प्रेस विज्ञप्ति
एक बार फिर आकाशवाणी के कैजुअल उद्घोषक और कम्पेयरर आज से दो दिन के धरने पर बैठने जा रहे हैं। आकाशवाणी निदेशालय के सामने दो दिन तक चलने वाले इस धरने में भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ भी हिस्सा ले रहा है। यह धरना कैजुअल उद्घोषकों को नियमित करने की बरसों पुरानी मांग को लेकर किया जा रहा है।
कैजुअल उद्घोषकों को नियमित करने की एक योजना बनी थी लेकिन उससे सबका लाभ नहीं हुआ। पहले 1984 और फिर 1994 में आई इस योजना से कुछ उद्घोषको को फायदा हुआ था। इसी आधार पर बाकी भी नियमितीकरण की मांग कर रहे थे। केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट और केरल के उच्च् न्यायालय ने कैजुअल उद्घोषकों के पक्ष में फैसला दिया इसके बावजूद एआइआर ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर कर के उद्घोषकों को उनके अधिकारों से वंचित रखा। इसके लिए रीस्क्रीनिंग और रीटेस्ट का बहाना बनाया गया।
कुछ अदालतों ने जब यथास्थिति कायम रखने का फैसला सुनाया तब विभाग ने अनुबंध की शर्तों को बदल डाला और चुनौती दे रहे कर्मचारियों की बुकिंग रद्द कर दी। इस बीच आकाशवाणी के कुछ केंद्रों को रिले केंद्र में तब्दील कर दिया गया और कार्यक्रमों का निर्माण बंद कर दिया गया।
अपनी मांगों के समर्थन में कैजुअल उद्घोषक और कम्पेयरर पिछले वर्षों में जंतर-मंतर भी प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन इस बार वे सरकार और सूचना व प्रसारण मंत्रालय से नाराज़ हैं। इसलिए अबकी वे सीधे आकाशवाणी निदेशालय के बाहर बैठने जा रहे हैं। उद्घोषकों के यूनियन एयरकाकू (AIRCACU) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता भेजा है कि वे साथ आकर धरने पर बैठें और कर्मचारियों के मन की बात सुनें।