नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ जारी विरोध के बीच कई पत्रकारों पर हमले हुए. बीते 11 दिसम्बर से 21 दिसम्बर बीच 11 दिनों में कई पत्रकारों को टारगेट किया गया है. सबसे दुखद यह है कि इनमें से ज्यादातर पत्रकार मुस्लिम समुदाय से हैं जिनको टारगेट किया गया. ये हमले इस बात को भी साबित करते हैं कि सरकारी तंत्र और और कुछ समुदाय विशेष के लोगों ने इन्हें चुन-चुन कर टारगेट किया है.
जिन पत्रकारों पर हमले हुए और जिन्हें चुनिन्दा तौर पर टारगेट किया गया उनकी सूचि पर एक नज़र डालते हैं.
शाहीन अब्दुल्ला
शाहीन अब्दुल्ला, मक्तूब मीडिया ( 15 दिसम्बर 2019), शाहीन अब्दुल्ला दिल्ली स्थित एक डिजिटल मीडिया में असोसिएट क्रिएटिव एडिटर हैं. 15 दिसम्बर को जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर पुलिस ने इनको टारगेट कर इन पर हमला किया. पुलिस ने इनको लाठियों से पिटा जब वे जामिया के बाहर नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे विरोध को कवर कर रहे थे. पुलिस वालों ने उन्हें जमकर पीटा. बाद में उन्हें होली फेमली अस्पताल में भर्ती कराया गया.
शाहीन ने बताया -मैं वहां से न्यूज़ अपडेट कर रहा था, मैं प्रेस डेलिगेशन के साथ था. हम सब साथ थे. जब छात्रों को घेर लिया गया तो तो मैं उनकी ओर भागा, उनमें से कुछ को मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता था.उन्हें सुरक्षित जगह जाने में मदद करना चाहता था. तभी पुलिस ने मुझे घेर लिया. मैंने उन्हें कहा कि मैं एक पत्रकार हूँ , मैंने अपना प्रेस कार्ड दिखाया और कहा मुझे मत मारो. मैं यहाँ हिंसा करने नहीं आया हूँ. मैं सिर्फ इनकी सहायता कर रहा हूँ.
पर पुलिस वालों ने मेरी एक न सुनी और मुझे घेर कर बेरहमी से मारा. मैं उन्हें समझता रहा और वे मुझे मारते रहे. फिर मैं किसी तरह एक सुरक्षित स्थान पर चला गया.
बुशरा शेख, बीबीसी
15 दिसम्बर को ही बीबीसी की महिला पत्रकार बुशरा शेख के साथ पुलिस वालों ने बदसलूकी और अभद्रता की, उनके बाल खींचे और डंडों से मारा.
बुशरा दक्षिण दिल्ली में छात्रों के आन्दोलन को कवर कर रही थीं.
Jamia protest: Woman journalist says cops pulled her hair, hit with baton, broke phone
शारिक़ आदिल युसुफ़ (पल पल न्यूज़)
15 दिसम्बर को ही पल पल न्यूज़ के रिपोर्टर शारिक़ आदिल युसुफ़ ने पुलिस से जामिया के भीतर जाने की अनुमति ली जहां से बाकी मीडिया कर्मी आन्दोलन को कवर कर रहे थे. 20 मिनट कवर करने के बाद जब वे बाहर आये तो पुलिस वालों ने उन्हें गालियां देते हुए उनसे उनका फोन माँगना शुरू कर दिया. जब उन्होंने फोन देने से मना कर दिया तो पुलिस वालों ने उन्हें लाठियों से मारना शुरू कर दिया. पुलिस वालों ने बूट से उनका फोन तोड़ दिया और उनका प्रेस कार्ड छीन लिया.
https://www.facebook.com/100003742737506/videos/1779142202220520/
अजान जावेद, द प्रिंट, ( 17 दिसम्बर, श्रीनगर)
17 दिसम्बर को जावेद कुछ साथी पत्रकारों के साथ श्रीनगर पहुंचे. वहां उन्हें खबर मिली कि इस्लामिया कॉलेज ऑफ़ साइंस एंड कॉमर्स में छात्रों का प्रदर्शन चल रहा है. वे छात्रों से बात कर जानना चाहते थे कि किस बात का प्रदर्शन है, क्या इस प्रदर्शन का सम्बन्ध नागरिकता कानून से है या कुछ और है ?
जब वे वहां पहुंचे तो देखा कि कालेज में मुख्य द्वारा पर बंद है और वहां सीआरपीएफ के जवान खड़े हैं. कॉलेज के अंदर से मुख्य सड़क की ओर पत्थर फेंके जा रहे थे जहाँ हम सुरक्षा बलों के साथ खड़े थे.
यह देखते हुए कि वे छात्रों के साथ बातचीत करने में सक्षम नहीं हैं,उन्होंने लौटने का फैसला किया.
विरोध स्थल से कुछ दूरी पर रेनावाड़ी एरिया के एसएचओ राशिद खान खड़े दिखे, जहां मुख्य सड़क पर कुछ युवकों को पकड़ कर ले जाया जा रहा था.
अजान जावेद ने अपने साथियों के साथ उसे फिल्माना शुरू किया. यह देखते ही राशिद खान ने पहले उन्हें धनकी दी और मांग की कि वे अपने फोन का इस्तेमाल करना बंद कर दें . जब उन्होंने विरोध किया तो उसने फोन छीन लिया.
फिर बात आगे बड़ी और उनसे उनका फोन छीन लिया गया, उनकी संस्था पर सवाल किया गया. उन्हें मारपिटा गया.
Abused, hit, phone snatched’ — ThePrint journalist Azaan Javaid beaten up by J&K police
20 दिसम्बर, मंग्लुरु में मुजीब, शब्बीर, अनीस और 5 अन्य मलयालम न्यूज़ के पत्रकारों को पुलिस ने 5 घंटे तक कैद में रखा. ये सभी पत्रकार मलयाली के नामी और चर्चित न्यूज़ चैनलों से थे जिनमें, एशियानेट, न्यूज़ 18, मीडियाऑन और ट्वेंटीफ़ॉर न्यूज़ शामिल हैं.
https://twitter.com/dhanyarajendran/status/1207910272377094144
इस सभी के पास प्रेस आइडी और कुछ के पास केरल सरकार से मान्यता प्राप्त पहचान पत्र होने के बाद भी मंगलुरु पुलिस ने इन्हें घटों हिरासत में रखा. हिरासत के दौरान इन्हें खाना पानी खुछ नहीं दिया गया.
This is Mujeeb. He is the reporter for Asianet News. He is standing at the Kerala- Karnataka border. This pic was sent from there. In his hands, he is holding an accreditation card from the Kerala govt. What else did cops need? I rest my case. pic.twitter.com/kR6AN050f0
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) December 20, 2019
ओमर राशिद, द हिन्दू
20 दिसम्बर को की एक और घटना में ‘द हिन्दू’ के लखनऊ संवाददाता ओमर राशिद के साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया .उन्हें थाने में ले जाकर उनसे बहुत ही अमानवीय तरीके से पूछताछ की गई. पुलिस ऑफिसर के सामने उन्हें खड़े होने को कहा गया. उनसे कश्मीरीओं के बारे में पूछा गया.
बात जब सीएमओ तक पहुंची तो पुलिसवालों ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि यह सब ग़लतफ़हमी की वजह से हुई !
‘The Hindu’ correspondent Omar Rashid of how he was picked up, threatened and released by cops
11 दिसम्बर को गुवाहाटी में एनडीटीवी के पत्रकार रतनदीप चौधरी के साथ गुवाहाटी में दुर्व्यव्हार हुआ.