ऑस्ट्रेलिया: प्रेस पर हमले के विरोध में अख़बारों ने पहला पेज काला छोड़ दिया

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ऑस्ट्रेलिया की सरकार द्वारा पारित गोपनीयता कानून व् अन्य जनविरोधी कानूनों के विरोध में सोमवार को ऑस्ट्रेलिया के अख़बारों ने अपना पहला पेज काला छोड़ दिया. दरअसल ऑस्ट्रेलिया की सरकार पर आरोप है कि वहां पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है. वहां की सरकार के उस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई है, जिसके तहत सरकार पत्रकार, सूत्र और व्हिसलब्लोअर्स को अरेस्ट कर रही है.

एक रिपोर्ट के अनुसार #righttoknow अभियान के तहत अखबारों ने यह कदम उठाया. जिन अखबारों के पन्ने काले किए गए हैं, उनमें द आस्ट्रेलियन, द संडे हेराल्ड, फाइनेंसियल रिव्यु , द डेली टेलीग्राफ प्रमुख है. ट्विटर #righttoknow और #pressfredom के साथ पत्रकारों ने तस्वीरें ट्वीट की है.

ऑस्ट्रेलियाई संसद ने पिछले 20 वर्षों में गोपनीयता और जासूसी से संबंधित 60 से अधिक कानून पारित किए हैं. यह वर्तमान में व्हिसलब्लोअर कानूनों की समीक्षा कर रहा है. पिछले दो वर्षों में 22 कानून पारित किए गए हैं. अखबारों ने पहले पन्ने पर लिखा है कि ‘जब सरकार सच दूर रखती हो, वे क्या कवर करेंगे?’

इससे पहले जून में फेडरल पुलिस ने नेशनल ब्रॉडकास्‍टर ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (ABC) में छापेमारी की थी और न्‍यूजकॉर्प ऑस्ट्रेलिया की पत्रकार एन्निका स्‍मेथर्स्‍ट के घर में भारी तोड़-फोड़ की गई थी. यह उन दो खबरों के लिए की गई कार्रवाई थी जो सरकार के लिए शर्मिंदगी लेकर आईं. मीडिया संगठनों का कहना है कि व्हिसलब्लोअर्स ने एक सूचना दी थी, इसी को छापे जाने की वजह से मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया गया.

छापेमारी के बाद तीन पत्रकारों पर आपराधिक मुकदमे हुए हैं. स्‍मेथर्स्‍ट की खबर थी कि सरकार ऑस्‍ट्रेलियाई नागरिकों पर जासूसी की योजना बना रही है. वहीं, ABC ने अफगानिस्‍तान में ऑस्‍ट्रेलिया की स्‍पेशल फोर्सेज के कथित युद्ध अपराधों का खुलासा किया था.

न्यूज कॉर्प ऑस्ट्रेलिया के कार्यकारी चेयरमैन माइकल मिलर ने ब्लैक आउट न्यूज़ पेपर की तस्वीर ट्वीट की. इस ट्वीट में द ऑस्ट्रेलियन और द डेली टेलीग्राफ अखबार की भी कॉपी है. उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वह सरकार से पूछें कि “वे मुझसे क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं?”

https://twitter.com/michaelmillerau/status/1186043213011795968

ऑस्‍ट्रेलिया में फ्री स्‍पीच को लेकर संविधान में कोई व्‍यवस्‍था नहीं है. 2018 में सरकार ने व्हिसलब्‍लोअर्स की सुरक्षा के लिए एक प्रावधान किया था. हालांकि मीडिया संस्‍थानों का कहना है कि प्रेस की स्‍वतंत्रता अभी तक बेड़‍ियों में है. वहां के मानहानि कानून बेहद जटिल हैं और दुनिया में सबसे कड़े माने जाते हैं.