नई दिल्ली। हिंदुस्तान टाइम्स के कर्मियों का संघर्ष 15 साल बाद रंग ले आया। प्रबंधन ने उनको उनके हक का पैसा दे दिया है। ज्यादातर कर्मचारी कंपनी से मिले चैक का अपने एकाउंट में डलवा चुके हैं और पैसा उनके खाते में पहुंच चुका है। इसके अलावा उन्हें जनवरी 2019 माह के वेतन का भुगतान कर दिया गया है।
सन् 2004 में निष्ठुर हिंदुस्तान प्रबंधन ने एक झटके में 470 से ज्यादा कर्मियों को एक झटके से सड़क पर फेंक दिया था। जिसके बाद से इनका संघर्ष निरंतर जारी रहा। इस संघर्ष की लड़ाई से कई असमय काल के गाल में समा गए या गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो गए। कई ने प्रबंधन से समझौता कर लिया। परंतु 272 कर्मचारी अपने हक के लिए मैदान में डटे रहे और डीएलसी, लेबर कोर्ट, हाई कोर्ट से लेकर उच्चतम न्यायालय तक प्रबंधन से लोहा लेते रहे। कड़कड़डूमा कोर्ट ने 23 जनवरी 2012 इनके हक में फैसला आया। परंतु प्रबंधन कभी हाईकोर्ट तो कभी उच्चतम न्यायालय में जा-जाकर मामले को लटकाने का प्रयास करता रहा।
अभी इन्हें 2014 से 2018 तक का ही पैसा मिला है, जोकि लगभग 18 करोड़ रुपये है। ये राशि न बंटे इसके लिए भी प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। उच्चतम न्यायालय ने मामले में कोई स्टे नहीं दिया। जिसके बाद पटियाला कोर्ट ने प्रबंधन को कर्मचारियों को उनकी राशि देने को कहा। हिंदुस्तान टाइम्स की संपत्ति बाराखंबा रोड पर होने की वजह से ये मामला पटियाला कोर्ट में पहुंचा था। पटियाला कोर्ट के कर्मचारियों की बहाली का आदेश भी दिया था जिसके बाद हिंदुस्तान प्रबंधन ने सबको ड्यूटी पर ज्वाइन करवाया। हां, ये जरूर है कि प्रबंधन ने एक बार फिर कुटिलता का परिचय देते हुए इन कर्मचारियों को उनके पुराने कार्यस्थल बाराखंबा रोड पर ज्वाइन न करवाते हुए कादीपुर गांव में खाली पड़े एक फार्म हाउस में भेज दिया।
प्रबंधन ने उन्हें जनवरी 2019 के मध्य में नौकरी पर रखा था और फरवरी में उन्हें उनका वेतन भी दे दिया। इन कर्मचारियों को टीडीसी और उनके हिस्से की पीएफ राशि का काटकर भुगतान किया गया है। इन कर्मचारियों इस लड़ाई में पहला पड़ाव पार कर लिया है। अभी बकाया हक के लिए उनका संघर्ष जारी है।