पहला पन्ना: उत्तर प्रदेश चुनाव में हिंसा की ख़बर आज भी बमुश्किल छपी!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति और उत्तर प्रदेश चुनाव में हिंसा की खबरें आज दिल्ली के अखबारों में प्रमुखता से नहीं हैं। जनसंख्या नीति की खबर सिर्फ द हिन्दू में लीड है। इंडियन एक्सप्रेस में यह सेकेंड लीड, हिन्दुस्तान टाइम्स में सिंगल कॉलम। टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर नहीं है द टेलीग्राफ में होनी भी नहीं थी। पर टेलीग्राफ में उत्तर प्रदेश चुनावों में हिंसा की जो खबर पहले पन्ने पर है वह दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। इसी तरह द हिन्दू ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में हिंसा के लिए अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की निन्दा की खबर छापी है जो दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। द टेलीग्राफ ने उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान हमले और उसके खामियाजे पर विस्तृत खबर छापी है। दिल्ली के अखबारों टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स में ट्वीटर ने शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की, नाम बताया – खबर प्रमुखता से है। इसके साथ ही अखबार ने खबर दी है कि दिल्ली के आस-पास की ठंडी पहाड़ी जगहों यथा शिमला, देहरादून में इतनी भीड़ लग गई है कि पर्यटकों को वापस भेजा जा रहा है। 

कोविड-19 से पिछले कुछ महीनों में लाखों लोगों के मरने के बाद यह स्थिति बनना नागरिकों के साथ-साथ सरकारी व्यवस्था का भी हाल बताती है। लेकिन खबर सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर है। टाइम्स ऑफ इंडिया में जो खबरें नहीं हैं वो नहीं हैं लेकिन जो है वह दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है या उतनी प्रमुखता से नहीं है। लीड के नीचे दो कॉलम की एक खबर का शीर्षक है, पेट्रोल की कीमत में वृद्धि लोगों को आंदोलित कर रही है। यह खबर भी दूसरे अखबारों में इतनी प्रमुखता से नहीं है। कहने का मतलब है कि जनहित की खबरें पहले पन्ने पर नहीं होती हैं या बहुत कम होती हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर खबर थी कि इस सरकार ने कॉरपोरेट के लिए टैक्स में काफी कमी कर दी है। इससे आयकर मद में वसूली कम हो रही है जबकि पेट्रोल पर ज्यादा टैक्स लगाकर उसकी भरपाई की जा रही है। आप समझ सकते हैं कि आयकर में कमी करके कॉरपोरेट या अमीरों को राहत दी जा रही है जबकि पेट्रोल की कीमत ज्यादा वसूल कर आम आदमी से उसकी भरपाई की जा रही है। यह सरकारी नीति की गड़बड़ी है, अखबार इस बारे में बताते नहीं हैं और व्हाट्सऐप्प पर इससे संबंधित तमाम झूठी सच्ची खबरें घूमती रहती हैं। सरकार सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर नियंत्रण इसीलिए चाहती है कि वह जिन खबरों को चलने दे वहीं चलें बाकी जिसे रोकना चाहे रोक सके।    

जनसंख्या नीति और नियंत्रण पर तो चर्चा होती रहेगी, आज उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में हिंसा की खबरों की बात करता हूं। इस चुनाव के बारे में आपने कल पढ़ा था, राज्य चुनाव आयोग ने नहीं, योगी ने चुनाव परिणाम घोषित किए। … करीब दो घंटे बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इस जीत पर योगी को बधाई ट्वीट कर दी लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने नतीजे तब भी घोषित नहीं किए थे। ….  राज्य की 825 ब्लॉक प्रमुख की सीटों में से सिर्फ 476 के लिए चुनाव हुए और बाकी के 349 या 42 प्रतिशत पर उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिए गए। आदित्यनाथ ने कहा कि इन 349 विजेताओं में से 334 उनकी पार्टी के हैं। …. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे भाजपा का नंगा नाच कहा है और कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने डर जताया है कि यह आगामी विधानसभा चुनावों का ट्रेलर है जिसे जीतने के लिए भाजपा परेशान है। फिर भी खबरें बहुत कम छपीं। समाजवादी पार्टी के प्रेसिडेंट और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल इस संबंध में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की थी। 

