सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता और क़ौमी रफ़्तार अख़बार के संपादक डॉ. अलीमुल्लाह खान पर योगी सरकार द्वारा मिनी गुंडा एक्ट के तहत कार्यवाही करने की चारों तरफ़ आलोचना हो रही है. डॉ. खान यूपी कोआर्डिनेशन कमेटी अगेंस्ट सीएए, एनआरसी, एनपीआर के सह-संयोजक भी हैं। कमेटी ने एक बयान जारी कर के राज्य सरकार के इस कृत्य की निंदा की है तो दूसरी ओर यूपी कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने मुख्यमंत्री योगी को लोकतंत्र के लिए कोरोना से भी ख़तरनाक बताया है।
शाहनवाज आलम ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा- “मुख्यमंत्री योगी लोकतंत्र के लिए कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं. योगी उत्तर प्रदेश को लोकतंत्र की कत्लगाह में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि पेशेवर कुख्यात अपराधियों पर लगाया जाने वाला मिनी गुंडा एक्ट डॉ. अलीमुल्लाह जैसे शरीफ इंसान पर लगा दिया गया है जबकि न तो उनका कोई आपराधिक इतिहास है और न ही किसी आपराधिक मुकदमे में वे आरोपी हैं. वे जेएनयू और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र और लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं. डॉ. अलीमुल्लाह ने पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है.
शाहनवाज आलम ने कहा कि सीएए विरोधी आंदोलन में निर्दोष नौजवानों की पुलिस की गोलियों से हत्या कराने से भी मुख्यमंत्री योगी को संतुष्टि नहीं हुई तो अब वह राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे लाद रहे हैं. उन्होंने कहा कि माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बेशर्म कहने से भी मुख्यमंत्री योगी को शर्म नहीं आयी. योगी लगातार लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों पर हमला बोल रहे हैं. अभी तक लखनऊ में आंदोलनकारियों के गैरकानूनी तरीके से लगाये गए होर्डिंग भी नहीं हटाये हैं.
CAA का विरोध कर रहे उर्दू अखबार ‘क़ौमी रफ़्तार’ के संपादक की आपबीती
यूपी कोआर्डिनेशन कमेटी अगेंस्ट सीएए, एनआरसी, एनपीआर ने भी कमेटी के सह-संयोजक डॉ.अलीमुल्लाह खान पर योगी सरकार द्वारा मिनी गुंडा एक्ट के तहत कार्यवाही की निंदा की है.
शनिवार को जारी एक बयान में यूपी कोआर्डिनेशन कमेटी अगेंस्ट सीएए, एनआरसी, एनपीआर के संयोजक और मशहूर गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता मैग्सायसाय अवार्ड विजेता डॉ. संदीप पांडेय ने आंदोलनकारी खान पर मिनी गुंडा एक्ट की योगी सरकार की कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या बताया.
यूपी कोआर्डिनेशन कमेटी के सह संयोजक अजीत सिंह यादव ने कहा कि बर्बर पुलिस दमन के बाबजूद योगी सरकार नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ सूबे में आंदोलन को रोकने में सफल नहीं हो सकी है. लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जारी आंदोलन से भयभीत मुख्यमंत्री योगी अहिंसक आंदोलनकारियों को निशाना बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि योगी एक मठ के मठाधीश रहे हैं और वे मठाधीश की तरह ही पूरे सूबे को हांक रहे हैं. संविधान, संवैधानिक मूल्यों और संस्थाओं का सम्मान करना उनके शब्दकोश में है ही नहीं. भाजपा ने योगी को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश की जनता के जनादेश का अपमान किया है.
अलीमुल्लाह को सहायक पुलिस आयुक्त (महानगरीय क्षेत्र लखनऊ) द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 111/110 जी (मिनी गुंडा एक्ट) के तहत विगत 13 मार्च को नोटिस जारी किया गया है और 26 मार्च को पेश होने का आदेश दिया गया है.