दुखी है TOI: नगर निगम चुनाव हारने के बाद अपना मेयर बनाने का खेल शुरू!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
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चंडीगढ़ का उदाहरण और मनीष सिसोदिया का ट्वीट – ख़बरों में नहीं है

 

केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली नगर निगम चुनाव जीत कर दिल्ली में भी डबल इंजन की सरकार बनाने या आम आदमी पार्टी की डबल इंजन की सरकार न बनने देने के लिए तमाम जतन किए। इसके लिए पहली बार नगर निगम का चुनाव राज्य विधानसभा चुनाव से भी ज्यादा गंभीरता से लड़ा गया। धुवीकरण की तो बात ही क्या करूं। नगर निगम चुनाव से पहले दिल्ली के तीन नगर निगमों को मिलाकर एक कर दिया गया। इससे 2017 का दिल्ली नगर निगम चुनाव अगर 270 सीटों पर लड़ा गया था तो इस बार कुल 250 सीटें ही थीं। 126 में बहुमत की जगह आम आदमी पार्टी को 134 सीटें मिली हैं और ऐसे में आज दिल्ली के अखबार देखने लायक हैं। खासकर टाइम्स ऑफ इंडिया।

यहां यह याद दिला दूं कि जमशेदपुर में 1979 में दंगा हुआ था। उस समय की जनता पार्टी के विधायक दीनानाथ पांडे का दंगे में नाम था, भाजपा टिकट पर 1980 का चुनाव (जमशेदपुर पूर्व से) लड़े, 116 वोट से जीते। 1985 में जमशेदपुर पश्चिम में नारा लिखा गया, हिन्दुओं में मेल नहीं, समशुद्दीन को हराना खेल नहीं। समशुद्दीन भाजपा उम्मीदवार मृगेन्द्र प्रताप सिंह से 58 वोट से हार गए थे। 1980 में सिर्फ 116 वोट से हारने वाले कांग्रेस नेता रामाश्रय प्रसाद कभी विधायक नहीं बने। ऐसे में मतलब जीतने हारने का ही होना चाहिए पर भाजपा हार जाए तो तर्क सुनने लायक होते हैं। आज भी हैं। ऐसे मौकों के लिए खास शीर्षक हो सकता है, “भाजपा जीतते जीतते हार गई, आप हारते-हारते जीत गई।”

दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत आज मेरे पांचों अखबारों में लीड है। कोलकाता के द टेलीग्राफ में यह तीन कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ लीड है तो टाइम्स ऑफ इंडिया में आठ कॉलम का बैनर। आइए, देखें किसने क्या, कैसे लिखा है। खासकर इसलिए कि कहा जाता है, “खबरों में विचार नहीं मिलाना चाहिए’। द हिन्दू में यह खबर तीन कॉलम में तीन लाइन के शीर्षक के साथ लीड है। पहले पन्ने पर एक शीर्षक से यह एक ही खबर है। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पांच कॉलम में तीन शब्द के शीर्षक के साथ लीड है। शीर्षक है, नई दिल्ली आप की। मुख्य खबर का शीर्षक है, नगर निगम चुनाव आप जीती भाजपा का 15 साल का राज खत्म हुआ। इसके साथ एक विश्लेषणनुमा खबर है, “भाजपा बहुत पीछे नहीं है, आपको चुनौती है – और एक मौका भी”। मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में एक मौका ही मिला था और उसके बाद से वह लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन उसे मंजूर करना ही नहीं है।

दूसरी ओर, डबल इंजन सरकार का आईडिया देने वाले डबल इंजन से सिंगल इंजन हो गए हैं। मुख्य रूप से अपने कारनामों के कारण ही। अरविन्द केजरीवाल उन्हें उन्हीं की शैली में अच्छी टक्कर देते हैं और इसीलिए आप को भाजपा की ‘बी टीम’ भी कहा जाता है। पर वह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। दूसरी ओर, डबल इंजन से जनता को क्या फायदा हुआ वह मुद्दा ही नहीं है। जीएसटी नुकसान का उदाहरण है। जब लागू किया गया था तो इतना अव्यावहारिक था कि क्या कहने। उसमें ढील 2017 के गुजरात चुनाव के बाद दी गई जब जीतना मुश्किल लग रहा था। इस बार का नतीजा अभी नहीं आया है लेकिन जीएसटी बहुत बदल गया है। हालांकि वह भी अलग मुद्दा है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में आज यह खबर छह कॉलम में है। बैनर जैसे फौन्ट में शीर्षक है, “एमसीडी का झाड़ू आप के हाथों में”। इस शीर्षक में अगर ‘अब’ जोड़ दिया जाता तो इस बात पर जोर होता कि आम आदमी पार्टी ने किसी से इसे छीना है और जिससे छीना है उसे आप जानते हैं। इसलिए यहां अब नहीं होना मुझे अखर रहा है। इसके साथ सिंगल कॉलम की दो खबरें हैं और नक्शे व चित्र के जरिए यह बताया गया है कि नगर निगम चुनावों के लिए दिल्ली ने कैसे वोट डाले। एक खबर में बताया गया है कैसे इस चुनाव को महत्पूर्ण बना दिया गया था और भाजपा के देश भर के नेता मैदान में उतार दिए गए थे। उसका कोई फायदा नहीं हुआ है। और भाजपा के समर्थन में भक्तों या मतदाताओं के जो तर्क गुजरात में सुनाई पड़े वह दिल्ली में नहीं था।

