण विराम लगा दिया है। डॉक्टर का कहना है कि टखने से नीचे पैर जलने से बच गए थे और रीढ़ की हड्डी का हिस्सा 80 फीसदी जल चुका था। ऐसे में सिर्फ यह पता चला है कि बच्चे की मौत अंतिम संस्कार के कई घंटों पहले ही हो गई थी। बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था या उसकी मौत की और कारण से हुई यह नहीं कहा जा सकता है।


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दिल्ली कैंट के पुराना नांगल गांव में बच्ची से दुष्कर्म व जलाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अंतिम संस्कार से कई घंटे पहले ही बच्ची की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का परिजनों और पुलिस को इंतजार था क्योंकि इसी आधार पर जांच आगे बढ़ाई जाएगी और दोषियों को सजा दी जायेगी। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये नही पता चल पाया है की बच्ची की मौत आखिर हुई कैसे और उसके साथ दुष्कर्म हुआ या नहीं। इस रिपोर्ट के बाद दक्षिण-पश्चिमी जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर जांच आगे नहीं बढ़ सकती है।

डॉक्टर ने खड़े कर लिए हाथ..

डॉक्टर ने भी अब इससे ज्यादा कोई जानकारी मिलने की उम्मीद पर पूर्ण विराम लगा दिया है। डॉक्टर का कहना है कि टखने से नीचे पैर जलने से बच गए थे और रीढ़ की हड्डी का हिस्सा 80 फीसदी जल चुका था। ऐसे में सिर्फ यह पता चला है कि बच्चे की मौत अंतिम संस्कार के कई घंटों पहले ही हो गई थी। बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ था या उसकी मौत की और कारण से हुई यह नहीं कहा जा सकता है।

अब आगे क्या…

ऐसे में पुलिस के पास जांच को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ फोरेंसिक जांच का ही सहारा है। फोरेंसिक टीम ने पुजारी राधेश्याम के कमरे की गहनता से जांच की है  उसके बिस्तर पर बिछी चादर, तकिए और उसके पहने हुए कपड़ों और अन्य आरोपियों के कपड़ों को भी सीज कर लिया है। सीबीआई की टीम ने भी सीएफएसएल की टीम का सहारा लिया है।

 ऐसे में यह सवाल बना हुआ है कि अगर फॉरेंसिक जांच में भी कोई कड़ा सबूत नहीं मिले तो बच्ची को इंसाफ कैसे मिलेगी। देश या दिल्ली में यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी बच्ची या लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ हो और आरोपियों ने सबूत न मिटाएं हों। पहले भी कई मामले ऐसे आ चुके हैं जिसमें दुष्कर्म करने के बाद आरोपियों ने बॉडी को आग में झोंक दिया है। जिससे दुष्कर्म का पता न चले। इस मामले में भी अगर कोई ठोस सबूत नहीं मिला तो पुलिस और कानून आरोपियों को छोड़ने पर मजबूर हो जाएगी।

सरकार और विपक्ष के आश्वासन से नहीं रुकती है घटनाए..

हर रोज दुष्कर्म की कोई ना कोई घटना सामने आ ही जाती है तूल पकड़ लेती है और कुछ को दबा दिया जाता है। जब भी कोई नाबालिक यह लड़की दरिंदगी का शिकार हो जाता है तो लोगों में आक्रोश आ जाता है। मोमबत्तियां जलाई जाती है, प्रदर्शन होते हैं, विपक्ष और सत्ता धारी सरकार ट्वीट करके अफसोस जताते हैं या फिर जाकर परिवार को इंसाफ दिलाने का आश्वासन दे आते है। लेकिन कुछ समय बाद मामले और जांच दोनो ठंडी पड़ जाती हैं और कोई नई घटना हो जाती है। इससे न ही घटनाएं कम होती है और ना ही परिवार का दुख कम होता है।

देश में हर घंटे 4 चार बेटियों से बलात्कार..

भारत में हर घंटे 4 बेटियां दुष्कर्म का शिकार होती है, और 15 मिनट में 1 बेटी के साथ दरिंदगी को अंजाम देने की कोशिश की जाती है। वहीं हर महीने दो हजार से ज्यादा महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदात हो अंजाम दिया जाता है। यह आंकड़े बेहद शर्मसार और भारत में महिलाओं की सुरक्षा की पोल खोलने वाले हैं। देश में हर दिन लगभग 80 से ज्यादा मामले दर्ज होते हैं। ये तब है जब कई मामले ऐसे भी होते हैं। जिनकी एफआईआर नहीं होती है या जिन्हें बदनामी के डर से दबा लिया जाता है। सरकारें महिला सुरक्षा की बड़ी – बड़ी बाते करती हैं। लेकिन ये आँकड़े साबित करते हैं कि महिला सुरक्षा की बातें सिर्फ़ बाते हैं।

नारे लगाने वाले भूल जाते हैं कि बचेंगी बेटियां, तभी तो पढ़ेंगी और आगे बढ़ेगी।