उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने रविवार को 128 साल पहले शिकागो में महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण को याद किया। सीजेआई रमण विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन एक्सीलेंस के 22वें स्थापना दिवस समारोह को वर्चुअल तरीके से संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने ऐतिहासिक भाषण को याद करते हुए कहा, स्वामी विवेकानंद ने धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने अपने संबोधन में समाज में अर्थहीन सांप्रदायिक मतभेदों से देश और सभ्यता के लिए उत्पन्न खतरे का विश्लेषण किया था।
पुनरुत्थान भारत के निर्माण के सपने को कट्टरता से ऊपर रखकर पूरा किया सकता है…
सीजेआई रमन्ना ने कहा, ऐसे समय में जब धार्मिक कट्टरवाद बढ़ रहा है, स्वामी विवेकानंद के दोबारा उठ खड़े होने वाले भारत के सपने को सामान्य भलाई और सहिष्णुता के सिद्धांतों और धर्म को अंधविश्वास और कट्टरता से ऊपर रखकर हासिल किया जा सकता है। स्वामी विवेकानंद के पुनरुत्थान भारत के निर्माण के सपने को पूरा करने के लिए, हमें आज के युवाओं में स्वामी जी के आदर्शों को स्थापित करने का काम करना चाहिए।
Swami Vivekananda firmly believed that true essence of religion was common good&tolerance. Religion should be above superstitions&rigidities. To fulfill dream of making resurgent India to principles of common good&tolerance,we should install Swami Ji’s ideals in youth:CJI (12.09) pic.twitter.com/hsnlcDgSck
— ANI (@ANI) September 12, 2021
विवेकानंद ने धर्मनिरपेक्षता की ऐसे वकालत की जैसे कि उनके पास भविष्य की दृष्टि हो..
रमन्ना ने कहा, भारत के समतावादी संविधान के निर्माण का कारण बने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए सांप्रदायिक संघर्ष से बहुत पहले स्वामी विवेकानंद ने धर्मनिरपेक्षता की ऐसे वकालत की थी। जैसे कि उनके पास आने वाले समय की दृष्टि थी। CJI ने कहा, स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं और सिद्धांत आने वाले समय के लिए बहुत प्रासंगिक हैं।
धर्म का सच्चा सार भलाई और सहिष्णुता में है..
CJI रमन्ना ने कहा- विवेकानंद का दृढ़ विश्वास था कि धर्म का सही सार भलाई और सहिष्णुता में निहित है। धर्म अंधविश्वास और कट्टरता से ऊपर होना चाहिए। उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद के संबोधन ने प्राचीन भारत के वेदों के दर्शन की ओर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने व्यावहारिक वेदांत को लोकप्रिय बनाया, क्योंकि यह सभी के लिए प्रेम, करुणा और समान सम्मान का उपदेश देता है।