सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोरोना मामले में फेक न्यूज फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया. सुप्रीम के अनुसार, शहरों से प्रवासी मज़दूरों का अधिक पलायन झूठी ख़बर कारण हुआ है जिनमें लिखा गया है कि राष्ट्रव्यापी बंद 3 महीने तक बढ़ सकता है. ऐसी ख़बर से मज़दूरों में घबराहट पैदा हुई और उनका पलायन हुआ है और कुछ ने अपनी जान गवां दी.इस बात को मद्देनज़र रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि,कोरोना को लेकर जो भी फर्जी खबर आएं, उन पर कार्रवाई की जाए. यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने दिया है.
'Migration Of Labourers Triggered By Fake News', Observes SC; Calls For Responsible Media Coverage On COVID-19 https://t.co/IDCeShVCLh
— Live Law (@LiveLawIndia) March 31, 2020
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि, हम मीडिया से उम्मीद करते हैं कि वह अपने जिम्मेदारी का ख्याल रखते हुए कोई भी ऐसी अत्यापित सूचना का प्रचार-प्रसारण नहीं करेगा जो समाज में घबराहट पैदा करे.
आर्डर
वहीं केंद्र सरकार की मांग की थी कि, अदालत कोरोना मामलों से जुड़ी खबर को लेकर मीडिया द्वारा की जा रही कवरेज को लेकर दिशा निर्देश जारी करे. केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से एक निर्देश मांगा है कि कोई भी मीडिया आउटलेट सरकार द्वारा दिए गए मेकेनिज़्म से तथ्यों की पुष्टि किए बिना COVID -19 पर कुछ भी प्रिंट, प्रकाशित या प्रसारित ना करे.
सुप्रीमकोर्ट ने मीडिया पर कोरोना से जुड़ी ख़बरों के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने से इंकार करते ही यह फैसला दिया है.
न्यूयॉर्क में सीपीजे की सीनियर एशिया फेलो आलिया इफ्तिखार का कहना है कि राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान जनता को सूचित करके पत्रकार एक जरूरी कार्य कर रहे हैं. उन्हें अपना काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार को महामारी को रोकने पर ध्यान देना चाहिये न कि आवश्यक रिपोर्टिंग पर.
The Indian government approached the Supreme Court seeking a directive to news outlets to refrain from publishing any COVID-19-related news without clearance from the government. Court denied the request.https://t.co/GZMVmxbshk
— CPJ Asia (@CPJAsia) April 1, 2020
सीपीजे ने इस मामले में ईमेल के जरिये गृह मंत्रालय से जवाब भी मांगा है. लेकिन मंत्रालय की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
कोरोना महामारी के चलते सरकार ने 11 मार्च को आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया है. इस कानून प्रावधानों के तहत कोई भी गलत दावा या डर का माहौल बनाने वाले पर दो साल की कारावास और जुर्माने या दोनो को लागो किया जाएगा. सरकार ने ब्रिटिश राज में बने महामारी संबधी कानून को भी लागू किया जिसके तहत छ महीने की सजा एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान किया गया है. भारत में राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा के बाद से, CPJ ने पत्रकारों पर हमले और उनके काम में रुकावट के कम से कम तीन मामलों को दर्ज किया है.
इस बीच लुधियाना में फ़र्जी ख़बर फ़ैलाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया है. खबर के मुताबिक लुधियाना ग्रामीण पुलिस ने जालौन तहसील के लामे गांव में फर्जी खबरें और दहशत के आरोप में यह कार्रवाई की है.