(मीडिया विजिल प्रतिनिधि)
शीर्ष समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (पीटीआई) में क़रीब 300 लोगों को अचानक नौकरी से निकाल दिए जाने के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त आक्रोश पैदा हो गया है। पूरे देश में पीटीआई दफ़्तरों में प्रदर्शन शुरू हो गया है। दिल्ली में क़रीब 80 कर्मचारियों को निकाले जाने की ख़बर है जिनमें काफ़ी गुस्सा है। हालात को देखते हुए पीटीआई मैनेजमेंट ने दिल्ली परिसर में पुलिस बुला ली है। पुलिस न्यूज़रूम के अंदर भी है। वहीं कर्मचारियों ने परिसर में धरना और मीटिंग शुरू कर दी है। उधर, बर्ख़ास्तगी के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की भी तैयारी हो रही है।
मीडिया विजिल ने आपको ख़बर दी थी कि बीते शनिवार पीआईटी मैनेजमेंट ने किस तरह 297 ग़ैरपत्रकार कर्मचारियों को अचानक सड़क पर ला दिया। शनिवार का दिन इसलिए चुना गया था क्योंकि ज़्यादातर लोग छुट्टी पर रहते हैं। यही नहीं, उसी दिन बोर्ड की बैठक भी बुला ली गई जिसमें ज़्यादातर बड़े अख़बारों के मालिक हैं।
पीटीआई ने निकाले गए सभी कर्मचारियों की लिस्ट अपनी वेबसाइट पर डाली और सबका हिसाब-किताब भी मेल कर दिया। सोमवार को ऐसे तमाम कर्मचारियों को परिसर में घुसने नहीं दिया गया जिनका नाम लिस्ट में है और जिन्होंने नोटिस को रिसीव कर लिया था। फेडरेशन ऑफ पीटीआई इम्प्लाईज़ यूनियन ने बरख़ास्तगी के ख़िलाफ गेटमीटिंग और धरना शुरू कर दिया है। सीईओ को भेजे पत्र में यूनियन ने सूचित किया है कि यह धरना देश के हर पीटीआई दफ़्तर पर सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक होगा और यह तब तक चलेगा जब तक कि बरख़ास्त कर्मचारियों को काम पर वापस नहीं ले लिया जाता।
कर्मचारियों का रुख देखते हुए प्रबंधन भी सतर्क हो गया है। पुलिस न सिर्फ़ परिसर में तैनात है, बल्कि न्यूज़ रूम में भी बुला ली गई है। ख़ासतौर पर पहले तल पर बैठने वाले एडिटर-इन-चीफ़ विजय जोशी और सीईओ वेंकटेश के चैंबर के पास पुलिस मौजूद है ताकि प्रदर्शनकारीअंदर आकर उन्हें निशाने पर न लें। हालाँकि निकाले गए कर्मचारियों का आईडी कार्ड ब्लॉक किया जा चुका है, इसलिए वे चाहकर भी न्यूज़रूम में प्रवेश नहीं कर सकते।
कुल मिलाकर माहौल तनावपूर्ण है। बरख़ास्तगी के ख़िलाफ़ अदालती कार्रवाई पर भी विचार हो रहा है। मशहूर वकील कॉलिन गोन्साल्विस इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।