BJP की सीटें कम, हिन्दी अख़बारों ने कहा -दिवाली में ‘चीनी कम’

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव की खास बात यही रही है भाजपा की सीटें कम हुई हैं, वोट कम हुए हैं, 370 काम नहीं आया, 303 सांसद विधानसभा में सीटें नहीं बढ़ा पाए, डूब मरो कहने का असर नहीं हुआ और इतना ही नहीं, एग्जिट पोल की पोल खुल गई। पंकजा मुंडे जारजार रोईं पर आज के ज्यादातर अखबारों के शीर्षक में ये सारी बातें नहीं हैं। हमलोग (खासकर मैं) यह मानते हैं कि हिन्दी के अखबारों में प्रतिभा नहीं है, लोग मेहनत नहीं करते हैं पर ऐसे दिन हमारे पत्रकार साथी अपनी योग्यता और परिश्रम का अच्छा प्रदर्शन करते हैं। आइए, आज उसे ही देख लें। हरियाणा में खट्टर के 10 में से आठ मंत्री चुनाव हार गए पर इसे जरूर प्रमुखता मिली है।

द टेलीग्राफ के अनुसार, स्थिति यही है कि देश की आर्थिक राजधानी में विजयी भाजपा लुटी, पिटी और घायल नजर आ रही है जबकि हरियाणा में स्पष्ट बहुमत नहीं है और सरकार बनाने का खेल शुरू हो चुका है। विपक्ष के लिए भी सीख है – विपक्ष की तरह काम करो। अखबार ने सात कॉलम में फ्लैग शीर्षक लगाया है, विधानसभा चुनावों का संदेश : हम सिर्फ अनुच्छेद 370 के सहारे नहीं रह सकते हैं। एक शब्द का मुख्य शीर्षक है, अब्रोगेटेड और उपशीर्षक है, एरोगेंस 370। जहां तक मुझे समझ में आ रहा है, अखबार कहना चाहता है, निरस्त हुआ 370 का अहंकार।

आइए देंखे शीर्षक में इन बातों को सीधे नहीं कहकर कैसी कलाकारी की गई है। हिन्दुस्तान टाइम्स में बैनर हेडिंग है, भाजपा जीती, विपक्ष उठा। दूसरा शीर्षक है, मित्रों की मामूली सहायता से भाजपा फिर राज करने के लिए तैयार। हालांकि, अंदर सात कॉलम में (राज्यों की खबर) एक और शीर्षक है, अनअपेक्षित नतीजे भाजपा को अस्थिर कर सकते हैं। हरियाणा में तीन ओलंपियन चुनाव मैदान में थे इनमें से सिर्फ एक जीता। पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान संदीप सिंह विधानसभा पहुंचने वाले पहले ओलंपियन बन गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के अकोला में एक रैली में शरद पवार का नाम लिए बिना जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने के लिए विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए कहा था, (हिन्दुस्तान टाइम्स में अंग्रेजी में प्रकाशित खबर का अनुवाद) हमें महाराष्ट्र की माटी के पुत्रों पर गर्व है जिन्होंने जम्मू और कश्मीर के लिए अपने जान की कुर्बानी दी और आज ये लोग जो राजनीतिक हितों में डूबे हुए हैं और उनके परिवार कह रहे हैं कि महाराष्ट्र का जम्मू और कश्मीर से क्या लेना देना? डूब मरो. डूब मरो। आज टेलीग्राफ ने बताया है कि शरद पवार की उपलब्धि साधारण नहीं है।

इंडियन एक्सप्रेस का मुख्य शीर्षक है : भाजपा, लेकिन …. ऊपर फ्लैग शीर्षक है, महाराष्ट्र में वापस सत्ता में आई, हरियाणा में दौड़ में है (लेकिन) दोनों राज्यों में आधार थोड़ा कमजोर हुआ। इसके साथ पहली खबर है, भाजपा-सेना फिर सत्ता में लेकिन पवार के खेल से हिल गई। दूसरी खबर का शीर्षक है, खट्टर का दूसरा कार्यकाल निर्दलीय और कांडा पर निर्भर। तीसरी खबर का शीर्षक है, राहुल पर्दे में ही रहे कांग्रेस को उम्मीद की किरण दिखी। चौथी खबर का शीर्षक है, इस बार 303 (भाजपा सांसदों की संख्या) और 370 क्यों नहीं जुड़े।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की भारी सफलता के बाद पहले चुनावी मुकाबले को गंभीरता से लिया है और बैनर शीर्षक लगाया है, क्षेत्रीय ठोकरों ने भाजपा के रथ को धीमा किया। एक अन्य खबर के शीर्षक से अखबार ने बताया है कि महाराष्ट्र में भाजपा की 17 सीटें कम हुईं। अखबार ने मुख्य शीर्षक से ऊपर अपनी टिप्पणी में लिखा है, (चुनाव नतीजों से पता चला) राष्ट्रीय अपील की सीमा होती है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर एक खबर छापी है जिसका शीर्षक है, महाराष्ट्र में आठ मंत्री हारे, हरियाणा में सात। उपचुनावों में एनडीए को 26 सीटें मिलीं और कांग्रेस को 12 – शीर्षक खबर भी टीओआई में पहले पन्ने पर प्रमुखता से है।

