आज की दो खबरों से अपने अखबार को जानिए
1. “राहुल बोले, फाइलें जलने से आप नहीं बचने वाले मोदी जी”
2. “बकवास है राहुल की नागरिकता पर सवाल”
चुनाव का मौसम है और आज के अखबारों में कई चुनावी खबरें हैं। इनमें राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने की भरपूर बेशर्मी है और गृहमंत्रालय की हद दर्जे की नालायकी। पर सब खबरों के रूप में पेश है, चुनावी खबरों के रूप में। उसपर बात करने से पहले बता दूं, हालांकि बताना क्या है याद दिला रहा हूं कि राहुल गांधी 15 साल से सांसद हैं और चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट ऐसे आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर चुका है। इस मामले में दिलचस्प यह भी है कि शिकायत पुरानी है और चौकीदार सरकार ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायत करने वाले भी भाजपा के ही सांसद हैं – सुब्रमण्यम स्वामी। उन्होंने रीमाइंडर सही समय पर भेजा तो गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी से “वास्तविक स्थिति” बताने के लिए कहा है।
आमतौर पर खबर कुछ जानना चाहे तो खबर है ही। हालांकि, अखबारों का काम यह बताना भी है कि सरकार के पास सूचना क्यों नहीं है या जवाब क्या हो सकता है या सवाल क्यों पूछा गया है। आप देखिए आपके अखबार ने क्या बताया पर उपरोक्त तथ्य द टेलीग्राफ ने अपनी खबर के साथ दिए हैं। अगर सभी अखबार टेलीग्राफ की तरह पूरी सूचना दे रहे होते तो भाजपा सांसद ना शिकायत करते ना रीमांइंडर भेजने के लिए सही समय का इंतजार करते ना गृहमंत्रालय बताता कि उसे वास्तविक स्थिति नहीं मालूम है। कहने की जरूरत नहीं है कि सवाल अखबारों में छपवाने के लिए ही उठाया गया है और एंटायर पॉलिटिकल साइंस के ज्ञाता का नेतृत्व राजनीतिक रूप से गलत कैसे करेगा। हालांकि, ब्रिटिश नागरिक होने की सूचना पक्की होती तो यह आरोप लगाने की जरूरत नहीं थी कि राहुल गांधी ने हार मान ली है।
आजकल ज्यादातर अखबार चुनावी खबरों से भरे होते हैं मैं लिख चुका हूं कि और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भाषण में कुछ नया न हो तो भी छपरा में दिया गया भाषण दिल्ली में पहले पन्ने पर छपता है। पांच साल का कार्यकाल खत्म होने पर वित्त मंत्री राहुल गांधी की आय पर सवाल उठाते हैं और प्रधानमंत्री चुने हुए टीवी चैनल को दिए अपने खास इंटरव्यू में उलाहना देते हैं कि आपके चैनल ने प्रेस कांफ्रेंस की खबर नहीं दिखाई। ऐसे में ज्यादातर अखबारों में एकतरफा खबरें छप रही हैं और राहुल गांधी सुर्खियां देने में नाकाम हैं – यह सब अब कोई नई बात नहीं है। इन और ऐसी आज की तमाम खबरों के बीच एक खबर नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर है जो दूसरे अखबारों में नहीं दिखी।
राहुल बोले, फाइलें जलने से आप नहीं बचने वाले मोदी जी। आज की तमाम चुनावी खबरों में यह भी एक खबर है पर पहले पन्ने पर नहीं के बराबर। हिन्दुस्तान टाइम्स में इस खबर के अंदर के पन्ने पर होने की सूचना पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर है। आज आपको पहले इस खबर के बारे में बताता हूं फिर दूसरी खबरों की भी चर्चा की है। देखिए खबरों के मामले में आपका अखबार कितना संतुलित है। नवोदय टाइम्स की खबर एजेंसियों की है, “दिल्ली के शास्त्री भवन में आग लगने की घटना के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि फाइलें जलने से ‘मोदी नहीं बचने वाले हैं’। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मोदी जी, फाइलें जलने से आप नहीं बचने वाले हैं। आपके फैसले का दिन नजदीक आ रहा है।’’
दरअसल, कई मंत्रालयों एवं विभागों के कार्यालय वाले शास्त्री भवन की छठी मंजिल पर मंगलवार दोपहर आग लग गई थी। हालांकि, कुछ देर बाद ही इस पर काबू पा लिया गया। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। नवोदय टाइम्स के मुताबिक, सीताराम येचुरी ने भी इस मामले में ट्वीट किया, “शास्त्री भवन जैसे सुरक्षित स्थान पर जहां अग्निशमन के सभी उपकरण उपलब्ध वहां आग लगना संदेह बढ़ाता है। भाजपा सरकार 13 दिन, 13 महीने बाद या फिर 2004 में कार्यालय छोड़ने से पहले हमेशा महत्वपूर्ण फाइलें नष्ट करने में लगी रही है।” इन तथ्यों के बावजूद अखबारों ने राहुल और येचुरी के बयान को प्राथमिकता तो नहीं ही दी नवोदय टाइम्स ने यह खबर पहले पन्ने पर छापी है तो प्रकाश जावेडकर की प्रतिक्रिया साथ में है।
अखबार के मुताबिक प्रकाश जावेडकर ने कहा, “राहुल गांधी जी, झूठ बोलना बंद करें। शास्त्री भवन में आग लगने से किसी फाइल को कोई नुकसान नहीं हुआ। ऊपर की मंजिल पर रखे कबाड़ में आग लगी थी और 30 मिनट के भीतर इसे बुझा दिया गया। आरोप लगाने से पहले अपना होमवर्क करें (जली फाइल के नाम नंबर के साथ ट्वीट करें?)। कांग्रेस का एक और झूठ (सत्यवादियों ने पकड़ा?)। नवोदय टाइम्स इस लिहाज से भी दूसरे अखबारों से अलग है कि राहुल गांधी की नागरिकता वाली खबर की जगह इसने प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया छापी है, “बकवास है राहुल की नागरिकता पर सवाल”।
