‘2007 के समझौता ट्रेन धमाके में सुनील जोशी गुट की भूमिका हमने साबित की थी और हक़ीक़त ये है कि इस धमाके में सिमी का कोई दख़ल नहीं था।’ ये शब्द समझौता ट्रेन…
श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर सैकड़ों मज़दूरों को बेरोज़गार कर देने वाले हिंदुस्तान टाइम्स के प्रबंधन को तगड़ा झटका लगा है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 2004 में निकाले गये 272 कर्मचारियों को पूरे बकाये के साथ वापस…
वैसे तो रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार रिश्वतखोरी के आरोप में जेल जा चुके ज़ी न्यूज़ के सुधीर चौधरी को दिए जाते ही अविश्वसनीय हो चुका था, लेकिन आज फिर एक बार इसे कलंकित करने का…
तमाम शहरों और सूबों की राजधानियों में ऐसे कुछ पत्रकार पाये जाते हैं जिनका काम डीएम से लेकर सीएम तक की प्रेसकान्फ्रेंस को हल्का-फुल्का बनाना होता है। मसलन वे बड़ी मासूमियत से कुछ इस तरह के…
वे दिन हवा हुए जब मीडिया का एक हिस्सा ज्योतिष को अंधविश्वास से जोड़कर, इससे बचने की सलाह देता था। आज तो ज्योतिष से जुड़े कार्यक्रमों का धंधा करना मीडिया की पहचान है। लेकिन धंंधे के भी…
टाइम्स नाऊ के शोला एंकर अर्णव गोस्वामी के पिता मनोरंजन गोस्वामी बीजेपी के नेता रहे हैं। उन्होंने 1998 में बीजेपी के टिकट पर गुवाहाटी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उनके मामा सिद्धार्थ भट्टाचार्य…
(आजकल तमाम मीडिया हाउस अपने साथ नत्थी मीडिया स्कूलों में एडमीशन के लिए अख़बारों में धुआँधार विज्ञापन दे रहे हैं। युवा मीडिया समीक्षक विनीत कुमार बता रहे हैं इस धंधे की हक़ीक़त। लाखों की…
E-Business: ITS Growth AND Forthcoming Viewpoints E-trade or digital business is means of digitally selling and buying products or services, connecting, collaborating, and learning. It consists of five most important groups: Business to…
संजय कुमार सिंह पटना में अपने संवाददाता की हत्या के बाद दैनिक हिन्दुस्तान अपने संवाददाता के साथ है, यह बड़ी बात है। मुझे नहीं पता पीड़ित संवादादाता हिन्दुस्तान के पेरॉल पर थे या…
कई आलोचक बीबीसी को ब्रितानी साम्राज्यवाद की आखिरी निशानी मानते हैं. संस्था की साम्राज्यवादी ठसक का एक नमूना शनिवार सुबह भारतीय पत्रकारों के पसंदीदा अखबार इंडियन एक्सप्रेस में देखने को मिला. 12 मई…
अभिषेक श्रीवास्तव @abhishekgroo |13 May 2016 सूखा पड़े या बाढ़, सियासत है कि खत्म नहीं होती। बुंदेलखंड में भुखमरी से हो रही मौतें क्या अपने आप में संवेदना पैदा करने लायक त्रासदी नहीं है कि…
(दिल्ली से पानी के नाम पर भेजी गई ख़ाली ट्रेन ने आज दिल्ली से ही झांसी गये फोटो जर्नलिस्ट रवि कनौजिया की जान ले ली। वे किसी ख़ास एंगल की तलाश में ट्रेन…
ज़ी मीडिया समूह की पूर्व पत्रकार पूजा तिवारी की मौत का मसला महज़ किसी अपराध कथा में सिमटने वाला नहीं है। पुलिस का दावा है कि इतवार और सोमवार की दरम्यानी रात डेढ़ बजे फ़रीदाबाद के सदभावना…
हिंदी और अंग्रेज़ी पत्रकारिता के बीच आपसी संघर्ष कोई नई बात नहीं है. हर बार किसी न किसी नए प्रसंग के बहाने हिंदी बनाम अंग्रेजी की बहस छिड़ जाती है. इस बार ताज़ा…
मंगलवार २६ अप्रैल की रात TIMES NOW के प्राइम टाइम प्रोग्राम Newshour का विषय शहीद-ए-आज़म भगत सिंह थे. बहस का बहाना था इतिहासकार बिपन चन्द्र, मृदुला मुख़र्जी और आदित्य मुख़र्जी द्वारा लिखित भारतीय इतिहास की…
“भारत में मीडिया को काफ़ी दबाव में काम करना पड़ता है। तमाम पत्रकारों को धमकी और तरह-तरह की कार्रवाइयों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इससे फ़र्क़ नहीं…
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाकर ज़ी न्यूज़, न्यूज़ एक्स और इंडिया न्यूज़ के ख़िलाफ कार्रवाई की माँग की है। सरकार का आरोप है कि इन तीनों चैनलों ने…
पिछले दिनों एक टीवी पत्रकार से मुलाकात हुई। उम्र तीस के करीब थी और वेतन लगभग 20 हज़ार रुपये महीना। वह किसी छोटे-मोटे चैनल में नहीं बल्कि टीआरपी चार्ट में ऊपर के तीन में शुमार रहने…
बीबीसी पॉप-अप की संपेरों वाली ट्वीट पर देश के इकलौते राष्ट्रवादी समाचार चैनल Zee News समेत खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले तमाम लोगों ने जिस तरीके की भड़काऊ प्रतिक्रिया दी है और ट्विटर…
दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में मीडिया के भारी जमावड़े के बीच सोमवार की शाम ”ब्लैकआउट इन बस्तर” नामक रिपोर्ट का अनावरण किया गया. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में…
”अखबारों का असली कर्तव्य शिक्षा देना, लोगों से संकीर्णता निकालना, सांप्रदायिक भावनाएँ हटाना, परस्पर मेल-मिलाप बढ़ाना और भारत की साझी राष्ट्रीयता बनाना था, लेकिन इन्होंने अपना मुख्य कर्तव्य अज्ञान फैलाना, संकीर्णता का प्रचार करना,…
हिंदी के समाचार चैनलों ने शनिवार की शाम को रहस्यों के नाम कर दिया. शनिवार 16 अप्रैल को शाम 8.30 से 9.30 के बीच आखिर ऐसा क्या हो गया कि तमाम चैनलों ने मिलकर…
यह तस्वीर बहुत कुछ कह देती है। सूचनाओं का विस्फोट है…बमबारी है…लेकिन क्यों और कैसे का मसला ग़ायब है। ज्ञान का अभाव ही नहीं, ज्ञान का तिरस्कार और उससे युद्ध का नाम है…
पिछले कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका पत्रकारिता की कत्लगाह बना हुआ है. पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग से शुरू हुई पत्रकारों की जंग सोमवार १८ अप्रैल को दिल्ली पहुँच रही…
क्या फ़ेसबुक नफ़रत फैलाने वालों के दबाव और इशारे पर काम करता है? क्या लाइक और शिकायत के गणित के ज़रिये तय होगा कि समाज के हित में क्या है और क्या नहीं ?…