मोदी 2 सरकार ने देश तीन बड़े मीडिया समूहों ‘द टाइम्स’ ग्रुप, ‘आनंद बाजार पत्रिका (एबीपी)’ ग्रुप के ‘द टेलीग्राफ’ अख़बार और ‘द हिन्दू’ के सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगा दी है. बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी के एक कार्यकारी अधिकारी के अनुसार सरकार ने किसी खबर से नाराज़ होकर यह रोक लगाई है.
एबीपी समूह के अनुसार,बीते छह महीने में विज्ञापन में 15 फीसदी की गिरावट आई है. जबकि सरकार की ओर से ऐसी कोई सूचना नहीं दी गई थी. इन सबके बावजूद प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखा जाना चाहिए. एबीपी ग्रुप का टेलीग्राफ अखबार मोदी सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर बेरोजगारी तक तमाम मुद्दों पर घेरता रहा है. एबीपी ग्रुप के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, “जब आप सरकार के खिलाफ कुछ भी लिखते हैं, तो जाहिर है कि वे आपको किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाएंगे ही.”
‘द हिंदू’अखबार का कहना है कि बीते फरवरी में भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान सौदे में गड़बड़ी की ख़बर प्रकाशित होने के बाद से विज्ञापन में गिरावट आई है. इन रिपोर्ट्स में सरकार को दोषी ठहराया गया था. हालांकि, सरकार ने द हिंदू की रिपोर्ट्स में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था.
25 मिलियन से ज्यादा मासिक पाठक वर्ग वाले तीनों बड़े अख़बार समूहों का कहना है कि मोदी के लगातार दूसरी बार भारी बहुमत से चुनकर सत्ता में आने से पहले ही उनके करोड़ों रुपये के विज्ञापनों को बंद कर दिया गया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, आलोचक लगातार कहते रहे हैं कि साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में मीडिया की स्वतंत्रता खतरे में है. वहीं, कई पत्रकारों की यह शिकायत रही है कि आलोचनात्मक रिपोर्ट लिखने के कारण उन्हें डराया-धमकाया जाता है.
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद में कहा था कि सरकार तीन बड़े अखबारों के समूहों को झुकाना चाहती है.
उन्होंने कहा था, ‘सरकारी विज्ञापन रोकने की अलोकतांत्रिक और अहंकारी प्रवृत्ति इस सरकार का मीडिया को उसकी लाइन बदलने के लिए एक संदेश है.’ बुधवार को चौधरी ने संसद में कहा कि मीडिया को दबाया जा रहा है और सरकार के खिलाफ बोलने पर अखबारों के विज्ञापन रोके जा रहे हैं.
वहीं इस मामले पर बीजेपी के मुताबिक भारत में प्रेस पूरी तरह से स्वतंत्र है.भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि अखबारों में और टेलीविजन चैनलों पर सरकार की बहुत आलोचना हुई है और “यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गवाही है.उन्होंने कहा कि भाजपा पर प्रेस की आजादी को दबाने का आरोप लगाना बकवास है.
बता दें कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत साल 2019 में 180 में से 140 वें स्थान पर रहा, जो कि अफगानिस्तान, म्यांमार और फिलीपींस जैसे देशों से भी कम है.