शीना बोरा हत्याकांड मामले में स्टार इण्डिया के पूर्व सीईओ पीटर मुखर्जी की जमानत के बॉम्बे हाईकोर्ट के छह सप्ताह की रोक 19 मार्च को समाप्त हो गया. मामले में सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती न देकर गिरफ्तारी के चार साल बाद पीटर मुखर्जी की रिहाई का रास्ता आसान कर दिया है.
दरअसल बीते 6 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने शीना बोरा मर्डर केस में पीटर मुखर्जी को जमानत दी थी. इस आदेश पर 6 सप्ताह पर रोक लगा दिया था ताकि अभियोजन पक्ष इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके. सीबीआइ की ओर से पीटर मुखर्जी की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कोई याचिका नहीं दिए जाने के कारण अब उनकी रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है.
मुखर्जी के वकील ने हाई कोर्ट को बताया है कि अब तक सीबीआइ की तरफ से जमानत आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने सम्बंधित कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई है, इसलिए अब वे मुखर्जी की रिहाई की औपचारिकता पूरी करेंगे. सीबीआइ कभी भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है. जब तक सुप्रीम कोर्ट पीटर की जमानत पर रोक लगाने का आदेश नहीं देता तब तक उन्हें रिहा किया जा सकता है.
बीते 6 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीटर मुखर्जी को जमानत दिया था, तब सीबीआइ ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए समय मांगते हुए रिहाई पर रोक लगाने की मांग की थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीटर मुखर्जी को 2 लाख रुपए की गैरंटी और अदालत की अनुमति के बिना विदेश न जाने की शर्त पर जमानत दिया था.
कोर्ट का कहना है कि मुखर्जी चार साल से सलाखों के पीछे हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत देते समय पीटर मुखर्जी के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं देखा. बॉम्बे हाईकोर्ट का कहना है कि प्रथम दृष्टया अपराध में शामिल होने का कोई सबूत नहीं है.
शीना बोरा हत्याकांड मामले में इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी आरोपी हैं और साल 2015 से जेल में बंद हैं. दोनों को अलग-अलग जेल में रखा गया है. फिलहाल शीना बोरा हत्याकांड मामले में दोनों के खिलाफ ट्रायल चल रहा है.