मुझे यकीन नहीं था लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया का आज का पहला पन्ना आधे पन्ने पर विज्ञापन के बावजूद दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजों से ही भरा हुआ है। पहले मैंने सोचा था कि पढ़ता जाउंगा और लिखता जाउंगा लेकिन, ‘डिकोडिंग द वर्डिक्ट’ में आठ बिन्दु हैं और उसे भी हिन्दी करने बैठूं को पूरा पन्ना ही हिन्दी करना पड़ेगा। जहां तक खबरों की बात है दूसरी प्रमुख खबर यह बताती है,  “केंद्र सरकार ने सभी निगमों को एक नहीं किया होता तो वह पूर्वी दिल्ली में जीत जाती”!!

टाइम्स ऑफ इंडिया में एक और खबर है, “क्रॉस वोटिंग से कॉरपोरेशन अभी भी भाजपा का मेयर पा सकता है” (जैसे, दिल्ली नगर निगम तभी धन्य होगा)। दूसरी ओर, द टेलीग्राफ का फ्लैग शीर्षक है, “हरा दी गई भाजपा की नजर मेयर की कुर्सी पर”। द टेलीग्राफ के अनुसार, भाजपा के सूचना और टेक्नालॉजी डिपार्टमेंट के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया है (अनुवाद मेरा), “अब दिल्ली के मेयर के चुनाव की ओर …. यह इसपर निर्भर करेगा कि मुश्किल मुकाबले में संख्या किसके पास है, निर्वाचित सभासद किस आधार पर वोट देते हैं। उदाहरण के लिए चंडीगढ़ में भाजपा का मेयर है।”

अखबार ने बताया है कि चंडीगढ़ में आप की जीत के बाद मेयर भाजपा का बना क्योंकि आप सभासद का वोट अवैध हो गया और कांग्रेस में दलबदल हो गया था। इस संबंध में मनीष सिसोदिया ने कल ट्वीट किया था, “बीजेपी का खेल शुरू हो गया। हमारे नवनिर्वाचित पार्षदों के पास फ़ोन आने शुरू हो गये। हमारा कोई पार्षद बिकेगा नहीं। हमने सभी पार्षदों से कह दिया है कि इनका फ़ोन आये या ये मिलने आयें तो इनकी रिकॉर्डिंग कर लें”। लेकिन इसकी चर्चा पहले पन्ने पर नहीं दिखी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि एमसीडी में दल बदल कानून लागू नहीं है और टेलीग्राफ की खबर के अनुसार आदेश गुप्ता ने कहा है कि पार्षद अंतरात्मा की आवाज पर वोट दे सकते हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स के पहले पन्ने पर दिल्ली नगर निगम चुनाव से संबंधित एक और खबर है, भाजपा 15 साल बाद हारी लेकिन अपने प्रदर्शन से एक्जिट पॉल्स को गलत साबित किया। इसमें बताया गया है कि भाजपा को पिछली बार के मुकाबले ज्यादा वोट मिले हैं। और अब टाइम्स ऑफ इंडिया – हिन्दुस्तान टाइम्स ने जो बात सिंगल कॉलम की खबर के जरिए अलग से बताई है उसे टाइम्स ऑफ इंडिया ने फ्लैग शीर्षक से लाल रंग की स्याही से बताया है। पूरा फ्लैग शीर्षक है, “भाजपा ने 15 साल बाद नगर निगम पर नियंत्रण खोया पर वोट शेयर बढ़ाया और कई एक्जिट पॉल्स के पूर्वानुमान के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया”। मुख्य शीर्षक है, “आप को डबल इंजन मिला पर टर्बो बूस्ट नहीं”। मुझे समझ में नहीं आया कि यह (टर्बो बूस्ट) क्यों मिलना था, कैसे मिलना था या क्यों नहीं मिला और किसलिए बताया गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की तकलीफ या आप से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद इसके दो कॉलम के इंट्रो से भी नजर आ रही है जो तीन लाइन में है। इसके अनुसार, शहर को साफ करने के वादे का असर हुआ पर बहुमत कम होना एक चुनौती हो सकती है। आप जानते हैं कि भाजपा के बहुमत से जनता को क्या फायदा हो रहा है उसकी चिन्ता अखबारों को नहीं है लेकिन आप के बचाव में यह अच्छी दलील है। उसके लिए अभी से सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है और वह 2027 के चुनाव में कह सकती है कि हमने जो किया इसके बावजूद किया या इस कारण नहीं कर पाए। जब लोग मान गए कि 15 लाख जुमला था तो इसे भी मान लेंगे।

अखबार में पहले पन्ने पर आज आधा विज्ञापन है और आधे में आप या चुनाव से संबंधित कई खबरे हैं। मास्टहेड के नीचे, लीड के ऊपर की पट्टी में एक तरफ अरविन्द केजरीवाल की फोटो है तो दूसरी तरफ दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता की। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को बधाई दी है तो आदेश गुप्ता ने कहा है, जनता ने हमें तकरीबन 40 प्रतिशत वोट और 104 वार्ड (वहां 100 प्रतिशत जिम्मेदारी है?) और मजबूत विपक्ष के रूप में जिममेदारी। हम जनता के मद्दे रचनात्मक ढंग से उठाते रहेंगे।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।