अमर उजाला में आज खबर है, “राहुल के वायनाड से लड़ने को लेकर दिए बयान पर पीएम मोदी को चुनाव आयोग की क्लीन चिट” मिली। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को लीड बनाया है। वैसे भी यह लगभग सभी अखबारों में है पर शीर्षक यह दिलचस्प या कहिए संपूर्ण है। खबर में बताया गया है कि प्रधानमंत्री ने एक अप्रैल को वर्धा में कहा था, “कांग्रेस ने हार मान ली है। उसके नेता मैदान छोड़कर ऐसी जगह शरण लेने को मजबूर हैं, जहां अल्पसंख्क बहुतायत में हैं।” कांग्रेस ने पांच अप्रैल को इसकी शिकायत की थी और आचार संहिता तोड़ने का आरोप लगाया था। आयोग ने इसपर मोदी को क्लीन चिट दी है। अमर उजाला ने राहुल गांधी के मामले में स्वामी की मूल शिकायत, प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया बकवास है और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया, टाइमिंग पर सवाल नहीं। नोटिस सामान्य प्रक्रिया है – भी छापा है।
राहुल गांधी के खिलाफ आज दूसरी बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले की है। रफाल मामले में खबर यह भी है कि सरकार ने सुनवाई टालने की अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने चार मई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। पर अखबारों में प्रमुख राहुल वाले मामले को है। आज सुप्रीम कोर्ट की ही एक और बड़ी खबर है, 84 के दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सात लोगों को मुक्त कर दिया है। वैसे तो यह बड़ी खबर है लेकिन आम तौर पर अखबारों में इसे प्रमुखता नहीं मिली है। 84 के दंगों को भी चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश हुई है और इस लिहाज से यह फैसला महत्वपूर्ण है पर टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। कई जगह तो दिखी ही नहीं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में ही आज एक और सिंगल कॉलम की चुनावी खबर है, मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी समानांतर सरकार नहीं चला सकती है और निर्वाचित सरकार के दैनिक कामकाज में सर्वोच्चता या जनहित की आड़ में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। अदालत ने कहा कि प्रशासक के रूप में काम करने के एलजी के अधिकार सीमित हैं और कुछ खास परिस्थितियों में ही लागू किए जा सकते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि यह मामला दिल्ली से मिलता जुलता है और किरण बेदी इसके केंद्र में हैं इसलिए भी यह खबर दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण है। “पुड्डुचेरी को वणक्कम” की हाल की एक राजनीतिक घटना के मद्देनजर भी इसका महत्व है। आप अपना अखबार देखिए क्या बताता है।
राहुल गांधी के खिलाफ आज दूसरी बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले की है। दैनिक जागरण ने इस खबर को लीड बनाया है और शीर्षक है, राहुल को बिना शर्त मांगनी ही होगी माफी। रफाल मामले में खबर यह भी है कि सरकार ने सुनवाई टालने की अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने चार मई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है पर अखबारों में प्रमुख राहुल वाले मामले को है। आज सुप्रीम कोर्ट की ही एक और बड़ी खबर है, 84 के दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सात लोगों को मुक्त कर दिया है। वैसे तो यह बड़ी खबर है लेकिन आम तौर पर अखबारों में इसे प्रमुखता नहीं मिली है। 84 के दंगों को भी चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश हुई है और इस लिहाज से यह फैसला महत्वपूर्ण है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में 84 के दंगों के अभियुक्त रिहा हुए पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है लेकिन कई जगह यह खबर दिखी ही नहीं। दैनिक जागरण में यह खबर सिंगल कॉलम में है और नवभारत टाइम्स में सिर्फ आठ लाइन में जबकि जागरण और नभाटा दोनों में आज पहले पन्ने पर विज्ञापन नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है जबकि दैनिक भास्कर ने लीड बनाया है। दैनिक भास्कर ने ही पहले पन्ने पर एक और खबर छापी है, किरण बेदी को विशेष अधिकार देने का केंद्र का आदेश खारिज। उपशीर्षक है, मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य के काम में दखल से रोका। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे सिंगल कॉलम में छापा है।