डोनाल्‍ड ट्रम्‍प और न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के भुतहे लेखक का सियासी तमाशा

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प्रकाश के रे

अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने परंपरा से हटते हुए एक अनाम संपादकीय लेख छापा है. अख़बार का कहना है कि ऐसा लेखक के अनुरोध पर किया गया है, जो ट्रंप प्रशासन में किसी बड़े पद पर है. इस लेख का शीर्षक है- ‘I Am Part of the Resistance Inside the Trump Administration’ (मैं ट्रंप प्रशासन के भीतर प्रतिरोध का हिस्सा हूं). शीर्षक के ठीक नीचे छपे जुमले में कहा गया है कि ‘मैं भले ही राष्ट्रपति के लिए काम करता हूं, पर मैंने और मेरे जैसे सहकर्मियों ने राष्ट्रपति के एजेंडे और मर्ज़ी के एक हिस्से को नाकाम करने का संकल्प लिया हुआ है.’

अमेरिका और कुछ अन्य देशों के अनेक उदारवादियों ने इस लेख का स्वागत किया है, पर इसे पूरा पढ़ने के बाद यही पता चलता है कि लेखक को उन नीतियों से कोई चिंता नहीं है, जो अमेरिका के भीतर और बाहर लगातार संकट का सबब बन रही हैं. लेखक और उसके सहकर्मियों का ‘प्रतिरोध’ दरअसल सिर्फ़ यह कोशिश है कि ट्रंप और उनके प्रशासन के रवैये से रिपब्लिकन पार्टी के बुनियादी एजेंडे को नुकसान न हो. लेखक की सबसे बड़ी चिंता ट्रंप की ‘नीतिभ्रष्टता’ है, जो उनके किसी भी सिद्धांत को न मानने के कारण है. लेकिन प्रशासन का यह कथित अधिकारी उन उपलब्धियों का उल्लेख भी करता है जिन्हें ट्रंप अपनी कामयाबी के तौर पर गिनाते रहते हैं- ‘प्रभावी विनियमन, ऐतिहासिक कर सुधार, अधिक शक्तिशाली सेना आदि.’

इस लेख में हौले से मीडिया की आलोचना भी की गयी है कि उसने प्रशासन की नकारात्मक छवि पेश करने के चक्कर में इन उपलब्धियों को अधिक जगह नहीं दी. ट्रंप को ‘स्वतंत्र मस्तिष्क, स्वतंत्र बाजार और स्वतंत्र लोग’ के रिपब्लिकन आदर्शों से उलट चलने और ‘मीडिया को लोगों का शत्रु कहने’ और ‘व्यापार-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी’ होने का दोषी ठहराते हुए लेखक ने ट्रंप प्रशासन की उपलब्धियों का श्रेय राष्ट्रपति को नहीं दिया है. इस लेख में रूसी और उत्तर कोरियाई राष्ट्रपतियों के प्रति आदर का भाव रखने के लिए भी ट्रंप को कोसते हुए कहा गया है कि वे अपने सहयोगी देशों को अनुकूल सम्मान नहीं देते हैं.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस लेख को ‘कायराना संपादकीय’ बताया है और कहा है कि टाइम्स जैसे अनेक अख़बार-चैनल अपना भरोसा खो चुके हैं और कारोबार चलाने के लिए उनके नाम पर अनाप-शनाप छापते रहते हैं.

ट्वीटर पर उन्होंने इस लेख को ‘देशद्रोह’ की संज्ञा दी और कहा है कि लिखनेवाले के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जानकारी दी जाए.

बहरहाल, इस लेख का मीन-मेख तो निकाला जाता रहेगा, पर अमेरिकी मीडिया में अभी यह बहस गर्म है कि इस लेख को लिखा किसने है. ‘द वाशिंग्टन पोस्ट’ में मीडिया आलोचक एरिक वींपले ने इस लेख की तीखी आलोचना की है. उनके लेख का शीर्षक ही है कि ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने पुरानी ख़बरों को एक अनाम संपादकीय लेख के रूप में छाप दिया है. वींपले ने कई लेखों का हवाला देते हुए लिखा है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अनेक पत्रकार बड़ी मेहनत से बताते रहते हैं कि ट्रंप प्रशासन के अनेक अधिकारी राष्ट्रपति की अक्षमता से परेशान हुए रहते हैं. पोस्ट के इस लेख में यह भी कहा गया है कि टाइम्स का संपादकीय पन्ना संभालने वालों ने दस हज़ार से अधिक अनाम बयानों का संज्ञान नहीं लिया है, जो ट्रंप प्रशासन के भीतर से आते रहे हैं. कई ऐसे भी बयान हैं, जो बाक़ायदा नाम ज़ाहिर करते हुए दिये गये हैं. वींपले ने इस लेख को पब्लिक रिलेशन की एक क़वायद भर बताया है जिसके सहारे ट्रंप के अनेक सहयोगी कल ख़ुद को बड़े देशभक्त के रूप में पेश कर सकेंगे.