हिन्दुस्तान में यह खबर दो राज्यों के जनादेश के तहत लीड है और छह कॉलम में मुख्य शीर्षक है, हरियाणा में भाजपा को झटका। फ्लैग शीर्षक दो लाइन में दो बिन्दु बताता है 1) हरियाणा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी पर बहुमत से छह सीटें कम मिलीं 2) निर्दलीयों का समर्थन पाने की कोशिश, महाराष्ट्र में भी पिछली बार से कम हुईं सीट।
नवभारत टाइम्स ने इस खबर को सात कॉलम में छापा है। शीर्षक है, वोटर ने सबको कहा, हैप्पी दिवाली।

नवभारत टाइम्स की खबर की खात बातें इस प्रकार हैं – 1) दिवाली से पहले चुनाव नतीजों ने सबको राहत दी। बीजेपी खुश है कि भले उसे विशाल बहुमत नहीं मिला, पर महाराष्ट्र और हरियाणा उसके हाथ से निकले नहीं। 2) कांग्रेस तो हार मानकर चल रही थी, लेकिन हरियाणा में उसने चमत्कार किया। जननायक जनता पार्टी (JJP) के कहने ही क्या, वह पहले ही चुनाव में 10 सीट जीती। 3) महाराष्ट्र में NCP भले सत्ता तक न पहुंची हो, लेकिन वजूद की लड़ाई उसने जीत ली है। शिवसेना की खुशी यह है कि उसके लिए शर्तें मनवाना आसान हो गया है।

नवोदय टाइम्स ने दो कॉलम, दो लाइन में हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ छह कॉलम में बॉर्डर पर बीजेपी शीर्षक बनाया है। इसका और चाहे जो मतलब हो एक यह भी है कि भाजपा सीमा पर पहुंच गई है, बाहर हो जाएगी। अखबार के पहले पन्ने पर आज आधे से ज्यादा विज्ञापन है इसलिए खट्टर के आठ मंत्री चारो खाने चित्त प्रमुखता से नजर आ रही है। दुष्यंत चौटाला नहीं,निर्दलीयों पर नजर गोपाल कांडा के अतीत को याद दिलाने के लिए काफी है।

अमर उजाला में छह कॉलम में दो लाइन का शीर्षक है। बाकी के दो कॉलम में महाराष्ट्र में सीटों का विवरण है। इसके ऊपर लिखा है, लोकसभा चुनाव और अनुचचेद 370 हटाए जाने के बाद पहले इम्तिहान में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरुप नहीं। हालांकि इससे यह पता नहीं चलता है कि अखबार किस उम्मीद की बात कर रहा है और उम्मीद का आधार अनुच्छेद 370 हटाना ही था या कुछ और। मुख्य शीर्षक है, महाराष्ट्र में फिर फडणवीस, हरियाणा में किसी को बहुमत नहीं …. भाजपा बनाएगी जुगाड़ की सरकार। अखबार ने इसके नीचे बहुत छोटे फौन्ट साइज में आठ कॉलम का शीर्षक लगाया है – हरियाणा में सीएम खट्टर और दो को छोड़कर बाकी 8 मंत्री हारे …. महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे समेत सात मंत्रियों को मिली हार।

दैनिक जागरण में आठ कॉलम का शीर्षक है, हरियाणा और महाराष्ट्र में फिर भाजपा सरकार। इसके साथ बातें हाइलाइट की गई हैं जो उपशीर्षक भी हैं, हरियाणा में 40 सीटों पर जीती भाजपा, छह निर्दलीय आए साथ, हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस को बड़ी सफलता, 31 पर जीत, चमत्कार के बाद भी किंगमेकर नहीं बन पाए दुष्यंत चौटाला और चौथा है, महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत। इसके साथ प्रधानमंत्री का एक कोट भी है, “हरियाणा और महाराष्ट्र के सीएम ने स्वच्छ प्रशासन दिया। दोनों राज्यों की जनता ने भी उन पर भरोसा जताया है। अगले पांच साल उन्हें और मेहनत से जनता की सेवा करनी होगी – नरेंद्र मोदी।”

राजस्थान पत्रिका में खबर तो आठ कॉलम में छपी है लेकिन शीर्षक है, भाजपा की दिवाली में ‘चीनी कम’। फ्लैग शीर्षक में कहा गया है, सीटें गंवाने के बावजूद भाजपा दोनों ही राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी है। और अखबार में विश्लेषण का शीर्षक है, गायब विपक्ष को जनता ही ले आई टक्कर में। इसमें एक उपशीर्षक है, राहुल एंड कंपनी को चोट। इसमें कहा गया है, यों तो इस चुनाव में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व गायब ही दिखा पर जिन फैसलों का असर सही दिखा वे सोनिया गांधी के लिए हुए और राहुल की सोच के उलट थे। हरियाणा में तो टीम राहुल को किनारे कर पूरी तरह कमान भूपिन्दर सिंह हुड्डा के हाथ में देने का दांव काफी उपयोगी दिखा।