आज (30 अप्रैल 2019) के हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में एक खबर है, जिसका शीर्षक हिन्दी में लिखा जाए तो कुछ इस तरह होगा, “मसूद अजहर को इस हफ्ते अंतरराष्ट्रीय आतंकी का दर्जा मिलने की उम्मीद।” वैसे तो यह उम्मीद ही है। मिल भी जाए तो आम पाठक के किस काम का लेकिन खबर है तो ऐसे ही नहीं है। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद सरकार ने आतंकवाद खत्म करने में लग जाने का दावा कर रही है और पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविर खत्म करने और उसमें दो से लेकर चार सौ कथित आतंकियों को मारने के दावों के बीच अजहर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का अभियान भी चल रहा है। वैसे तो यह सब सामान्य सरकारी काम है पर सरकार जब सेना, पाकिस्तान, आतंकवाद जैसे मुद्दे पर लड़ने की कोशिश कर रही है तो ऐसे मामलों को प्रचार मिलना और चर्चा में बने रहना भी जरूरी है। यह खबर भी ऐसी ही है।
अजहर मसूद के भारतीय हमले में मारे जाने से लेकर उसके बीमार होने और बीमारी से मर जाने जैसी खबरें छप चुकी हैं और इस बीच यह खबर भी रही कि चीन के रवैये के कारण अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी नहीं घोषित किया जा सका। ऐसे में आज यह खबर फिर आई तो लगा कि इस संदर्भ में पुरानी खबरों को भी देखना दिलचस्प रहेगा। चीन के कारण अजहर और उसके जैश ए मोहम्मद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित नहीं किया जा सका तो यह खबर ज्यादातर अखबारों में पहले पन्ने पर थी। मैंने उस दिन लिखा था, “आज के अखबारों में हवाई हमले में ‘मार’ दिए गए कुख्यात आतंकवादी अजहर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने की कोशिशों को झटका लगने की खबर प्रमुख है। वैसे, इसके साथ यह भी बताया गया है कि भारत ने कोशिशें तो पूरी की थीं पर जैसी आशंका थी, चीन ने विरोध किया या अपने वीटो का उपयोग करके ऐसा नहीं होने दिया।
उसी दिन मैंने यह भी लिखा था, “… जहां तक अजहर मसूद की खबर को लीड बनाने का सवाल है, आपको याद होगा कि पाकिस्तानी ‘सूत्रों के अनुसार’ उसे बहुत बीमार बताया गया था। गुर्दे खराब हो गए हैं और यह खबर भी रही कि वह भारतीय हमले में घायल होने के बाद मर गया। हालांकि, ‘हमेशा साथ रहने वाला’ उसका बेटा सुरक्षित बताया गया है और यह भी कि उसे मरा बताने की फर्जी कोशिश उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने से बचाने के लिए हो सकती है। ऐसे में, आज की खबर में कायदे से पुरानी अटकलों की चर्चा भी होनी चाहिए थी पर उसकी उम्मीद नहीं है। मैंने पढ़ी नहीं। आज कोई दूसरी खबर नहीं होती तो इसे लीड बनाना अलग बात थी पर कई दूसरी खबरें हैं, जो लीड बन सकती थीं।”
आइए, देखें अजहर मसूद के बारे में पहले क्या-क्या छप चुका है। दैनिक जागरण के 4 मार्च 2019 के अंक का पहला पन्ना देखिए। खबर लीड है। आज हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मद्देनजर जाहिर है कि अजहर तब मरा नहीं था। तभी उसे यह दर्जा दिए जाने और इस खबर का मतलब है। दैनिक जागरण ने अपनी इस पुरानी खबर में लिखा था, जैश ए मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर की मौत की अटकलों का बाजार गर्म है। पाकिस्तान से आ रही खबरों में आतंकी सरगना की मौत की दो अलग-अलग वजहों का दावा किया जा रहा है। एक ओर उसे भारतीय वायुसेना के बालाकोट हमले में गंभीर रूप से घायल होने और फिर मौत होने का दावा किया जा है, तो दूसरी ओर किडनी फेल होने या फिर लीवर कैंसर के मौत की बात कही जा रही है। लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद बने दबाव से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए यह पाकिस्तान की नई चाल भी हो सकती है।
इस संबंध में 3 और 4 मार्च की गूगल की कुछ खबरों का शीर्षक देखिए। चार में से तीन खबरें साफ कह रही हैं कि मसूद जिन्दा है। पर दैनिक जागरण की अटकल सबसे अलग है। सबसे नीचे वाली खबर टाइम्स ऑफ इंडिया की है। 3 मार्च की। इसका पूरा शीर्षक है Amid rumours of his death, Pakistan moves Masood Azhar out of army hospital. वैसे तो यह खबर 4 मार्च को अपडेट की गई है पर श्रीनगर डेटलाइन की यह खबर कहती है, … जैश के सूत्रों ने टीओआई को यह जानकारी दी कि ….. उसे इतवार (3 मार्च) की शाम 7.30 बजे अस्पताल से जैश के कैम्प में स्थानांतरित किया गया। जागरण की खबर में एक बॉक्स अलग से है, “पाक सरकार का दावा, मसूद की मौत पर कोई जानकारी नहीं”। इसके बावजूद अखबार ने लिखा था, “भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद बने दबाव से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए यह पाकिस्तान की नई चाल भी हो सकती है।”
इस खबर में यह भी कहा गया था कि भारतीय एजेंसियों का मानना है कि मसूद अजहर की बीमारी और मौत की खबर पाकिस्तान की नई चाल हो सकती है। दरअसल मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया है। तब कहा गया था कि पाकिस्तान उसके मौत की अफवाह उड़ा रहा है ताकि उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी न घोषित किया जाए। हालांकि इससे क्या फायदा होना था यह तब भी नहीं समझ में आया था। कुल मिलाकर यह एक बहुत ही उलझी हुई खबर थी और कोई भी सूचना पक्की न होने के बावजूद लीड थी और पाकिस्तान पर जो आरोप थे – कि वह मरा बता रहा है उसका खंडन भी उसी में था। आज की खबर से लगता है कि पाकिस्तान को ऐसा कोई लाभ नहीं मिला जैसा जागरण बता रहा था।
मैं दैनिक जागरण का नियमित पाठक नहीं हूं। जब देखता हूं तब भी पूरा अखबार गंभीरता से नहीं पढ़ता। इसलिए मुझे पता नहीं है कि अखबार ने अपने पाठकों को अजहर के जिन्दा होने की खबर दी कि नहीं। बीमार होने की खबर दी थी तो उसके स्वास्थ्य का हाल चाल भी देना चाहिए था। उसका बेटा उत्तराधिकारी बन रहा है तो उसकी भी खबर होनी चाहिए थी। जागरण ने इनमें से कौन सी खबर दी और कौन सी नहीं – यह देखना आपका काम है। ये खबरें नहीं दिखीं तो समझिए कि आपका अखबार आपको खबरों के नाम पर सरकारी प्रचार परोस रहा है। पाठक के रूप में आपको इन बातों का ख्याल रखना चाहिए।