अमित शाह को सरकार में नंबर टू बनाने का इशारा अखबार समझ नहीं रहे या बता नहीं रहे?

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


खबर को खबर की तरह छापने से भी परहेज करते हैं अखबार।
मैंने कल लिखा था कि अंग्रेजी और हिन्दी के ज्यादातर अखबारों ने रोजगार और विकास में तेजी लाने के लिए दो समितियां बनाने की सरकारी खबर को लीड बनाया है। आज के अखबारों में खबर है कि इन दो नई समितियों के साथ छह अन्य कैबिनेट समितियों का पुनर्गठन किया गया है। इसमें असली खबर यह है कि अमित शाह सभी आठ समितियों में रखे गए हैं और पूर्व गृह व वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले सिर्फ दो समितियों में रखे गए थे। बाद में उन्हें चार और समितियों में शामिल किया गया। इस तरह, अधिकारों के संतुलन की कवायद (दैनिक भास्कर) के बावजूद अमित शाह आठ समितियों में हैं और राजनाथ सिंह छह समितियों में। यही असली खबर है। खबर यह भी है कि शुरू में राजनाथ सिंह को दो ही समितियों में रखा गया था और चार समितियों में बाद में रखा गया। संभवतः सोशल मीडिया में और राजनीतिक तौर पर भी, आलोचना के बाद।

हिन्दुस्तान टाइम्स में आज यह खबर सुनेत्र चौधरी की बाईलाइन से है। खबर और शीर्षक, “प्रधानमंत्री, राजनाथ सिंह 6 कैबिनेट कमेटी में, अमित शाह सभी आठ में” – सामान्य है। पर तीसरे पैरे में बताया गया है कि सुबह की सूची में राजनाथ सिंह का नाम सिर्फ दो समितियों में था। बाद में उन्हें चार और समितियों में शामिल किया गया। खबर आगे कहती है, आम तौर पर दूसरे नंबर पर शपथ दिलाए जाने वाले व्यक्ति (इस मामले में राजनाथ सिंह) को सरकार में दूसरे नंबर पर माना जाता है। अब यह स्पष्ट है कि गृहमंत्री को बहुत ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। कहने की जरूरत नहीं है कि अगर ऐसा है तो यह बड़ी बात है और आज खबर यही होनी थी कि अमित शाह हैं, सरकार में नंबर दो। पर यह खबर अपने आप नहीं छपेगी, जब ऐसा इशारा किया जाएगा या कुछ दिनों बाद वैसे ही अमित शाह को नंबर टू मान लिया जाएगा।

यह वैसे ही होगा कि बालाकोट हमले में कितने मरे यह आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया। अखबारों में सूत्रों के हवाले से खबर छपी और फिर अमित शाह ने एक रैली में कहा। बाद में सुषमा स्वराज ने कहा कि कोई नहीं मरा और मारने का आदेश था ही नहीं तो वह खबर नहीं छपी। ना उसका खंडन हुआ। मैं नहीं कह रहा कि यह सही है या गलत। मैं बताना चाहता हूं कि यह इस सरकार के काम करने का अंदाज है और पाठकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कैबिनेट समितियों के पुनर्गठन की खबर आज इस सूचना के साथ प्रकाशित होनी चाहिए थी कि इस सरकार में अमित शाह नंबर टू। आज के अंग्रेजी और हिन्दी अखबारों में कुछ ने इस तथ्य को प्रमुखता से बताया है पर कई गोल कर गए हैं। देखिए आपके अखबार ने कितनी घटतौली की।

पूरी सूचना जानने के बाद देखिए आज के अखबारों में शीर्षक क्या हैं।
1. हिन्दुस्तान (दो कॉलम खबर)
राजनाथ छह प्रमुख समितियों में शामिल।
2. नवभारत टाइम्स
आज पहले पन्ने पर यह खबर नहीं है।
ईएमआई कम करने का रास्ता साफ, अब बैंकों पर नजर लीड है।
3.नवोदय टाइम्स (दो कॉलम खबर)
मोदी सरकार -2 में शाह का ही ओहदा नंबर दो
उपशीर्षक – मंत्रिमंडल की सभी समितियों में शाह
यह खबर जैसी है वैसा शीर्षक यही है। पर अखबार ने इस खबर को वह प्रमुखता नहीं दी है जो डिजर्व करती है। केंद्र सरकार से जुड़ी यह खबर अखबार की टॉप की खबर, कांग्रेस में उठा-पटक जारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है और ज्यादा लोगों को प्रभावित करेगी।
4. अमर उजाला (तीन कॉलम टॉप बॉक्स)
सुबह महज दो समितियों में राजनाथ, रात में नया आदेश , अब छह में शामिल
फ्लैग शीर्षक है – कैबिनेट समितियों का पुनर्गठन : शाह आठो समितियों में
5.दैनिक भास्कर (दो कॉलम टॉप पर)
फ्लैग : अधिकारों के संतुलन की कवायद
सुबह – मोदी कैबिनेट की आठ समितियों में शाह, दो में राजनाथ
देर रात – राजनाथ सिंह को चार और समितियों में शामिल किया गया
मुख्य शीर्षक : मोदी कैबिनेट की सभी 8 समितियों में शाह, 6 समितियों में राजनाथ
इंट्रो : शाह की सदस्यता वाली संसदीय समिति की अध्यक्षता करेंगे राजनाथ
6. दैनिक जागरण (तीन कॉलम खबर)
शाह सभी मंत्रिमंडलीय समितियों में शामिल
बीच के कॉलम में अमित शाह की फोटो के ऊपर खबर के फौन्ट साइज में बोल्ड में लिखा है, राजनाथ सिंह पहले सिर्फ दो समितियों में थे, बाद में चार और में शामिल किए गए।
7. राजस्थान पत्रिका
आज पहले पन्ने पर यह खबर नहीं है।

