पहला पन्ना: संसद में महिला सांसदों से धक्का मुक्की, शरद पवार ने पहली बार देखा पर ख़बर नहीं! 

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


आज के अखबारों की एक प्रमुख खबर है पुस्तक, “स्पाई स्टोरीज : इनसाइड द सीक्रिट वर्ल्ड ऑफ द रॉ एंड आईएसआई” की चर्चा। इंडियन एक्सप्रेस ने इसे पहले पन्ने पर एंकर बनाया है जबकि द हिन्दू ने लीड बनाया है। पत्रकार दंपत्ति अड्रेन लेवी और कैथी स्टॉक क्लार्क की इस पुस्तक में कई खुलासे हैं जिनकी चर्चा अखबारों के लिए जारी की गई है। बेशक इनमें कई महत्वपूर्ण खुलासे हैं पर अखबार में पहले पन्ने की खबर है कि नहीं इस पर मैं उलझन में हूं। पहले तो मैं ऐसी खबरों को पहले पन्ने की खबर नहीं मानता था लेकिन जब नियमित रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” पहले पन्ने पर जगह पा सकती है तो कभी-कभी होने वाले ऐसे खुलासे क्यों नहीं। फिर भी तथ्य है कि पुस्तक के इन खुलासों की सूचना मेरे पांच अखबारों में दो ही अखबारों ने पहले पन्ने पर है। आज कल पहले पन्ने की खबरों में भारी विविधता है। 

उदाहरण के लिए हिन्दुस्तान टाइम्स ने कल (11 अगस्त 2021) पहले पन्ने के अधपन्ने पर बताया था कि जम्मू कश्मीर में 2019 के बाद से राज्य के बाहर के दो लोगों ने संपत्ति खरीदी है। अखबार ने शीर्षक में ही यह भी बता दिया था कि यह जानकारी सरकार ने दी थी। सरकार की ओर से यह जानकारी संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी गई थी। जवाब में संपत्ति खरीदने का ही जिक्र है और इसके अलावा कोई विवरण नहीं दिया गया। आज इसी अखबार में पहले पन्ने पर खबर है और यह भी संसद में दी गई जानकारी है कि अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से जम्मू और कश्मीर में (पता नहीं राज्य में या दो हिस्सों में बांट दिए गए केंद्र शासित प्रदेशों में किसमें) नौ संपत्तियां कश्मीरी हिन्दुओं को वापस दे दी गई हैं। ये वो लोग है जो 1990 के दशक की आतंकी हिंसा के बाद घाटी छोड़कर भाग गए थे। 

खबर में यह भी बताया गया है कि 520 कश्मीरी प्रवासी 2019 के बाद वापस आए हैं और प्रधानमंत्री के विकास पैकेज 2015 के तहत मिली नौकरी करने आए हैं। इसका विवरण अंदर के पन्ने पर है। अनुच्छेद 370 हटाने के इस फायदे को आप कैसे देखते हैं आप जानिए मैं तो सिर्फ यह देख रहा हूं कि दो साल बाद ये सूचनाएं मांगने पर दी गई हैं। बाकी वहां का हाल अखबारों में शायद ही कभी छपा हो। सरकारी प्रचार की ऐसी खबरें जब पहले पन्ने पर छपती हैं तो हर अखबार की अपनी प्राथमिकता है और कुछ तो बाकायदा प्रचार ही कर रहे हैं। आज कई महत्वपूर्ण खबरें हैं और सबको प्राथमिकता देने का सबका अपना अंदाज है। आज अलग-अलग अखबारों के इसी अंदाज को समझने की कोशिश कीजिए। मैं सिर्फ प्रमुख खबरों के शीर्षक और उनकी प्रस्तुति बताता हूं। 

 

हिन्दुस्तान टाइम्स 

  1. हंगामे के बीच मानसून सत्र जल्दी खत्म कर दिया गया, लीड 
  2. इस खबर के साथ एक बच्चा खबर है, नायडू फूट पड़े, ऐसी खराब स्थिति पर कई रात सो नहीं पाया। 
  3. पूर्व मुख्य सचिव मामले में केजरीवाल सिसोदिया को क्लीन चिट, लीड के साथ टॉप पर 
  4. नफरती नारों के मामले में भाजपा नेता को जमानत मिल गई, चार कॉलम में
  5. लाइसेंस, आरटीओ सेवाएं दिल्ली में पूरी तरह ऑनलाइन हुईं
  6. हिमाचल प्रदेश में भू स्खलन से 10 मरे – अधपन्ने पर लीड है 

(आधा पन्ना विज्ञापन है) 

 

टाइम्स ऑफ इंडिया 

  1. मुख्य सचिव पर हमले के मामले में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री आरोपमुक्त 
  2. इस सत्र में लोकसभा 96 घंटे में सिर्फ 21 घंटे चली, राज्य सभा 98 में 28 घंटे, सेकेंड लीड 
  3. हिमाचल प्रदेश दुर्घटना की तस्वीर है। 
  4. टीके की दोनों खुराक लगवा चुके लोगों की आरटी-पीसीआर टेस्ट छोड़ी जाए: सरकार राज्यों से 

