दि वायर वेबसाइट पर लोकप्रिय शो ‘जन गण मन की बात’ प्रस्तुत करने वाले मशहूर पत्रकार विनोद दुआ का नाम अभियान के शिकार सेलिब्रिटी शख्सियतों में सबसे नया है।
फिल्मकार निष्ठा जैन ने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर उनके ऊपर बरसों पहले उत्पीड़न करने का आरोप लगा दिया है।
निष्ठा जैन ने लिखा है:
‘’बात जून 1989 की है। मुझे वह दिन अब भी याद है क्योंकि मेरा जन्मदिन था। परिवार के लोग घर आए हुए थे और मेरी मां शाम को एक छोटेमोटे जश्न की तैययारियां कर रही थीं। मैं जामिया के मास कम्युनिकेशन सेंटर से स्नातक कर के अभी निकली ही थी। मैंने अपनी पसंदीदा साड़ी पहनी और लोकप्रय शो जनवाणी प्रस्तुत करने वाले एक मशहूर टीवी व्यक्तित्व के पास नौकरी के लिए इंटरव्यू देने घर से निकल गई। वे कोई नया कार्यक्रम शुरू कर रहे थे। वह एक राजनीतिक व्यंग्य का प्रोग्राम था और मेरी दिलचस्पी उसमें थी। उन्होंने अपनी विर परिचित मुस्कान से मेरा स्वागत किया। मैं ठीक से बैठ भी नहीं पायी थी कि उन्होंने हलकी आवाज़ में बमुश्किल अपना मुंह खोले एक अश्लील चुटकुला सुनाना शुरू कर दिया। मुझे वह चुटकुला तो याद नहीं लेकिन उस पर हंसा नहीं जा सकता था। वह भद्दा था। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं वहां उसी भाव मैं बैठी रही। उन्होंने काम के बारे में बताया और मेरी अपेक्षाएं पूछीं। मैंने उस वक्त 5000 रुपया उनसे मांगा जो उस समय ज्यादातर स्नातकों की मांग होती थी। वे मेरी तरफ देखे और बोले- तुम्हारी औकात क्या है? पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं बिलकुल पत्थर सी हो गई। ये क्या था? मैंने पहले भी जिंदगी में उत्पीड़न झेला था लेकिन ऐसी शर्मिदंगी का मेरा पहला तजुर्बा था। घर पहुंची तो मेरे आंसू निकल रहे थे। मेरा जन्मदिन बरबाद हो गया। मैंने दोस्तों और अपने भाई को इस बारे में बताया। जल्द ही मुझे न्यूज़ट्रैक में वीडियो एडिटर की नौकरी मिल गई। पता नहीं इस आदमी को सब कैसे पता लग गया कि मैं देर रात काम करती हूं। उनके कुछ दोस्त मेरे दफ्तर में थे जिन्होंने उन्हें बताया होगा। एक रात मैं पार्किंग में नीचे आई तो वे वही खड़े मिले। उन्होंने कहा कि वे मुझसे कुछ बात करना चाहते हैं और अपनी काली एसयूवी/जीप में बैठने के लिए कहा। मुझे याद नहीं वह कौन सी गाड़ी थी। मैं ऑटोमोबाइल की जानकार नहीं हूं। मैं मानकर चल रही थी कि वे अपने बरताव के लिए खेद जताना चाह रहे होंगे इसलिए मैं उनकी कार में घुस गई। मैं ठीक से बैठी भी नहीं थी कि उन्होंने मेरे पूरे चेहरे को बुरी तरह चाटना शुरू कर दिया। मैं किसी तरह उनकी गाड़ी से निकली और अपने दफ्तर की कार में बैठकर निकल ली। बाद में कुछ और रातों में मैंने उन्हें पार्किंग में देखा। मैं उन्हें देखते ही लौट जाती और दफ्तर की गाड़ी में साथ जाने के लिए किसी और का इंतजार करती। कुछ दिन बाद उन्होंने मेरा पीछा करना छोड़ दिया। इस आदमी का नाम था विनोद दुआ। मैंने देखा कि उनहोंने अपनी बेटी मल्लिका दुआ पर अभिनेता अक्षय कुमार की अश्लील टिप्पणियों के खिलाफ कैसी नाराजगी जतायी थी। मैंने खुद से कहा कि लगता है वे भूल गए हैं कि वे खुद कितने अश्लील और स्त्री-द्वेषी हैं, अक्षय कुमार से कम यौन उत्पीड़क और कम संभावित बलात्कारी नहीं हैं। अगर उन्होंने मेरे साथ किया तो दूसरी औरतों के साथ भी किया होगा। आज वे अपने प्रोग्रामों दुनिया को यौन उत्पीड़न का मतलब समझाते हैं। उन्हें ये सब बंद कर के अपने दागदार अतीत को देखना चाहिए। मैंने वरुण ग्रोवर पर फर्जी आरोप वाले ट्विटर थ्रेड पर भी उन्हें देखा था। मुझे साफ़ समझ में आ रहा था कि जब उनके खिलाफ कहानियां निकलेंगी तो उनके दिमाग में क्या पक रहा होगा। अगर वे इनकार करते हैं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। वे हमेशा से अवसरवादी ही रहे हैं। सॉरी मल्लिका दुआ, तुम्हारे पिता भी इसी शर्मनाक बिरादरी के निकले।”
अपनी दूसरी पोस्ट में निष्ठा ने लिखा है कि वे पिछले साल ही यह कहानी बाहर लाना चाहती थीं लेकिन उनके दोस्तों ने ऐसा करने से मना कर दिया।
इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार और हिंदुस्तान दैनिक की पूर्व संपादक मृणाल पांडे ने ट्विटर पर लिखा है कि उन्हें विनोद दुआ ने एक पुरुषवादी स्तंभ लिखने का प्रस्ताव दिया था जिसे उन्होंने इनकार कर दिया। दुआ का उद्देश्य वामा के स्त्रीवाद के खिलाफ यह स्तंभ चालू करने का था। वे लिखती हैं कि विनोद दुआ प्रतिभाशाली तो थे लेकिन उनके पास उतने पैसे नहीं थे।
Vinod Dua was contributing to Yuv Vani in 1984. I turned down his tongue in cheek proposal to write a male chauvinist column to offset"Vama's kind of feminism".So yes he was talented but not flush w funds.That sort of moolah came to TV hosts w cable TV post Iraq war. https://t.co/ZVp9k0R8xX
— Mrinal Pande (@MrinalPande1) October 14, 2018