अंग्रेजी अखबारों में भी शीर्षक ऐसे ही हैं। किसी ने अंतिम खबर दी है किसी ने बताया है कि खबर कैसे बनी। शीर्षक देखिए (अनुवाद मेरा) :
1. द टेलीग्राफ
नई सरकार में सिंहासनों का खेल (छह कॉलम का शीर्षक)
इसके साथ दो कॉलम की दो खबरें हैं। बीच में दो कॉलम में राजनाथ सिंह और अमित शाह की फोटो के साथ राजनीतिक मामलों की कैबनेट समिति की सुबह और रात की सूची है। पहली में राजनाथ सिंह का नाम नहीं है। दूसरे में राजनाथ सिंह का नाम दूसरे नंबर पर है, अमित शाह से ऊपर।
दूसरी खबर, नीति आयोग में मंत्री ज्यादा – किसी अखबार में नहीं दिखी। नीति आयोग की खबर तो यही है। अंदर यह बात जरूर होगी पर शीर्षक? और साफ-साफ कहना?


2. हिन्दुस्तान टाइम्स
प्रधानमंत्री, राजनाथ सिंह 6 कैबिनेट कमेटी में, अमित शाह सभी आठ में
3. दि इंडियन एक्सप्रेस
सरकार ने कैबिनेट समितियों का पुनर्गठन किया (फ्लैग शीर्षक)
सब कुछ एक दिन में : सुबह के आदेश में राजनाथ सिंह का नाम प्रमुख समितियों में नहीं था, रात में शामिल कर लिए गए।
4. टाइम्स ऑफ इंडिया
राजनाथ सिंह को चार कैबिनेट समितियों में शामिल करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना फिर से बनाई।

यह उस स्थिति में है जब जानकारी सबको है, मामला सार्वनिक है। ऐसे मामलों में पर्दे के पीछे बहुत कुछ होता है। दूसरी पार्टियों के मामले में वो सारी खबर-अटकलें अखबारों में होती हैं पर भाजपा के मामले में मूल खबर ही नहीं है। पर्दे के पीछे की घटनाओं को कौन पूछे।

सरकारी खबर
आइए, एक नजर आज की सरकारी खबर पर भी डाल लें। यह ज्यादातर अखबारों में लीड है शीर्षक भले ईएमआई कम होने और एनईएफटी-आरटीजीएस पर शुल्क न लगने से संबंधित हो

दैनिक जागरण की खबर है, आरबीआइ ने सस्ता किया कर्ज, अब बैंकों की बारी, बीते दस साल में रेपो दर में उतार-चढ़ाव, तीसरी बार कटौती। इस साल यह तीसरा मौका है जब आरबीआइ ने रेपो दर घटाई है। इससे पहले अप्रैल और फरवरी में भी आरबीआइ रेपो दर में इतनी ही कटौती (दो बार को मिलाकर कुल 0.50 फीसद) कर चुका है लेकिन बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में मात्र 0.21 फीसद अंक तक का ही फायदा ग्राहकों तक पहुंचाया। इसके साथ अखबार ने बताया है, क्या है रेपो दर और यह भी कि, रेपो वह दर है जिस पर देश के बैंक आरबीआइ से उधार लेते हैं। रेपो दर घटने से बैंक ज्यादा उधार ले सकते और उसे अपने ग्राहकों को सस्ती दरों पर दे सकते हैं। आरबीआइ ने रिवर्स रेपो भी 5.75 से घटाकर 5.50 फीसद कर दी है। बैंक जब अपनी अतिरिक्त नकदी को आरबीआइ के पास जमा करते हैं तो उन्हें रिवर्स रेपो की दर से ब्याज मिलता है। इसके साथ यह भी , शक्तिकांत दास बोले, हमारा निर्णय विकास दर-महंगाई की चिंता से प्रेरित है।

दैनिक भास्कर ने इसे आरबीआई के चार फैसले के तहत छापा है। इससे बात ज्यादा अच्छी तरह समझ में आती है। अखबार ने लिखा है कि रेपो रेट में जो कमी की गई है उतना ही ब्याज घट जाए तो 30 लाख के होम लोन की ईएमआई 474 रुपए कम होगी। यह बात शीर्षक में है। ईएमआई में 474 रुपए की कमी कम या ज्यादा हो सकती है पर कमी कितनी हुई शीर्षक में बताना बड़ी बात है। अखबार ने चारो फैसलों को बहुत अच्छे से छापा और बताया है एटीएम शुल्क घटाने के लिए समिति बनेगी जबकि आरटीजीएस, एनईएफटी (डिजिटल भुगतान) पर अब चार्ज नहीं लगेगा। चौथा फैसला दुखी करने वाला है, जीडीपी विकास का अनुमान कम किया गया और यह सब कर्ज में राहत देने की कोशिश के बावजूद है जो पहला फैसला है और जैसा रिजर्व बैंक के गवरनर ने कहा है, निर्णय विकास दर महंगाई की चिन्ता से प्रेरित है। यह खबर हिन्दी के जो भी अखबार मैं देखता हूं, सबमें लीड है।