 

(अधपन्ने पर विज्ञापन है और पहले पन्ने पर भी आधा)

 

इंडियन एक्सप्रेस 

  1. पहले की गलतियां ठीक करने और पहले से प्रभावी टैक्स (के मामले में) कदम से भरोसा बनेगा, प्रधानमंत्री ने कहा। यह सीआईआई बैठक की खबर है। एक्सप्रेस ने इसे लीड बनाया है।  
  2. संसद सत्र का जल्द समापन: नायडू फूट पड़े, बिड़ला ने नाराजगी जताई, सेकेंड लीड है
  3. हिमाचल प्रदेश की दुर्घटना की खबर या लीड और सेकेंड लीड के बीच में फोटो के साथ है। 
  4. चौथी प्रमुख खबर पुस्तक, स्पाई वर्सेज स्पाई की है जिसकी चर्चा मैं पहले कर चुका हूं। आज विज्ञापन कम है इसलिए खबरें ज्यादा हैं।
  5. कानपुर में 1984 के दंगों की जांच करने वाली टीम ने 36 साल बाद सबूत उठाए 

 

द हिन्दू 

  1. बालाकोट से पहले बैक चैनल चर्चा जारी थी, पुस्तक चर्चा लीड जैसा पहले बताया है। 
  2. सेकेंड लीड है, केंद्र ने ऑक्सीजन से मौतें स्वीकारीं, तीन कॉलम 
  3. हिमाचल की दुर्घटना की खबर फोटो के साथ टॉप पर है। 
  4. इंडिया इंक को जोखिम लेने की अपनी भूख बढ़ानी चाहिए: मोदी   
  5. मुख्य सचिव पर हमले का मामला: अदालत ने केजरीवाल, डिप्टी सीएम और 9 आप नेताओं को बरी किया 
  6. भाजपा ने जाति आधारित जनगणना की मांग की 

(यहां भी विज्ञापन कम हैं)  

 

द टेलीग्राफ 

  1. नींद नहीं आई पर गलत कारणों से – फ्लैग शीर्षक है, नायडू के आंसुओं पर विपक्ष की प्रतिक्रिया। यह खबर वैसे लिखी गई है जैसे लिखी जानी चाहिए और निस्चित रूप से लीड है। 
  2. हिमाचल दुर्घटना की तस्वीर 
  3. ट्वीटर ने राहुल के खिलाफ पूर्वग्रह से संबंधित सवालों के जवाब नहीं दिए 
  4. जोखिम भरा पर मुखर और अशांत – फ्लैग शीर्षक है, घाटी में जबरदस्ती को पछाड़ने वाली आवाज

यहां चौथाई पन्ने का विज्ञापन है। 

 

कहने की जरूरत नहीं है कि आज के अखबारों में पहले पन्ने के लिए चुनी गई खबरों में भारी भिन्नता है और हेडलाइन मैनेजमेंट का पूरा असर दिख रहा है। संसद नहीं चल पाने की चिन्ता है पर उसे जल्दी बंद कर दिया जाना कम चिन्ता की बात है। आश्चर्य तो यह है कि शरद पवार ने कहा, 55 साल के अपने संसदीय कैरियर में मैंने पहली बार देखा कि महिला सांसदों पर हमला किया गया। 40 से ज्यादा पुरुषों व महिलाओं को सदन में बाहर से लाया गया था। यह तकलीफदेह है। यह लोकतंत्र पर हमला है। लेकिन यह खबर पहले पन्ने की नहीं है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे पहले पन्ने पर विज्ञापन के पीछे वाले पन्ने पर छापा है जो खबरों के पहले पन्ने से पहले ही निकल जाता है। वैसे भी संसद में ऐसा हुआ और शरद पवार ने 55 साल में पहली बार देखा तो सरकार के इनकार का क्या मतलब है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर का शीर्षक लगाया है, महिला सांसदों ने कहा, मार्शल्स ने उनके साथ धक्का-मुक्की की, सरकार ने इससे इनकार किया। इस तरह जो खबर है वह सबसे नीचे और जिसे सबसे नीचे रहने की औपचारिका पूरी करनी थी उसे शीर्षक बना दिया गया है। सामान्य स्थितियों में शीर्षक होता, महिला सांसदों ने कहा, मार्शल्स ने उनके साथ धक्का-मुक्की की, शरद पवार बोले पहली बार देखा। पर जो दूसरा शीर्षक है वह कितना गंभीर है आप सोचिए। बाकी संसद की किचनी चिन्ता है वह तो कार्यकाल के दौरान हमने देखा ही। टाइम्स ऑफ इंडिया में एक और खबर इसी पन्ने पर है, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा है कि संसद के काम-काज को सहज बनाने के लिए सदन के नियम और सख्त बनाए जाएं। 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।