इसमें उन्होंने भाजपा की गंडागर्दी की बात की और अमर उजाला के अनुसार, अखिलेश बोले- भाजपा ने लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा कर क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीता। जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में जितनी गुंडागर्दी हुई उतनी किसी चुनाव में नहीं हुई। अगर प्रशासन का इस्तेमाल न होता तो चुनाव के परिणाम कुछ और होते। अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस हरकत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बधाई दे रहे हैं जो कि शर्मनाक है क्योंकि इन चुनाव में गुंडागर्दी का नंगा नाच हुआ है। इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था, भाजपा निकली सबसे बड़ी गुंडा पार्टी। अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दूसरों को गुंडा बताने वाली पार्टी बीजेपी सबसे बड़ी गुंडा पार्टी है। द टेलीग्राफ में पीयूष श्रीवास्तव ने लिखा है, …. विपक्ष ने भाजपा द्वारा हिंसा का आरोप लगाया है और सरकारी अधिकारियों पर सत्तारूढ़ दल के काडर की तरह काम करने का भी आरोप लगा है। 

अखबार ने राज्य चुनाव से संबंधित कुछ वायरल वीडियो और उसके नतीजों की चर्चा की है। पहला वीडियो उन्नाव के सीडीओ दिव्यांशु पटेल का है। इसमें वे एक वीडियो पत्रकार कृष्ण तिवारी का कान पकड़कर उसकी पिटाई करते नजर आ रहे हैं। यह मियांगंज ब्लॉक ऑफिस की घटना है। शनिवार को पत्रकार ने एक वीडियो जारी कर कहा कि वे अपनी शिकायत वापस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि पटेल उन्हें पहचानते नहीं थे। इस तरह वे अपने ही कहे से मुकर गए। मुझे लगता है कि सरकारी अधिकारी सड़क पर जो भी कर रहे हों उसका वीडियो कोई भी बना सकता है जनहित में वे उसे मना कर सकते हैं और गैर कानूनी हो तो बाद में कार्रवाई भी कर सकते हैं लेकिन पीटने का कोई मतलब नहीं है और मार खाने के बाद यह कहना कि अधिकारी मुझे नहीं पहचानते थे इसलिए पीट दिया। मतलब जिसे वे नहीं पहचानते हों उसे पीट सकते हैं? एक अन्य वीडियो में इटावा के एक वरिष्ठ अधिकारी फोन पर कहते सुने जा रहे हैं कि भाजपा के जिला प्रमुख ने उन्हें चांटा मारा है और विधायक व जिला इकाई प्रमुख अपने समर्थकों के साथ घूम रहे हैं जिनके पास बम हैं। इस वीडियो के परिणामस्वरूप स्थानीय भाजपा नेता के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।  

मियांगंज के नए चुने गए स्वतंत्रब्लॉक प्रमुख प्रमुख धर्मेन्द्र सिंह ने कहा है कि मतगणना के दौरान कौन सरकारी अधिकारी है और कौन भाजपा कार्यकर्ता इसमें भेद करना मुश्किल था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके बेटे से हाथापाई की पर वे चुप रहे क्योंकि मार दिए जाने के डर था। ऐसी हालत में चुनाव हुए। मुख्यमंत्री ने खुद ही जीत की घोषणा कर दी और प्रधानमंत्री ने बधाई दे दी। अखबारों में खबरें भी नहीं के बराबर छपीं। टाइम्स ऑफ इंडिया में आज एक और खबर है जो लोगों को ब्लैकमेल करने वाले एक गिरोह की जानकारी देता है। अव्वल तो यह सब कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने का सबूत है लेकिन आज कल नौकरी की जो हालत है उसमें कोई भी ऐसा करने को मजबूर हो सकता है। ऐसे में सबको सतर्क रहने की जरूरत है पर ऐसी खबरें भी दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है। आजकल यू ट्यूबर्स ऐसे वीडियो खूब बना रहे हैं और मजबूर लोगों की सहायता कर रहे हैं। बहुत संभव है कि यह भी ऐसा ही कोई मामला हो और इसीलिए पकड़ा गया हो। शीर्षक में ही बताया गया है कि इस गिरोह में दो इंजीनियर एक एमबीए था। 29 साल की शालिनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और गए साल उसकी नौकरी चल गई तो उसने यह धंधा शुरू कर दिया था।   

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।