वींपले जैसे टिप्पणियां कुछ ही छपी हैं. मुख्य रूप से चर्चा यह हो रही है कि इसे किसने लिखा होगा. टेलीविज़न चैनलों पर एक बहस यह भी है कि टाइम्स का ऐसा करना अप्रत्याशित है. सीएनएन के एडिटर-ऐट-लार्ज क्रिस सिलीज़ा ने ‘गेसिंग गेम’ खेलते हुए ट्रंप प्रशासन के 13 लोगों की एक सूची दी है, जिनमें से कोई टाइम्स के लेख का लेखक हो सकता है. मज़े की बात यह है कि इस सूची में उपराष्ट्रपति माइक पेंस, राष्ट्रपति की पत्नी मेलेनिया ट्रंप और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हाले का भी नाम है.

‘द वीकली स्टैंडर्ड’ में माइकेल वारेन ने चार लोगों की सूची दी है, जिनमें विदेश सचिव माइक पॉम्पियो का नाम भी है. पॉम्पियो इन दिनों दक्षिण एशिया के दौरे पर हैं और अभी भारत में हैं.

ट्वीटर पर टाइम्स के लेख में इस्तेमाल किये गये कुछ ख़ास शब्दों के आधार पर भी लेखक की पहचान की कोशिशें जारी हैं. इस माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर आयीं टिप्पणियों और अनुमानित नामों को लेकर ‘क्वार्ट्ज़’ और कुछ अन्य साइटों ने रिपोर्ट छापी है. अनेक लोगों ने ‘लोडस्टार’ शब्द के आधार पर रेखांकित किया है कि यह शब्द उपराष्ट्रपति पेंस के पसंदीदा शब्दों में से है.

‘ग्लोबल न्यूज़’ में जेसी फेरेरास ने भी ट्वीटर की हलचल पर आधारित रिपोर्ट लिखी है. उसमें ओमारोसा के ट्वीट का भी उल्लेख है. ओमारोसा को कुछ समय पहले ही ट्रंप प्रशासन से हटाया गया है और वे ट्रंप के रियलिटी टीवी शो ‘द अप्रेंटिस’ में भी प्रतिभागी रह चुकी हैं. उन्होंने लिखा है कि अनाम लेखक के बारे में कुछ संकेत उनकी हाल में छपी किताब में है. उन्होंने भी चार लोगों के नाम देकर एक ट्वीटर पोल शुरू किया है.

टाइलर टेलफ़ोर्ड ने ‘द वाशिंग्टन पोस्ट’ में एक लेख में अनुमान जताया है कि यह लेख सीनेटर जॉन मैक्केन द्वारा लिखा गया हो सकता है. कुछ दिन पहले ही मैक्केन की मौत हुई है. वे ट्रंप के कठोर आलोचक थे. यह भी दिलचस्प है कि टेलफ़ोर्ड का लेख कला और मनोरंजन वाले सेक्शन में छपा है.

अब जब अमेरिकी मीडिया और विश्लेषकों का ही पूरा ध्यान गुमनाम लेखक की पड़ताल पर है, तो फिर सटोरिये कहां चूकनेवाले हैं! सट्टा बाजार में सबसे ज्यादा भाव उपराष्ट्रपति पेंस के नाम पर चल रहा है. सटोरियों की सूची में पॉम्पियो के अलावा रक्षा सचिव जिम मैटिस तथा राष्ट्रपति के बेटी-दामाद- इवांका ट्रंप और जे कुशनर का नाम भी है.

इन चर्चाओं तथा कुछ चैनलों की बहस देखकर यही कहा जा सकता है कि अमेरिकी मीडिया और राजनीति का पूरा मामला एक प्रहसन में बदल चुका है. टाइम्स के अनाम लेख पर बोलते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा है कि जब वे साढ़े छह साल बाद पद से हट जायेंगे, तो मीडिया के कारोबार का क्या होगा. यह उनका एक और बड़बोलापन भर नहीं है, बल्कि दुबारा राष्ट्रपति बनने के या कम-से-कम चुनाव लड़ने के आत्मविश्वास का भी परिचायक है. यह आत्मविश्वास बनाने में मीडिया के ओछेपन का भी बड़ा हाथ है.


लेखक अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के जानकार हैं


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